शिक्षा विभाग में गत दो वर्ष से तृतीय श्रेणी शिक्षकों से लेकर प्रधानाचार्यों तक के प्रमोशन व डीपीसी नहीं की गई है। द्वितीय श्रेणी शिक्षकों से लेकर प्रधानाचार्य तक के तबादले करने के लिए आवेदन ले लिए हैं। लेकिन बिना प्रमोशन के तबादले करने के चलते जब भी प्रमोशन होगा फिर से तबादले करने होंगे। तबादले नहीं किए गए तो स्कूलों में सभी श्रेणी के शिक्षक बढ़ जाएंगे और फिर सभी वर्गों के शिक्षकों का फिर से तबादला करना पड़ेगा।
प्रमोशन जून-जुलाई माह में होने थे लेकिन नहीं हुए। एक साल से ग्रेड थर्ड, सेकंड ग्रेड, व्याख्याता, प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्यों के तबादले नहीं किए गए हैं। जबकि शिक्षक संगठन लंबे समय से मांग कर रहे थे कि पहले प्रमोशन किए जाएं और उसके उपरांत ही तबादले खोले जाएं। राज्य सरकार ने प्रमोशन को लेकर कोई रणनीति नहीं बनाई है। हालांकि मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, संयुक्त निदेशक के प्रमोशन करीब 15 से 20 दिन पहले ही किए गए हैं।
डीईओ के स्वीकृत 462 पदों में से 300 पद खाली
जिला
शिक्षा अधिकारी पदों पर पदोन्नतियां नहीं होने की वजह से, विभाग में जिला
शिक्षा अधिकारियों की कमी हो गई है। राजस्थान लोक सेवा आयोग में पिछले करीब
एक माह से नियमों में संशोधन किए जाने की पत्रावली अटकी हुई है। लोक सेवा
आयोग ने भी एक बार तो इसे स्वीकृत कर दिया था। परन्तु इसी बीच सरकार ने
प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति में 80 प्रतिशत व्याख्याताओं से तथा 20
प्रतिशत पद प्रधानाध्यापक माध्यमिक से भरने का निर्णय ले लिया।
इस संशोधन को कर फिर से पत्रावली आयोग को भेजी गई। तभी से यह पत्रावली आयोग के पास लम्बित पड़ी है। जो अधिकारी इन पदों पर कार्यरत है उन्हें भी उच्च पदों पर पदोन्नतियां देने तथा कुछ अधिकारी सेवानिवृत होने से जिला शिक्षा अधिकारी स्तर के पद खाली होते जा रहे हैं। 462 पदों के विरूद्ध करीब 300 पद खाली हो गए हैं।
ये होना है संशोधन
पहले
जिला शिक्षा अधिकारी पदों के आधे पद सीधी भर्ती से तथा आधे पद पदोन्नति से
भरने थे। अब शत प्रतिशत पदोन्नतियों से भरनेे का प्रावधान किया है।
पदोन्नति
का कार्य शिक्षकों के स्थानांतरण से पहले, इस माह में पूर्ण किया जाना
चाहिए। जिससे नवम्बर में स्कूल खुलने के साथ ही रिक्त पद भी भर जा सकें।
उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)
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