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Sunday 4 February 2018

सरकार की चूक बनेगी भर्ती, प्रमोशन, रिसर्च में बाधा

सरकारी लेक्चरर्स पदनाम परिवर्तन मामले में राज्य सरकार की एक बड़ी चूक सामने आई है। यह चूक ऐसी है कि 213 कॉलेजों के 5 हजार से अधिक शिक्षकों को नए पदनाम तो मिल जाएंगे, लेकिन भर्ती, प्रमोशन और रिसर्च पर भारी असर पड़ेगा। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट को पदनाम परिवर्तन में जहां यूजीसी के 2016 के
संशोधित नियम रखने थे, वहां पर 2010 के ही नियम लागू करवा दिए है। ऐसा होने से वर्ष 2009 से पहले के पीएचडी धारकों को नई भर्तियों में नेट-स्लेट से छूट नहीं मिलेगी। वहीं शिक्षकों के प्रमोशन पर भी असर पड़ेगा। साथ ही यूनिवर्सिटी द्वारा तय जर्नल्स में अपने रिसर्च छपाने के अंक नहीं माने जाएंगे। उधर ऐसा होने से यूजीसी की ओर से प्रदेश को मिलने वाली ग्रांट पर भी असर पड़ सकता है।

नियमों में यह हैं बड़े फर्क

यूजीसी के 2010 के नियमों में बगैर प्री-पीएचडी व्यक्ति को नेट-स्लेट से असि. प्रोफेसर पद के लिए आवेदन की छूट नहीं थी। 11 जुलाई 2016 के गजट नोटिफिकेशन में 2009 से इस नियम से सशर्त छूट मिली। साथ ही 5 शर्तें शामिल की गईं। जिसमें पीएचडी रेगुलर मोड पर होना, शिक्षण संस्थानों ने रिसर्च का मूल्यांकन बाहरी परीक्षकों से कराया हो, ओपन वाइवा हुआ हो और जनरल में रिसर्च पेपर का प्रकाशन और किसी भी संबंधित विषय की कॉन्फ्रेंस या सेमीनार में 2 रिसर्च पेपर पढ़े जाना जरूरी किया गया।

चूक के कारण प्रमोशन पर ऐसे पड़ेगा असर

पहली बात जो नियम-कायदे हायर एजुकेशन ने तय किए हैं, वे विश्वविद्यालयों के लिए हैं। इन नियमों को सरकारी कॉलेजों पर लागू करने पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। हालांकि राज्य सरकार का लॉ डिपार्टमेंट इस पर आपत्ति जता चुका है। उधर एपीआई स्कोर में 2010 और 2016 के नियमों में फर्क यह है कि असि. प्रोफेसर के प्रमोशन में 125 की जगह 100 अंक दर्शाए गए हैं। वहीं शैक्षणिक गतिविधियों में अलग से कैटेगिरी रखी गई है, जिसमें अधिकतम अंक 50 है जबकि यूजीसी के अपडेट नियमानुसार 45 अंक होने चाहिए।

वर्ष 2010 के नियमानुसार शिक्षकों के शोध पत्र विश्वविद्यालय की कोआर्डिनेशन कमेटी द्वारा अप्रूवड जनरल्स में ही छपाने है। जबकि 2016 के नियमों में यूजीसी ने इसे बदल दिया है और यूजीसी की तरफ से एक अलग से सूची दी गई है। यह सूची 2010 की सूची से एक हद तक अलग है।

सरकार तक बात पहुंचा दी है

राज्य सरकार को यूजीसी के 2016 के संशोधित नियम लागू करने थे, लेकिन 2010 के पुराने नियम लागू कर दिए हंै। इससे सरकारी कॉलेज शिक्षकों की भर्ती से लेकर प्रमोशन तक पर असर पड़ेगा। उधर यूजीसी प्रदेश की ग्रांट रोक सकती है। बहरहाल सरकार और गवर्नर को पत्र लिखा है । -प्रो. आर.डी गुर्जर, पूर्व सिंडीकेट सदस्य आरयू

कमी है तो ठीक करवा देंगे

लीगल एक्सपर्ट की निगरानी में ही नियम-कायदे तैयार हुए है। फिर भी कोई कमी है तो उसे ठीक करवा देंगे। शिक्षकों का पदनाम परिवर्तन का वादा किया था, जो समय पर निभाया है। -किरण माहेश्वरी, उच्च शिक्षा मंत्री

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