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Monday 16 January 2017

हर क्लास में इंग्लिश पढऩा होगा अनिवार्य , छठीं कक्षा के बाद भी अग्रेंजी हो अनिवार्य: पैनल

नई दिल्ली। अब सभी सैकेंडरी स्कूलों में इंग्लिश पढ़ाना जरूरी होगा। साथ ही हर ब्लॉक में एक इंग्लिश मिडियम सरकारी स्कूल बनाया जाएगा। भारत की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ग्रुप ऑफ सेकेट्रीज ने पीएम नरेन्द्र मोदी को ये सुझाव दिए।
शुक्रवार को हुई इस बैठक में पैनल ने देश के सामाजिक विकास और शिक्षा के विकास के लिए इंग्लिश और साइंस को बढ़ावा देने के सुझाव दिए गए।
छठीं कक्षा के बाद भी अग्रेंजी हो अनिवार्य: पैनल
इन सुझावों में छठीं कक्षा के बाद अंग्रेजी को अनिवार्य विषय बनाने का प्रस्ताव रखा गया। इसके साथ हर 5 किमी. के दायरे और हर ब्लॉक में कम से कम एक अग्रेंजी माध्यम के साथ ही साइंस विषय वाला सरकारी स्कूल बनाया जाए। इस पैनल ने 6,612 ब्लॉक में हर ब्लॉक में अग्रेंजी माध्यम स्कूल बनाने का सुझाव दिया। इस पैनल में उच्च शिक्षा के सचिव और स्कूली शिक्षा के अधिकारी भी शामिल थे। इन सभी ने अपने सुझाव राज्य सरकारों से चर्चा करने के बाद दिए। इस पैनल ने शिक्षा में कम से कम तीन भाषाओं को शामिल करने की बात कही। इसमें हिंदी, अग्रेंजी और एक क्षेत्रीय या आधुनिक भारतीय भाषा शामिल है।
अभी तक सिर्फ शुरुआती 8 साल पढ़ाई जाती है अंग्रेजी
अभी तक बस सीबीएसई के स्कूलों में शुरुआती आठ साल तक ही अग्रेंजी अनिवार्य है। इसके बाद कक्षा 9 से कक्षा 12 तक अग्रेंजी अनिवार्य विषय नहीं होती। स्टूडेंट्स को हिंदी और इंग्लिश में से किसी एक विषय को ही चुनना होता है। पिछले साल अक्टूबर में आरएसएस से मान्यता प्राप्त शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने मानव संसाधन मंत्रालय को सुझाव दिया था कि देश की मातृभाषा में पढ़ाई कराई जानी चाहिए। साथ ही अग्रेंजी को किसी भी स्तर पर अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। वहीं इस पैनल ने सुझज्ञव दिया कि शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए अंग्रेजी जरूरी है। इसके साथ ही सभी स्कूलों में हर साल किसी तीसरी पार्टी की ओर से सर्वे भी होना चाहिए।
फेल करने की नीति पर भी पुर्नविचार होगा
12 सदस्यों वाले इस दल ने ये सुझाव भी दिया कि माध्यमिक विद्यालय में नजरबंदी की नीति पर भी पुर्नविचार किया जाना चाहिए। राज्यों को इस बात की आजादी मिलनी चाहिए कि किस स्तर पर नजरबंदी नीति लागू की जाए। कक्षा 8 में करियर प्लानिंग को देखते हुए एप्टीट्यूड टेस्ट और काउंसलिंग होनी चाहिए। वहीं 18 राज्य सरकार शिक्षा के अधिकार के तहत सेक्शन 16 को फॉलो करते हैं। इसके अनुसार कक्षा आठ तक स्टूडेंट को फेल नहीं किया जा सकता।परीक्षाओं के स्तर को सुधारने की भी जरूरत
स्किल ट्रेनिंग पर इस पैनल ने सुझाव दिया कि सभी जिलों स्किल डवलपमेंट सेंटर खोले जाने चाहिए। ऐसे जिलों में 25 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी और निम्र जाति जनसंख्या है वहां इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इस पैनल ने स्कूल के बाद उच्च शिक्षा के लिए होने वाले एंट्रेस परीक्षाओं का स्तर सुधारने का सुझाव भी दिया। जेईई, एनईईटी, यूजीसी नेट, कैट, गैट और सीमेट जैसी परीक्षाओं का स्तर बढ़ाने की जरूरत है।

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