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राजस्थान में करीब 7 लाख दिव्यांग, मूक-बधिर और दृष्टिबाधित बच्चे हैं. लेकिन, इन्हें पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों का अभाव है. राज्य मानवाधिकार ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे मानवाधिकार हनन का बेहद गंभीर मामला माना है.