जयपुर | भाजपासरकार के तीन साल के कार्यकाल में सरकारी विभागों में एक लाख से अधिक भर्तियां निकाली गई। इनमें से 42 विभागों में अब तक करीब 8 हजार लोगों को नियुक्ति दी गई है। कोर्ट में फंसने के कारण 48 हजार और एसबीसी आरक्षण विवाद के कारण करीब 28 हजार भर्तियां अटकी हुई हैं।
2013में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में आधिकारिक रूप से कहा कि सरकार ने पांच साल में एक लाख 42 हजार 820 पदों पर नियुक्ति दी है।
उनकी सरकार का नियुक्तियों का यह आंकड़ा सरकार के जाने तक करीब एक लाख 60 हजार बताया जा रहा है।
कार्मिक विभाग के रिकार्ड के अनुसार विभागों की ओर से तीन साल में ताबड़तोड़ एक लाख से अधिक भर्तियां निकाली गई। उनमें से अभी तक करीब आठ हजार लोगों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है। इसके अलावा सात हजार भर्तियां ऐसी हैं जो अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई, लेकिन नियुक्ति भाजपा कार्यकाल में मिली। ऐसे में नए और पुरानी नियुक्तियों को मिलाकर तीन साल में 15 हजार युवाओं को सरकारी सेवा में आने का मौका मिला। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल 58 हजार भर्तियां आज भी कानूनी विवादों के कारण नहीं हो पाई है, जबकि वसुंधरा सरकार के कार्यकाल की 48 हजार नियुक्तियां कोर्ट में लंबित हैं। इन दोनों ही आंकड़ों को मिला दिया जाए तो दोनों सरकारों की करीब 1.06 लाख नौकरियां कानूनी विवाद में लटकी हुई हैं।
गहलोत सरकार की 58 हजार भर्तियां आज भी लटकी
1.थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती 2012 : इस भर्ती में 40,000 पदों पर नियुक्ति दी गई थी। आरटेट में अंकों की छूट का मामला सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से निपट चुका है। संशोधित परिणाम जारी हो गया है, लेकिन एसबीसी आरक्षण के कारण नियमितिकरण का मामला मामला अटक गया है।
2.थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती 2013 : 20 हजार पदों के लिए हुई इस भर्ती में भी आरटेट में अंकों की छूट का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण केवल 13 हजार को ही नियुक्ति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में मामला सुलझ चुका है। 7 हजार को नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी, लेकिन एसबीसी आरक्षण से मामला अटका हुआ है।
3. पंचायत एलडीसी 2013 : पंचायत एलडीसी के लिए 2013 में 11 हजार भर्तियां निकाली गई थी, लेकिन कई लिटिगेशन चल रहे थे। कोर्ट के फैसले चुके हैं। इसके बाद अब विभाग स्तर पर भर्ती के लिए जिलों से मैरिट तैयार करवा रहा है।
एक परीक्षा में हुई धांधली
भाजपा सरकार के कार्यकाल में केवल प्रहरी भर्ती परीक्षा में ही धांधली की गई, जिसके चलते पेपर आउट हुआ। इस परीक्षा को नए सिरे से कराने की तैयारी चल रही है। इस मामले में जयपुर, चूरू, अजमेर, जोधपुर, गंगानगर सहित विभिन्न जिलों में आठ मुकदमे दर्ज किए गए।
एसबीसी आरक्षण के चलते अटकीं 28253 भर्तियां
ग्रामसेवक की 3648, छात्र अधीक्षक 300, पशुधन सहायक 1789, स्किल डवलपमेंट 402, स्कूल व्याख्याता की 13098, द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 6468, प्रयोगशाला सहायक पदों पर 1896, पुस्तकालय पदों पर 562, राजस्थान यूनिवर्सिटी में 90 नॉन टीचिंग पोस्ट पर एसबीसी के कारण भर्तियां रोकी गई।
48 हजार कोर्ट में फंसी हैं
तृतीयश्रेणी शिक्षक भर्ती 2016 के 15 हजार पदों तथा 33 हजार पदों पर विद्यालय सहायक भर्ती प्रक्रिया कई कारणों से कोर्ट में अटकी हैं।
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2013में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में आधिकारिक रूप से कहा कि सरकार ने पांच साल में एक लाख 42 हजार 820 पदों पर नियुक्ति दी है।
उनकी सरकार का नियुक्तियों का यह आंकड़ा सरकार के जाने तक करीब एक लाख 60 हजार बताया जा रहा है।
कार्मिक विभाग के रिकार्ड के अनुसार विभागों की ओर से तीन साल में ताबड़तोड़ एक लाख से अधिक भर्तियां निकाली गई। उनमें से अभी तक करीब आठ हजार लोगों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है। इसके अलावा सात हजार भर्तियां ऐसी हैं जो अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई, लेकिन नियुक्ति भाजपा कार्यकाल में मिली। ऐसे में नए और पुरानी नियुक्तियों को मिलाकर तीन साल में 15 हजार युवाओं को सरकारी सेवा में आने का मौका मिला। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल 58 हजार भर्तियां आज भी कानूनी विवादों के कारण नहीं हो पाई है, जबकि वसुंधरा सरकार के कार्यकाल की 48 हजार नियुक्तियां कोर्ट में लंबित हैं। इन दोनों ही आंकड़ों को मिला दिया जाए तो दोनों सरकारों की करीब 1.06 लाख नौकरियां कानूनी विवाद में लटकी हुई हैं।
गहलोत सरकार की 58 हजार भर्तियां आज भी लटकी
1.थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती 2012 : इस भर्ती में 40,000 पदों पर नियुक्ति दी गई थी। आरटेट में अंकों की छूट का मामला सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से निपट चुका है। संशोधित परिणाम जारी हो गया है, लेकिन एसबीसी आरक्षण के कारण नियमितिकरण का मामला मामला अटक गया है।
2.थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती 2013 : 20 हजार पदों के लिए हुई इस भर्ती में भी आरटेट में अंकों की छूट का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण केवल 13 हजार को ही नियुक्ति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में मामला सुलझ चुका है। 7 हजार को नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी, लेकिन एसबीसी आरक्षण से मामला अटका हुआ है।
3. पंचायत एलडीसी 2013 : पंचायत एलडीसी के लिए 2013 में 11 हजार भर्तियां निकाली गई थी, लेकिन कई लिटिगेशन चल रहे थे। कोर्ट के फैसले चुके हैं। इसके बाद अब विभाग स्तर पर भर्ती के लिए जिलों से मैरिट तैयार करवा रहा है।
एक परीक्षा में हुई धांधली
भाजपा सरकार के कार्यकाल में केवल प्रहरी भर्ती परीक्षा में ही धांधली की गई, जिसके चलते पेपर आउट हुआ। इस परीक्षा को नए सिरे से कराने की तैयारी चल रही है। इस मामले में जयपुर, चूरू, अजमेर, जोधपुर, गंगानगर सहित विभिन्न जिलों में आठ मुकदमे दर्ज किए गए।
एसबीसी आरक्षण के चलते अटकीं 28253 भर्तियां
ग्रामसेवक की 3648, छात्र अधीक्षक 300, पशुधन सहायक 1789, स्किल डवलपमेंट 402, स्कूल व्याख्याता की 13098, द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 6468, प्रयोगशाला सहायक पदों पर 1896, पुस्तकालय पदों पर 562, राजस्थान यूनिवर्सिटी में 90 नॉन टीचिंग पोस्ट पर एसबीसी के कारण भर्तियां रोकी गई।
48 हजार कोर्ट में फंसी हैं
तृतीयश्रेणी शिक्षक भर्ती 2016 के 15 हजार पदों तथा 33 हजार पदों पर विद्यालय सहायक भर्ती प्रक्रिया कई कारणों से कोर्ट में अटकी हैं।
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