जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि रीट में
60 प्रतिशत से कम उत्तीर्णांक लाने वाले टीएसपी एरिया के एसटी अभ्यर्थियों
को सामान्य श्रेणी में माइग्रेट करते हुए नियुक्ति नहीं दी जा सकती। खंडपीठ
ने इस संबंध में एकलपीठ के आदेश को त्रूटिपूर्ण मानते हुए अपास्त कर दिया
है।
मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट तथा न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने अपीलार्थी निक्की एवं अन्य की ओर से दायर अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि एकलपीठ का आदेश विधि विरूद्ध है।
दरअसल, एकलपीठ में कुछ अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दायर करते हुए यह मांग की थी कि वर्ष 2012 में राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसरण में प्राप्तांकों की वरीयता के आधार पर एसटी अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए माइग्रेट किया जाए, जिसे स्वीकार करते हुए एकलपीठ ने मैरिट सूची दुबारा बनाने के आदेश दिए थे।
शिक्षक भर्ती के लिए सामान्य श्रेणी के कटऑफ 60 प्रतिशत तय थे, जबकि राज्यपाल द्वारा वर्ष 2012 में जारी अधिसूचना में टीएसपी एरिया में एसटी वर्ग के उत्तीर्णांक 36 प्रतिशत मानने को कहा गया था। वर्ष 2018 की शिक्षक भर्ती में एसटी श्रेणी के 60 प्रतिशत से ज्यादा प्राप्तांक लाने वाले अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में माइग्रेट कर दिया गया और बाद में एसटी श्रेणी के आरक्षित कोटे में भर्ती की गई, जिसमें अंतिम पात्र अभ्यर्थी के प्राप्तांक 51 प्रतिशत से ज्यादा थे। इस प्राप्तांक से भी कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों ने सामान्य वर्ग में खाली पड़े पदों पर उनसे उच्च प्राप्तांक वाले एसटी अभ्यर्थियों को माइग्रेट करने के बाद एसटी वर्ग में रिक्त होने वाले पदों पर उन्हें नियुक्ति देने की मांग की थी।
एकलपीठ के आदेश की अपील में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि राज्यपाल की अधिसूचना का प्रभाव यह सुनिश्चित करना था कि टीएसपी क्षेत्रों में शिक्षकों को शामिल करने वाली सभी भर्ती प्रक्रियाओं में, एसटी उम्मीदवारों को ठोस लाभ मिल जाए, क्योंकि इस तरह की अधिसूचना के बिना वे शायद कम पदों को सुरक्षित कर पाते। कोर्ट ने विस्तृत विश्लेषण करते हुए कहा कि इस भर्ती में एसटी अभ्यर्थियों को तय आरक्षण से कई प्रतिशत ज्यादा लाभ मिला है। अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता डा.नुपूर भाटी तथा राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने पैरवी की।
ऐसे मिला एसटी को आरक्षण से ज्यादा फायदा
भर्ती प्रक्रिया: राज्य सरकार ने 12 अप्रैल, 2018 को टीएसपी एरिया में 5431 टीचर ग्रेड तृतीय (प्रथम लेवल) सामान्य शिक्षा की भर्ती के लिए विज्ञप्ति प्रकाशित की। इसमें 50 प्रतिशत सामान्य श्रेणी, 45 प्रतिशत एसटी तथा 5 प्रतिशत पद एससी श्रेणी के लिए आरक्षित थे।
पात्रता: भर्ती के लिए सीनियर सैकंडरी सहित बीएसटीसी एवं राजस्थान शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षा (रीट) की उत्तीर्णता आवश्यक। सामान्य श्रेणी के लिए रीट में 60 प्रतिशत या इससे ज्यादा प्राप्तांक आवश्यक।
पदों का वर्गीकरण : विज्ञापित पदों में सामान्य श्रेणी के लिए 2721 पद, एससी के लिए 269 तथा एसटी वर्ग के लिए 2441 पद आरक्षित थे।
सामान्य के पद खाली रह गए : चूंकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए रीट में कट ऑफ 60 प्रतिशत थी और आवेदन भी कम आए, लिहाजा कट ऑफ से ज्यादा अंक लाने पर सभी 1095 अभ्यर्थी भर्ती के पात्र हो गए। एसटी श्रेणी के 589 अभ्यर्थियों के प्राप्तांक भी 60 प्रतिशत या उससे ज्यादा थे, उन्हेंं भी सामान्य श्रेणी में माइग्रेट करते हुए भर्ती कर लिया गया। फिर भी सामान्य के 1167 पद खाली रह गए।
एसटी के पदों पर भर्ती : 589 एसटी अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी में भर्ती होने के बाद एसटी के लिए आरक्षित 45 प्रतिशत पदों पर भर्ती की गई, जिनमें प्राप्तांकों के आधार पर अंतिम अभ्यर्थी की कट ऑफ 51.33 प्रतिशत रही और सभी पद भर गए।
आरक्षण से ज्यादा लाभ : 45 प्रतिशत आरक्षित सीटों के अलावा एसटी के अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी में भी शिक्षक बन गए, इस तरह कुल आरक्षित 2441 से ज्यादा 3130 पदों पर एसटी के अभ्यर्थी चयनित हुए। यानी कुल विज्ञाप्ति पदों के मुकाबले 57.63 प्रतिशत पदों पर एसटी अभ्यर्थियों की भर्ती हुई। यदि केवल भरे गए पदों के लिहाज से देखें तो यह 73.40 प्रतिशत पद होते हैं।
मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट तथा न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने अपीलार्थी निक्की एवं अन्य की ओर से दायर अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि एकलपीठ का आदेश विधि विरूद्ध है।
दरअसल, एकलपीठ में कुछ अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दायर करते हुए यह मांग की थी कि वर्ष 2012 में राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसरण में प्राप्तांकों की वरीयता के आधार पर एसटी अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए माइग्रेट किया जाए, जिसे स्वीकार करते हुए एकलपीठ ने मैरिट सूची दुबारा बनाने के आदेश दिए थे।
शिक्षक भर्ती के लिए सामान्य श्रेणी के कटऑफ 60 प्रतिशत तय थे, जबकि राज्यपाल द्वारा वर्ष 2012 में जारी अधिसूचना में टीएसपी एरिया में एसटी वर्ग के उत्तीर्णांक 36 प्रतिशत मानने को कहा गया था। वर्ष 2018 की शिक्षक भर्ती में एसटी श्रेणी के 60 प्रतिशत से ज्यादा प्राप्तांक लाने वाले अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में माइग्रेट कर दिया गया और बाद में एसटी श्रेणी के आरक्षित कोटे में भर्ती की गई, जिसमें अंतिम पात्र अभ्यर्थी के प्राप्तांक 51 प्रतिशत से ज्यादा थे। इस प्राप्तांक से भी कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों ने सामान्य वर्ग में खाली पड़े पदों पर उनसे उच्च प्राप्तांक वाले एसटी अभ्यर्थियों को माइग्रेट करने के बाद एसटी वर्ग में रिक्त होने वाले पदों पर उन्हें नियुक्ति देने की मांग की थी।
एकलपीठ के आदेश की अपील में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि राज्यपाल की अधिसूचना का प्रभाव यह सुनिश्चित करना था कि टीएसपी क्षेत्रों में शिक्षकों को शामिल करने वाली सभी भर्ती प्रक्रियाओं में, एसटी उम्मीदवारों को ठोस लाभ मिल जाए, क्योंकि इस तरह की अधिसूचना के बिना वे शायद कम पदों को सुरक्षित कर पाते। कोर्ट ने विस्तृत विश्लेषण करते हुए कहा कि इस भर्ती में एसटी अभ्यर्थियों को तय आरक्षण से कई प्रतिशत ज्यादा लाभ मिला है। अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता डा.नुपूर भाटी तथा राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने पैरवी की।
ऐसे मिला एसटी को आरक्षण से ज्यादा फायदा
भर्ती प्रक्रिया: राज्य सरकार ने 12 अप्रैल, 2018 को टीएसपी एरिया में 5431 टीचर ग्रेड तृतीय (प्रथम लेवल) सामान्य शिक्षा की भर्ती के लिए विज्ञप्ति प्रकाशित की। इसमें 50 प्रतिशत सामान्य श्रेणी, 45 प्रतिशत एसटी तथा 5 प्रतिशत पद एससी श्रेणी के लिए आरक्षित थे।
पात्रता: भर्ती के लिए सीनियर सैकंडरी सहित बीएसटीसी एवं राजस्थान शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षा (रीट) की उत्तीर्णता आवश्यक। सामान्य श्रेणी के लिए रीट में 60 प्रतिशत या इससे ज्यादा प्राप्तांक आवश्यक।
पदों का वर्गीकरण : विज्ञापित पदों में सामान्य श्रेणी के लिए 2721 पद, एससी के लिए 269 तथा एसटी वर्ग के लिए 2441 पद आरक्षित थे।
सामान्य के पद खाली रह गए : चूंकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए रीट में कट ऑफ 60 प्रतिशत थी और आवेदन भी कम आए, लिहाजा कट ऑफ से ज्यादा अंक लाने पर सभी 1095 अभ्यर्थी भर्ती के पात्र हो गए। एसटी श्रेणी के 589 अभ्यर्थियों के प्राप्तांक भी 60 प्रतिशत या उससे ज्यादा थे, उन्हेंं भी सामान्य श्रेणी में माइग्रेट करते हुए भर्ती कर लिया गया। फिर भी सामान्य के 1167 पद खाली रह गए।
एसटी के पदों पर भर्ती : 589 एसटी अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी में भर्ती होने के बाद एसटी के लिए आरक्षित 45 प्रतिशत पदों पर भर्ती की गई, जिनमें प्राप्तांकों के आधार पर अंतिम अभ्यर्थी की कट ऑफ 51.33 प्रतिशत रही और सभी पद भर गए।
आरक्षण से ज्यादा लाभ : 45 प्रतिशत आरक्षित सीटों के अलावा एसटी के अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी में भी शिक्षक बन गए, इस तरह कुल आरक्षित 2441 से ज्यादा 3130 पदों पर एसटी के अभ्यर्थी चयनित हुए। यानी कुल विज्ञाप्ति पदों के मुकाबले 57.63 प्रतिशत पदों पर एसटी अभ्यर्थियों की भर्ती हुई। यदि केवल भरे गए पदों के लिहाज से देखें तो यह 73.40 प्रतिशत पद होते हैं।
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