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नागौर में गुरु ने शिष्यों ने मांगी अनोखी गुरु दक्षिणा

नागौर ।यह बात राजकीय माध्यमिक विद्यालय बख्तसागर के संस्था प्रधान जेठाराम बागडिय़ा पर सटीक बैठती है। बागडिय़ा ने गर्मियों की छुट्टियों में शहर केहर उस युवा के लिए नि:शुल्क इंगलिश स्पोकन क्लास चला रखी है जो इंगलिश सीखना व बोलना चाहता है।
इंगलिश में स्पीच देखकर डईओ रह गए आश्चर्य चकितरविवार को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर छात्र-छात्राओं ने पर्यावरणको किस प्रकार बचाया जाए इसको लेकर इंगलिश में स्पीच किया। यह सब देखकर जिला शिक्षा अधिकारी सीताराम गर्ग, माध्यमिक शिक्षा प्रथम आश्र्चय चकितरह गए। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा दी गई स्पीच को लेकर पूछा तो उन्होंने बताया कि यह सब कुछ बागडिय़ासर की मेहनत व हमारी लगन है, जो आज हम इस प्रकार इंगलिश में भाषण दे रहे हैं। संस्था प्रधान द्वारा किए गए इसनवचार पर डीईओ ने विभाग की और से धन्यवाद देते हुए कहा कि यदि सभी शिक्षक इसी प्रकार मेहनत करने लगेंगे तो सरकारी विद्यालयों में और भी उच्च स्तर पर पढ़ाई हो सकेगी। इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक पूनमचन्द बिश्नोई, मोहम्मद इकबाल गौरी व हेमाराम सांगवा ने पर्यावरण को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।गुरु दक्षिणा में एक एक पौधा लगाने का संकल्प दिलायापुत्र कुपुत्र हो सकते हैं पर पेड़-पौधे नहीबागडिय़ा ने कहा कि यदि तुम मुझे गुरु दक्षिणा देना ही चाहते हो तो आज ये संकल्प लो कि हम सभी एक-एक पौधा लगाकर उसके बडे होने तक देखभाल करेंगे व भावी पीढ़ी को भी यही संदेश देंगे। इस पर छात्र-छात्राओं को डीईओ ने संकल्प दिलवाया कि वो पौधे जरूर लगाएंगे। इसके बाद संस्था प्रधान सभी को संबोधित करते हुए कहा हम पुत्र को बड़े ही लाड़ प्यार के साथ पालते हैं लेकिन भविष्य का कुछ भी नहीं पता जिस पुत्र को हमने पाला है क्या वो हमारी सेवा करेंगा या हमें सुख देगा यह कह पाना मुश्किल है। लेकिन पेड़-पौधे हमें कभी भी दुखनहीं पहुंचा सकते इस बात कोई झूटा साबित नहीं कर सकता। इसलिए पेड़-पौधों को अपना मित्र मानकर उनके साथ मित्रता का व्यवहार करें। उन्होंने कहा कि पेड़ कभी किसी का अहित नहीं सोचते हैं वो तो सभी को छाया देते हैं। हम पत्थर मारते हैं वो फल देते हैं। पतझड़ में पूराने पत्ते त्यागकर हमें यह सीख देते हैं कि समाज में व्याप्त कुरुतियों को दूर करके नए नवाचारों को जीवन में ग्रहण करें।योग करवाते हैंसुबह-सुबह योग शिक्षा करवाई जाती है, जो मनुष्य के लिए अति आवश्यक है। इसके बाद हमें इंगलिश स्पोकन सिखाई जाती है। सर के पढ़ाने का जो तरीका हैवो हमें बेहद पसंद आया।जिनेश्वरी, बीएससी द्वितीय वर्षशायद पहले कोई इसी प्रकार का नवाचार होता तो आज हमारी शिक्षा का स्तर और भी उच्च होती। इन छुट्टियों में सर ने जो पढ़ाया है वो हमारे लिए काफी मद्दगार साबित होगा। यहां हमने सिर्फ इंगलिश बोलना ही नहीं सीखा बल्कि हमें जो घवराहट होती थी उसे भी दूर किया गया।डिम्पल सिखवाल, बीएससी द्वितीय वर्षसोच बदल जाएसर ने जो हमें पढ़ाया है वो हम पहले कभी नहीं सिखया गया। यदि सभी शिक्षक इसी प्रकार नवचार करें तो शायद लोगोंकी नजर में सरकारी स्कूलों के प्रति जो सोच है वो बदल जाए।श्रवण कुमार, बीएससी द्वितीय वर्षरुपए खर्च करने पर नहीं मिलती ऐसी शिक्षाआज के समय में रुपए खर्च करने के बाद भी ऐसी शिक्षा नहीं मिल पाती जो शिक्षा हमें बागडिय़ा सर ने नि:शुल्क दी है। हमें सिफ इंगलिश बोलना ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ सिखाया गया है।सरफराज अहमदजब में पहले दिन कक्षा में आया तो मेने सोचा पता नहीं किस प्रकार इंगलिश क्लास है। लेकिन जब मैने दो दिन की क्लास अटेण्ड की तो मुझे सच्चाई का पता चला। और वो ही सच्चाई में आपके सामने पेश कर रहा हूं आज मेंजो इस प्रकार इंगलिश बोल रहा हूं ये बागडिय़ा सर की मेहनत व हमारी लगन है।गिरीराज सोनी, बीकॉम फाइल ईयर

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