उदयपुर। लगता है प्रदेश के लोक सेवकों को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के आदेशों की भी कोई परवाह नहीं है। तभी तो उनकी मनमानी उन हजारों कार्मिकों को भारी पड़ रही है, जिनको 'खुशियां' बांटने का काम डेढ़ महीने पहले ही पूरा हो जाना था। लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी जिम्मेदार अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
मामला राजकीय कर्मचारियों के अधिकारों से जुड़ा है, जिनके सेवा, स्थानान्तरण, पदोन्नति, वेतन निर्धारण एवं सेवानिवृत्ति से जुड़े मुद्दों का निस्तारण 30 नवम्बर-2016 तक पूरा करना था। लेकिन हाल यह है कि प्रशासनिक अमला अब तक उनकी समस्याओं से जुड़े प्रकरणों की रूपरेखा तक नहीं बना सका है। यह हाल तो तब हैं जब मुख्यमंत्री ने स्वयं कर्मचारी कल्याण अभियान चलाकर कार्मिकों को समय रहते लाभान्वित करने के निर्देश दिए थे।
इसके बाद मुख्य सचिव ओपी मीना ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख शासन सचिवों, शासन सचिवों, विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों एवं जिला कलक्टरों को गत 5 अक्टूबर को लिखित आदेश जारी किए थे। इसमें साफ कहा था कि 7 अक्टूबर से 30 नवम्बर के बीच कर्मचारी कल्याण अभियान चलाकर कर्मचारियों की समस्याओं के निस्तारण किए जाएं। जिला एवं ब्लॉक स्तर पर भी मामले लंबित नहीं रह जाएं, इस तरह से काम हो।
आदेश की पालना में सभी विभागों के जिम्मेदारों ने कर्मचारी हित से जुड़े मुद्दों के निस्तारण को लेकर समितियों का गठन करने के आदेश दिए। तय किया कि लंबित प्रकरणों के निस्तारण में देरी को लेकर समिति अध्यक्ष जिम्मेदार होंगे। इस बीच, आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, जयपुर से आरटीआई के तहत 13 दिसम्बर को प्राप्त हुई जानकारी में सामने आया कि प्रदेश में कनिष्ठ लिपिक एवं वरिष्ठ लिपिकों की वर्ष 2013-14 से पदोन्नति नहीं हुई है। वहीं कार्यालय सहायक तथा कार्यालय अधीक्षकों की डीपीसी वर्ष 2015-16 तक की जा चुकी है। इसमें भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति वाला कॉलम शून्य दर्शाया गया है।
...तो जिम्मेदार होंगे समिति अध्यक्ष
आदेश की पालना में सभी विभागों के जिम्मेदारों ने कर्मचारी हित से जुड़े मुद्दों के निस्तारण को लेकर समितियों का गठन करने के आदेश दिए। तय किया कि लंबित प्रकरणों के निस्तारण में देरी को लेकर समिति अध्यक्ष जिम्मेदार होंगे। इस बीच, आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, जयपुर से आरटीआई के तहत 13 दिसम्बर को प्राप्त हुई जानकारी में सामने आया कि प्रदेश में कनिष्ठ लिपिक एवं वरिष्ठ लिपिकों की वर्ष 2013-14 से पदोन्नति नहीं हुई है। वहीं कार्यालय सहायक तथा कार्यालय अधीक्षकों की डीपीसी वर्ष 2015-16 तक की जा चुकी है। इसमें भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति वाला कॉलम शून्य दर्शाया गया है।
मामला राजकीय कर्मचारियों के अधिकारों से जुड़ा है, जिनके सेवा, स्थानान्तरण, पदोन्नति, वेतन निर्धारण एवं सेवानिवृत्ति से जुड़े मुद्दों का निस्तारण 30 नवम्बर-2016 तक पूरा करना था। लेकिन हाल यह है कि प्रशासनिक अमला अब तक उनकी समस्याओं से जुड़े प्रकरणों की रूपरेखा तक नहीं बना सका है। यह हाल तो तब हैं जब मुख्यमंत्री ने स्वयं कर्मचारी कल्याण अभियान चलाकर कार्मिकों को समय रहते लाभान्वित करने के निर्देश दिए थे।
इसके बाद मुख्य सचिव ओपी मीना ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख शासन सचिवों, शासन सचिवों, विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों एवं जिला कलक्टरों को गत 5 अक्टूबर को लिखित आदेश जारी किए थे। इसमें साफ कहा था कि 7 अक्टूबर से 30 नवम्बर के बीच कर्मचारी कल्याण अभियान चलाकर कर्मचारियों की समस्याओं के निस्तारण किए जाएं। जिला एवं ब्लॉक स्तर पर भी मामले लंबित नहीं रह जाएं, इस तरह से काम हो।
आदेश की पालना में सभी विभागों के जिम्मेदारों ने कर्मचारी हित से जुड़े मुद्दों के निस्तारण को लेकर समितियों का गठन करने के आदेश दिए। तय किया कि लंबित प्रकरणों के निस्तारण में देरी को लेकर समिति अध्यक्ष जिम्मेदार होंगे। इस बीच, आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, जयपुर से आरटीआई के तहत 13 दिसम्बर को प्राप्त हुई जानकारी में सामने आया कि प्रदेश में कनिष्ठ लिपिक एवं वरिष्ठ लिपिकों की वर्ष 2013-14 से पदोन्नति नहीं हुई है। वहीं कार्यालय सहायक तथा कार्यालय अधीक्षकों की डीपीसी वर्ष 2015-16 तक की जा चुकी है। इसमें भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति वाला कॉलम शून्य दर्शाया गया है।
...तो जिम्मेदार होंगे समिति अध्यक्ष
आदेश की पालना में सभी विभागों के जिम्मेदारों ने कर्मचारी हित से जुड़े मुद्दों के निस्तारण को लेकर समितियों का गठन करने के आदेश दिए। तय किया कि लंबित प्रकरणों के निस्तारण में देरी को लेकर समिति अध्यक्ष जिम्मेदार होंगे। इस बीच, आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, जयपुर से आरटीआई के तहत 13 दिसम्बर को प्राप्त हुई जानकारी में सामने आया कि प्रदेश में कनिष्ठ लिपिक एवं वरिष्ठ लिपिकों की वर्ष 2013-14 से पदोन्नति नहीं हुई है। वहीं कार्यालय सहायक तथा कार्यालय अधीक्षकों की डीपीसी वर्ष 2015-16 तक की जा चुकी है। इसमें भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति वाला कॉलम शून्य दर्शाया गया है।
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