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Monday 8 August 2016

यहां छात्रों के फेल होने पर बांटते है चेतावनी की मिठाई

उदयपुर  । सरकारी विद्यालयों का परीक्षा परिणाम साल-दर-साल गिर रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग को बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं है। हालात नहीं सुधर रहे, क्योंकि न्यून परिणाम देने वाले शिक्षकों पर अंकुश के नियम ही कमजोर हैं। बोर्ड परीक्षा में बेहद कम परिणाम देने वाले शिक्षकों के खिलाफ चेतावनी से ज्यादा कार्रवाई नहीं होती है।
लगातार परिणाम कम रहें, तब भी वेतन वृद्धि ही रोकी जाती है। दो से तीन बार परिणाम बिगडऩे तक तो नोटिस दिया जाता है। फिर चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि दोषी कार्मिकों की पदोन्नति भी रोकी जाती है। इधर, जानकारों की मानें तो सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए इतना काफी नहीं। अध्यापकों को जवाबदेह बनाने के लिए ठोस कार्ययोजना की जरूरत है। आंकड़ों को देखें तो 12वीं कक्षा का परिणाम अच्छा रहा। इसमें न्यून परिणाम वाले विद्यालय नाममात्र के हैं, लेकिन 10वीं कक्षा में न्यून परिणाम के 150 कार्मिक जिम्मेदार हैं।
एक वर्ष की रुकती है वेतन वृद्धि
विशेषज्ञों ने बताया कि दोषी कार्मिक के विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर एक वर्ष की वेतन वृद्धि रोकी जाती है। अगले वर्ष दो वर्षों की वेतन वृद्धि मिल जाती है। राज्य सरकार की ओर से प्रति वर्ष 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि बढ़ाने का नियम है। जहां छात्रों का पूरा साल बर्बाद हो रहा है, वहीं मोटी पगार उठा रहे शिक्षकों को मामूली नुकसान की चिंता नहीं है। कुछ विद्यालयों का परिणाम तो शिक्षकों के पद रिक्त रहने से खराब रह रहा है।
कक्षा 10वीं का 40 प्रतिशत से नीचे परीक्षा परिणाम रहने पर संस्थाप्रधान पर कार्रवाई होती है। कक्षा 12वीं में 50 प्रतिशत के नीचे परिणाम रहने पर संस्थाप्रधान पर कार्रवाई होती है। साथ ही कक्षा 10वीं में 50 प्रतिशत से व 12वीं में 60 प्रतिशत से कम परिणाम होने पर विषयाध्यापक पर कार्रवाई होती है।
सत्र 2016-17 में नियमों में परिवर्तन हुआ है जिसमें कक्षा 10वीं के परीक्षा में परिणाम 50 प्रतिशत व 12वीं में 60 प्रतिशत से नीचे होने पर संस्थाप्रधान पर कार्रवाई होगी। साथ ही विषयाध्यापक का कक्षा 10वीं में 60 प्रतिशत व कक्षा 12वीं में 70 प्रतिशत से कम परिणाम होने पर कार्रवाई होगी।
कार्रवाई की प्रक्रिया
परीक्षा परिणाम कम होने पर अधिकारी की ओर से संबंधित कार्मिक को कारण बताओ नोटिस भेजा जाता है। बाद में अधिकारियों की ओर से कार्मिक का पिछले वर्षों का कार्य देखा जाता है। कार्मिक के नोटिस के जवाब से अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं तो वह कार्रवाई से बच जाता है, अगर संतुष्ट नहीं होते है तो 17 सीसी में कार्रवाई या चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है या फिर पदोन्नति रोकी जाती है।
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