जयपुर:
थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती 1998 के चयनित शिक्षकों का नियुक्ति की मांग को
लेकर पिछले 21 सालो से संघर्ष चल रहा है. वहीं, अब यह संघर्ष लम्बा होता
हुआ नजर आ रहा है. इसी कड़ी में अब इन शिक्षकों ने अंतिम सांस तक लड़ने की
चेतावनी दे डाली है.
करीब 2 हजार चयनित शिक्षक पिछले 104 दिनों से जयपुर के कलेक्ट्रेट पर धरने पर बैठे हैं, लेकिन ना तो अभी तक इनकी सुनवाई हुई है और ना ही सरकार ने इनसे वार्ता की कोई पहल की है. ऐसे में, इन चयनित शिक्षकों ने साफ चेतावनी दे दी है की या तो नियुक्ति लेकर जाएंगे या फिर अपने प्राण इसी धरने पर त्याग देंगे.
राजधानी जयपुर में करीब 2 हजार से ज्यादा ऐसे चयनित शिक्षक इस समय धरने पर बैठे हैं, जिनकी उम्र करीब 45 से 50 साल तक पहुंच चुकी है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 21 सालों से ये चयनित शिक्षक अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. पिछले 104 दिनों से जयपुर में धरने पर बैठे हैं. चाहे भीषण गर्मी हो उमस हो या फिर भारी बारिश ये शिक्षक निरंतर अपने घर को छोड़कर धरने पर कायम हैं.
चयनित शिक्षक संघर्ष समिति 1998 के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप पालीवाल का कहना है कि '21 सालों में तीन सरकारों ने उनके नियुक्ति आदेश जारी किए, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते उनको नियुक्ति नहीं मिल पाई. कांग्रेस ने भी इस बार सत्ता में आने से पहले नौकरी देने का वादा किया, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक इंतजार जारी है. ऐसे में अब धरने को 104 दिन हो गए हैं. अब घर लौटने का कोई सवाल ही नहीं बचा है. घर जाकर अपने बच्चों को क्या मुंह दिखाएंगे. ऐसे में या तो नियुक्ति के साथ जाएंगे या नहीं तो इस धरने पर ही अपने प्राण त्याग देंगे'.
बतादें कि, इस समय पूरे प्रदेश से करीब 2 हजार से ज्यादा चयनित शिक्षक अपने घर और परिवार को छोडकर जयपुर में धरना डाले हुए हैं. बिना नियुक्ति के सभी शिक्षकों ने घर लौटने से इनकार कर दिया है. चयनित शिक्षक जयदेव फौजदार और अनिल मिश्रा का कहना है कि 'मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संवेदनशील मुख्यमंत्री माने जाते हैं, लेकिन इन चयनित 2 हजार शिक्षकों की ओर आखिर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा, जबकि सत्ता में आने से पहले खुद अशोक गहलोत ने नियुक्ति का वादा किया था'.
वहीं, दूसरी नियुक्ति की मांग को लेकर धरने पर बैठे चयनित शिक्षकों ने अब नियुक्ति के लिए आर-पार की लड़ाई की चेतावनी भी दे डाली है. चयनित शिक्षक जितेन्द्र पालीवाल का कहना है कि 'संघर्ष के 21 साल बीत चुके हैं. हम शिक्षक हैं शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन हमारी नहीं सुन रहा है. ऐसे में अब नियुक्ति को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी'.
करीब 2 हजार चयनित शिक्षक पिछले 104 दिनों से जयपुर के कलेक्ट्रेट पर धरने पर बैठे हैं, लेकिन ना तो अभी तक इनकी सुनवाई हुई है और ना ही सरकार ने इनसे वार्ता की कोई पहल की है. ऐसे में, इन चयनित शिक्षकों ने साफ चेतावनी दे दी है की या तो नियुक्ति लेकर जाएंगे या फिर अपने प्राण इसी धरने पर त्याग देंगे.
राजधानी जयपुर में करीब 2 हजार से ज्यादा ऐसे चयनित शिक्षक इस समय धरने पर बैठे हैं, जिनकी उम्र करीब 45 से 50 साल तक पहुंच चुकी है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 21 सालों से ये चयनित शिक्षक अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. पिछले 104 दिनों से जयपुर में धरने पर बैठे हैं. चाहे भीषण गर्मी हो उमस हो या फिर भारी बारिश ये शिक्षक निरंतर अपने घर को छोड़कर धरने पर कायम हैं.
चयनित शिक्षक संघर्ष समिति 1998 के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप पालीवाल का कहना है कि '21 सालों में तीन सरकारों ने उनके नियुक्ति आदेश जारी किए, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते उनको नियुक्ति नहीं मिल पाई. कांग्रेस ने भी इस बार सत्ता में आने से पहले नौकरी देने का वादा किया, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक इंतजार जारी है. ऐसे में अब धरने को 104 दिन हो गए हैं. अब घर लौटने का कोई सवाल ही नहीं बचा है. घर जाकर अपने बच्चों को क्या मुंह दिखाएंगे. ऐसे में या तो नियुक्ति के साथ जाएंगे या नहीं तो इस धरने पर ही अपने प्राण त्याग देंगे'.
बतादें कि, इस समय पूरे प्रदेश से करीब 2 हजार से ज्यादा चयनित शिक्षक अपने घर और परिवार को छोडकर जयपुर में धरना डाले हुए हैं. बिना नियुक्ति के सभी शिक्षकों ने घर लौटने से इनकार कर दिया है. चयनित शिक्षक जयदेव फौजदार और अनिल मिश्रा का कहना है कि 'मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संवेदनशील मुख्यमंत्री माने जाते हैं, लेकिन इन चयनित 2 हजार शिक्षकों की ओर आखिर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा, जबकि सत्ता में आने से पहले खुद अशोक गहलोत ने नियुक्ति का वादा किया था'.
वहीं, दूसरी नियुक्ति की मांग को लेकर धरने पर बैठे चयनित शिक्षकों ने अब नियुक्ति के लिए आर-पार की लड़ाई की चेतावनी भी दे डाली है. चयनित शिक्षक जितेन्द्र पालीवाल का कहना है कि 'संघर्ष के 21 साल बीत चुके हैं. हम शिक्षक हैं शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन हमारी नहीं सुन रहा है. ऐसे में अब नियुक्ति को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी'.
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