हाल ही में पाली जिले के एक स्कूल में शिक्षकों के नदारद रहने पर डांट लगाते हुए का वीडियो वायरल होने के बाद जोधपुर संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा शिक्षक संगठनों के निशाने पर हैं।
विभिन्न शिक्षक संगठनों ने आयुक्त के वीडियो वायरल किए जाने का विरोध करते हुए न केवल उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं बल्कि मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनके खिलाफ कार्रवाई तक की मांग कर दी है। वहीं इन सबसे बेखबर संभागीय आयुक्त डॉ.़ शर्मा मिशन गुड गवर्नेंस की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।गौरतलब है कि पिछले दिनों पिछले दिनों
निरीक्षण के दौरान पाली जिले के एक स्कूल में संभागीय आयुक्त जोधपुर डॉ.
समित शर्मा ने संस्था प्रधान सहित शिक्षकों की क्लास ली थी। उसी दौरान बने
दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
पहुंची शिक्षकों के मान सम्मान को ठेस
राजस्थान
शिक्षक संघ राधाकृष्णन एवं राधाकृष्णन शिक्षिका सेना ने एक संयुक्त पत्र
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को लिखा है।
जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस प्रकार निरीक्षण
कर उनकी वीडियो बनाकर वायरल करने से शिक्षकों में निराशा का भाव है, इससे
उनके मान सम्मान को ठेस पंहुची है। संगठन के प्रदेश महामंत्री अमिताभ
सनाढ्य ने कहा कि वीडियो को देखने पर स्पष्ट दिखता है कि निरीक्षण के दौरान
विद्यालय की घड़ी में 8.25 हो रहे थे। प्रधानाचार्य अपनी बात संभागायुक्त
के समक्ष रखना चाह रही थीं, लेकिन संभागीय आयुक्त ने प्रधानाचार्य को अपना
पक्ष रखने का अवसर ही नहीं दिया, वह खुद ही बोलते रहे। वीडियो में देखा जा
सकता है कि एक ही कार्यालय में 5 शिक्षकों के बैठने पर संभागीय आयुक्त ने
टिप्पणी की। तो क्या एक कार्यालय में जो कि प्रधानाचार्य कक्ष है, उसमें 5
शिक्षकों के एक साथ बैठने से नियम उलंघन हो रहा था। यह सम्पूर्ण घटनाक्रम
उचित प्रतीत नहीं होता भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों की पुनरावृति नहीं हो
संगठन सरकार से यह मांग करता है।
आयुक्त के कार्य व्यवहार की जांच की मांग
वहीं राजस्थान शिक्षक संघ
सियाराम के प्रदेश प्रशासनिक अध्यक्ष सियाराम शर्मा ने मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत को पत्र लिखकर जोधपुर के संभागीय आयुक्त समित शर्मा के कार्य व्यवहार
की जांच करने की मांग की है। प्रान्तीय संघर्ष समिति संयोजक नवीन कुमार
शर्मा ने बताया कि सबके समक्ष संस्था प्रधान से वेतन संबंधित प्रश्न पूछना
एक सभ्य एवं अच्छे अधिकारी का ***** नहीं है। महिला प्रधानाचार्य का केवल
अपमान ही नहीं किया गया बल्कि वीडियोग्राफी कर सोशल मीडिया पर डाल दिया
गया। जो ना केवल शिक्षा विभाग एवं महिला संस्था प्रधान का बल्कि शिक्षा
मंत्री का भी अपमान है जो कि असहनीय एवं निंदनीय है। उन्होंने मांग की कि
शिक्षक एवं शिक्षा विभाग के सम्मान की रक्षा करते हुए ऐसे अधिकारी के खिलाफ
सख्त कार्रवाई की जाए ताकि पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कोई भी अधिकारी
शिक्षा विभाग को जानबूझकर बदनाम व अपमानित ना करे।
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