जयपुर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National education policy) पर राजस्थान की लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नजरें हैं. इस नीति से सरकार चाहे तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भविष्य संवार सकती है. इस नीति के जरिए केंद्रों पर शिक्षक लगाए जाएंगे. ऐसे में यदि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शिक्षकों की जिम्मेदारी थमा दे तो वे राज्य कर्मचारी भी बन जाएंगे, दूसरा विभाग का काम भी आसान हो जाएगा.
राज्य कर्मचारी बनाने का भी मौका
देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के बाद आंगनबाड़ी
कार्यकर्ताओं की उम्मीदें गहलोत सरकार से बढ़ गई है. इन नीति से
कार्यकर्ताओं को आसानी से राज्य कर्मचारी बनने का मौका मिल सकता है. इसके
साथ साथ बिना किसी माथापच्ची के महिला एवं बाल विकास विभाग को आंगनबाड़ी
केंद्रों के लिए अनुभवी शिक्षक भी मिल जाएंगे. इसलिए लाखों आंगनबाड़ी
कार्यकर्ताओं की नजरें गहलोत सरकार पर है कि वे इस राष्ट्रीय नीति पर क्या
फैसला लेती है.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ऐसे बनेगी शिक्षक
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर शिक्षक लगाए
जाएंगे. इन शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएट होना जरूरी है. इसमें
सरकार दो तरह से शिक्षक लगा सकती है. पहला ग्रेजुएट पास अनुभवी आंगनबाड़ी
कार्यकर्ताओं छ महीने की ट्रेनिंग देकर शिक्षक लगाया जाए, दूसरा बाहर से
शिक्षकों के लिए भर्ती निकालकर केंद्रों पर लगाया जाए. इसके लिए इन
शिक्षकों को 4 साल की ट्रेनिंग जरूरी होगी.
माथापच्ची कम, आसानी से मिल जाएंगे शिक्षक
राजस्थान में आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं
ग्रेजुएट है. ऐसे में यदि सीधे इन्हीं कार्यकर्ताओं को शिक्षक बनाया जाता
है तो विभाग की माथापच्ची भी कम होगी और आसानी से विभाग में ही शिक्षक मिल
जाएंगे. इसके साथ-साथ इनका अनुभव भी विभाग और केंद्रों के काम आ सकेगा जबकि
बाहर से शिक्षकों की भर्ती की जाती है तो वे खर्चीला भी अधिक होगा और समय
भी ज्यादा लगेगा. इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग है कि अनुभवी और
पढ़ी—लिखी कार्यकर्ताओं को शिक्षक बनाया जाए.
आईसीडीएस की नहीं अब तक कोई नीति
राष्ट्रीय नीति लागू होने के बाद अब तक महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोई
नीति नहीं बनाई है. ऐसे में लाखों कार्यकर्ताओं को सरकार और आईसीडीएस से
उम्मीद है कि जल्द से जल्द नीति बनाए ताकि उनका भविष्य संवर सके.
No comments:
Post a Comment