सीकर. मुख्य सचिव के निर्देश हैं कि किसी भी शिक्षक को डेपुटेशन पर नहीं लगाया जा सकता। दिलचस्प यह है कि प्रारंभिक शिक्षा विभाग के 100 से ज्यादा शिक्षक डेपुटेशन पर सरकारी कार्यालयों में बाबू का काम कर रहे हैं। जबकि उन्हें वेतन शिक्षक का ही मिल रहा है।
यूपीएस किरडोली छोटी का ही उदाहरण लीजिए। यहां पर सिर्फ दो ही शिक्षक है। आरटीई नियम कहते हैं कि मीडिल स्कूल में छह शिक्षकों का होना जरूरी है।
शिक्षक राजनीति व जिला अधिकारियों तक पहुंच का इस्तेमाल करके सरकारी ऑफिसों में डेपुटेशन करा लेते हैं, ताकि उन्हें पढ़ाना नहीं पड़े। कलेक्ट्रेट, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय, तहसील व एसडीएम ऑफिसों में 100 से ज्यादा शिक्षक डेपुटेशन पर लगे हुए हैं। सवाल यह है कि मुख्य सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक के निर्देश के बाद भी शिक्षकों का डेपुटेशन रद्द क्यों नहीं किया गया।
शिक्षकों को स्कूल में होना चाहिए, लेकिन वे डेपुटेशन पर लगे हैं
भास्कर पड़ताल में पता चला कि जिले में 150 से ज्यादा शिक्षक दो से तीन शिक्षकों के ही भरोसे चल रहे हैं। जबकि इन स्कूलों में डेपुटेशन रद्द करके शिक्षक पहुंचाए जा सकते हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की जरूरत है, लेकिन यहां पर दो से तीन शिक्षक ही काम कर रहे हैं। असल में, ज्यादातर डेपुटेशन दो से तीन साल से है। इनको लेकर कई बार शिकायतें भी होती रही है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती। कुछ शिक्षक तो डेपुटेशन के बाद भी सरकारी दफ्तरों में भी काम कराने के लिए आते। इन्हें राजनेताओं के कारण शह मिली हुई है।
वेतन में अंतर : बाबू को 23 हजार और शिक्षक को मिलते हैं 32 हजार रुपए
मोटे अनुमान के अनुसार, नए बाबू को 22 से 23 हजार रुपए का प्रति महीने वेतन मिलता है। जबकि नए शिक्षक का प्रति महीने का वेतन 31 से 32 हजार रुपए है। यानी बाबू से शिक्षक आठ से नौ हजार रुपए ज्यादा भी ले रहे हैं, लेकिन डेपुटेशन कराकर काम बाबू का ही कर रहे हैं। शिक्षक संगठन भी लगातार इस पर सवाल उठाते रहे हैं।
नियम : शिक्षकों की संख्या तय लेकिन, विभाग नहीं कर रहा पालना
आरटीई के नियम है कि मीडिल स्कूल में छह शिक्षक होने जरूरी होते हैं। स्थिति यह है कि आरटीई के नियम बना दिए गए हैं, लेकिन शिक्षा विभाग ही इनकी पालना नहीं कर रहा है।
मुख्य सचिव के आदेश में डेपुटेशन पर पूरी तरह है रोक
मुख्य सचिव का आदेश है कि शिक्षकों को चुनाव, जनगणना व प्राकृतिक आपदा के कार्यों में ही लगाया जा सकता है। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाना आरटीई के नियमों के विपरीत है।
दो मार्च को 60 शिक्षक और लगाए जाएंगे : शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग के डीईईओ जगदीशप्रसाद यादव का कहना है कि दो मार्च को नए शिक्षकों की काउंसलिंग होगी। इसमें 60 शिक्षक और लगाएंगे। डेपुटेशन को रद्द करने को लेकर भी जल्द प्रक्रिया की जाएगी।
शिक्षकों का डेपुटेशन रद्द करना चाहिए : शर्मा
शिक्षक की नियुक्ति अध्यापन कार्य के लिए हुई है। कार्यालयों में कार्य करने की इच्छा हो तो स्कूल समय बाद स्वेच्छा से काम कर सकता है।
उपेंद्र शर्मा, जिलाध्यक्ष, राज. शिक्षक संघ शेखावत
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यूपीएस किरडोली छोटी का ही उदाहरण लीजिए। यहां पर सिर्फ दो ही शिक्षक है। आरटीई नियम कहते हैं कि मीडिल स्कूल में छह शिक्षकों का होना जरूरी है।
शिक्षक राजनीति व जिला अधिकारियों तक पहुंच का इस्तेमाल करके सरकारी ऑफिसों में डेपुटेशन करा लेते हैं, ताकि उन्हें पढ़ाना नहीं पड़े। कलेक्ट्रेट, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय, तहसील व एसडीएम ऑफिसों में 100 से ज्यादा शिक्षक डेपुटेशन पर लगे हुए हैं। सवाल यह है कि मुख्य सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक के निर्देश के बाद भी शिक्षकों का डेपुटेशन रद्द क्यों नहीं किया गया।
शिक्षकों को स्कूल में होना चाहिए, लेकिन वे डेपुटेशन पर लगे हैं
भास्कर पड़ताल में पता चला कि जिले में 150 से ज्यादा शिक्षक दो से तीन शिक्षकों के ही भरोसे चल रहे हैं। जबकि इन स्कूलों में डेपुटेशन रद्द करके शिक्षक पहुंचाए जा सकते हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की जरूरत है, लेकिन यहां पर दो से तीन शिक्षक ही काम कर रहे हैं। असल में, ज्यादातर डेपुटेशन दो से तीन साल से है। इनको लेकर कई बार शिकायतें भी होती रही है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती। कुछ शिक्षक तो डेपुटेशन के बाद भी सरकारी दफ्तरों में भी काम कराने के लिए आते। इन्हें राजनेताओं के कारण शह मिली हुई है।
वेतन में अंतर : बाबू को 23 हजार और शिक्षक को मिलते हैं 32 हजार रुपए
मोटे अनुमान के अनुसार, नए बाबू को 22 से 23 हजार रुपए का प्रति महीने वेतन मिलता है। जबकि नए शिक्षक का प्रति महीने का वेतन 31 से 32 हजार रुपए है। यानी बाबू से शिक्षक आठ से नौ हजार रुपए ज्यादा भी ले रहे हैं, लेकिन डेपुटेशन कराकर काम बाबू का ही कर रहे हैं। शिक्षक संगठन भी लगातार इस पर सवाल उठाते रहे हैं।
नियम : शिक्षकों की संख्या तय लेकिन, विभाग नहीं कर रहा पालना
आरटीई के नियम है कि मीडिल स्कूल में छह शिक्षक होने जरूरी होते हैं। स्थिति यह है कि आरटीई के नियम बना दिए गए हैं, लेकिन शिक्षा विभाग ही इनकी पालना नहीं कर रहा है।
मुख्य सचिव के आदेश में डेपुटेशन पर पूरी तरह है रोक
मुख्य सचिव का आदेश है कि शिक्षकों को चुनाव, जनगणना व प्राकृतिक आपदा के कार्यों में ही लगाया जा सकता है। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाना आरटीई के नियमों के विपरीत है।
दो मार्च को 60 शिक्षक और लगाए जाएंगे : शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग के डीईईओ जगदीशप्रसाद यादव का कहना है कि दो मार्च को नए शिक्षकों की काउंसलिंग होगी। इसमें 60 शिक्षक और लगाएंगे। डेपुटेशन को रद्द करने को लेकर भी जल्द प्रक्रिया की जाएगी।
शिक्षकों का डेपुटेशन रद्द करना चाहिए : शर्मा
शिक्षक की नियुक्ति अध्यापन कार्य के लिए हुई है। कार्यालयों में कार्य करने की इच्छा हो तो स्कूल समय बाद स्वेच्छा से काम कर सकता है।
उपेंद्र शर्मा, जिलाध्यक्ष, राज. शिक्षक संघ शेखावत
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