सीकर. राजस्थान लोक सेवा आयोग ( RPSC ) व शिक्षा
विभाग ( Education Department ) की पुरानी लापरवाही ने प्रदेश की एक भर्ती
( Second Grade Teacher Recruitment 2015 ) को पिछले पौने तीन साल से
कागजों में उलझा रखा है। शिक्षा विभाग ने भर्ती की योग्यताओं को विज्ञप्ति
के समय पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया। इसका खमियाजा प्रदेश के बेरोजगार और
दिव्यांग विद्यार्थी अब तक भुगत रहे हैं।
211 पदों की भर्ती में से अब तक
महज 110 अभ्यर्थियों को ही नौकरी मिल सकी है। जबकि मुख्य सूची के अन्य 95
चयनितों के दस्तावेज सत्यापन में विशेष शिक्षा के दस्तावेज नहीं दे पाने की
वजह से अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसकी वजह से विभाग ने अब रिक्त पदों को
भरने के लिए नए सिरे से कवायद शुरू की है। अगस्त महीने की शुरूआत में जहां
छह विषयों की पिकअप सूची जारी की गई। अब विभाग ने सामाजिक विज्ञान विषय की
भी पिकअप सूची जारी कर दी है। वहीं तीन अभ्यर्थियों को मुख्य सूची में
शामिल किया है।2018 में हुई परीक्षा
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से वर्ष फरवरी 2018 में ऑनलाइन पैटर्न पर द्वितीय श्रेणी की शिक्षक भर्ती कराई। भर्ती का परिणाम नवम्बर 2018 में जारी कर दिया गया। इसके बाद विभाग ने लगभग आठ महीने दस्तावेज सत्यापन में लगा दिए।
पिकअप: 81 को मौका
अगस्त महीने में लोक सेवा आयोग की ओर से 81 अभ्यर्थियों का चयन पिकअप सूची में किया गया है। आयोग के अनुसार सामाजिक विज्ञान में सात, गणित में 13, उर्दु में एक, विज्ञान में 16, संस्कृत में 14, हिन्दी में 13 व अंग्रेजी में 17 अभ्यर्थियों को लिया है।
सीधा असर: शिक्षा पर
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा नवीं से बारहवीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए चौथाई विशेष शिक्षक भी नहीं है। लगातार भर्ती प्रक्रिया में देरी होने की वजह से दिव्यांग विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। आधा सत्र के बाद भी विभाग में विशेष शिक्षक नहीं लग सके।
जल्द हो सत्यापन
मुख्य सूची के ज्यादातर अभ्यर्थियों के नियमों में फंसने की वजह से अब दूसरी सूची के अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिलनी है। यदि विभाग जल्द दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया पूरी करें तो राहत मिलने के बाद भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सकती है।
विषयवार पद और अभ्यर्थी
विषय अपात्र अभ्यर्थी अप्रस्तावित
गणित 36 14 21
अंग्रेजी 35 20 14
हिन्दी 35 14 21
संस्कृत 31 17 13
उर्दु 03 02 00
विज्ञान 34 18 15
सा.विज्ञान 37 18 27
यह थी लापरवाही: आरसीआइ के पंजीयन नंबर मांगते तो नहीं फंसते पेंच
प्रदेश में विशेष शिक्षकों की द्वितीय श्रेणी की सीधे तौर पर यह पहली भर्ती थी। इस भर्ती की वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग ने नियम बनाए। नियमों में स्पष्ट नहीं होने की वजह से सैकड़ों सामान्य शिक्षकों ने आवेदन कर दिया। इसके अलावा बीएड के अलावा एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स वाले अभ्यर्थी भी परिणाम सूची में शामिल हो गए। एक्सपर्ट का कहना है कि विशेष शिक्षा के क्षेत्र में उत्र्तीर्ण अभ्यर्थियों को आरसीआइ की ओर से सीआरआर नंबर जारी किया जाता है। यदि भर्ती के समय शिक्षा विभाग सीआरआर नंबर का प्रावधान करता तो इतने पेंच नहीं फंसते। अब मुख्य सूची में अयोग्य अभ्यर्थियों के कारण भर्ती को कई बार न्यायालय में चुनौती मिल चुकी है। विभाग आठ महीने बाद पिकअप सूची जारी कर सका है।
95 ने परीक्षा पास की लेकिन डिग्री नहीं
परिणाम की मुख्य सूची में शामिल 95 अभ्यर्थी दस्तावेज सत्यापन में विशेष शिक्षा के दस्तावेज नहीं दिखा सके। भर्ती एक साल तक अटकी रही। आखिरकार लोक सेवा आयोग ने 95 अभ्यर्थियों के दस्तावेज को गलत ठहराया।
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