शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के 31 हजार पदों पर नई भर्ती की मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश के 10 लाख से अधिक बेरोजगारों के चेहरे पर खुशी की लहर भले ही छा गई हो। लेकिन अभी भर्ती प्रक्रिया शुरू होने में 6 माह का समय लग सकता है।
अभी तो सरकार ने रीट का आयोजन ही नहीं किया है। इस महीने अगर रीट की प्रक्रिया शुरू होती है तो भी सरकार को परिणाम तक पहुंचने में ही चार महीने लग जाएंगे। इसके अभी तो शिक्षक भर्ती के पैटर्न का ही अता पता नहीं है।
सरकार तय नहीं कर पा रही है कि शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जाए या फिर वर्तमान में लागू वेटेज सिस्टम में बदलाव किया जाए। अधिकारियों की इस मामले में 5 से अधिक बैठकें हो चुकी है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ। बेरोजगारों का कहना है कि सरकार शिक्षक भर्ती का पैटर्न तय करने की प्रक्रिया जारी रखे। इस बीच रीट की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए। ताकि बेरोजगारों का रीट का इंतजार तो खत्म हो सके।
पहले सीएम की मंजूरी, फिर जारी होगी अधिसूचना
पहले
तो अधिकारी यह तय करेंगे कि शिक्षक भर्ती का पैटर्न क्या रहेगा। संभावित
बदलाव की फाइल मुख्यमंत्री के पास जाएगी। वहां से मंजूरी मिलने के बाद
पंचायतीराज विभाग को भर्ती पैटर्न में संशोधन करने की अधिसूचना जारी करनी
होगी। यह अधिसूचना जारी होने के बाद ही भर्ती परीक्षा शुरू हो सकती है।
वर्तमान में यह है शिक्षक भर्ती का पैटर्न
तृतीय
श्रेणी शिक्षक भर्ती में दो लेवल पर भर्ती होती है। लेवल एक में तो सीधे
ही रीट या आरटेट में अभ्यर्थी के प्राप्तांकों के आधार पर ही मेरिट बनाकर
चयन कर लिया जाता है। जबकि लेवल - 2 की शिक्षक भर्ती में रीट या आरटेट के
प्राप्तांकों का 70 फीसदी वेटेज और स्नातक के अंकों का 30 फीसदी वेटेज
जोड़ने के बाद जो कुल अंक होते हैं उसके आधार पर मेरिट बनाकर चयन किया जाता
है।
शिक्षक भर्ती के इन दो पैटर्न पर चल रहा है मंथन
1 वेटेज सिस्टम में किया जाए बदलाव
सरकार इस पर भी विचार कर रही है कि वर्तमान में लागू वेटेज सिस्टम में बदलाव कर दिया जाए। इसमें स्नातक के अंकों का जो अभी 30 फीसदी वेटेज है, उसके कम कर दिया जाए। अब इस विचार चल रहा है कि कम कितना हो ताकि किसी के साथ अन्याय नहीं हो।
2 भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जाए
सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि रीट के बाद शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन कराया जाए। सरकार देख रही है कि इससे क्या फायदा हो सकता है और क्या नुकसान है। भर्ती परीक्षा को लेकर पिछले अनुभव ठीक नहीं रहे। पेपर आउट हो जाता है और सवालों को लेकर मामले कोर्ट में चले जाते हैं।
इससे भर्ती अटकी रहती है। भर्ती परीक्षा की लंबी प्रक्रिया है। साथ ही कोरोना काल भर्ती परीक्षा कराने को लेकर भी सरकार के सामने चुनौती रहेगी। कांग्रेस के पिछले शासनकाल में जिला परिषदों के जरिए भर्ती परीक्षा कराई थी।
रीट के न सिलेबस में बदलाव न पैटर्न में फिर देरी क्यों?
बेरोजगारों
का कहना है कि रीट के ना तो सिलेबस में बदलाव है और ना ही परीक्षा के
पैटर्न में। इसलिए इसकी प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए। जब तक रीट का परिणाम
आए तब तक शिक्षक भर्ती का पैटर्न भी तय कर लिया जाए। ताकि रीट का परिणाम
आने के तुरंत बाद शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू हो सके।
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