सीकर आयकर रिटर्न जमा कराने को लेकर शिक्षा विभाग और आयकर विभाग के नियम शिक्षकों पर भारी पड़ रहे हैं। वजह आयकर रिटर्न के लिए मकान मालिक के पेन कार्ड की अनिवार्यता के कथित नियम के कारण ग्रामीण अंचल में रहने वाले शिक्षकों को परेशानी हो रही है।
ग्रामीण क्षेत्र में सबसे अधिक परेशानी
ग्रामीण अंचल में रह रहे शिक्षकों में अधिकांश मकान मालिकों के पास पेन कार्ड नहीं है। जबकि 31 मार्च तक रिटर्न भरने की अनिवार्यता के कारण शिक्षक परेशान है। कई जगह तो शिक्षक अपने खर्च पर मकान मालिक का पेनकार्ड बनवा रहे हैं। वहीं कई जगह तो मकान मालिक पेन कार्ड तक बनवाने को तैयार नहीं है। एेसे में शिक्षकों को मजबूरन कटौती करवानी पड़ रही है।
यह है मामला
मकान किराए में छूट के लिए मकान मालिक की दी गई मकान किराए की रसीद और पेन कार्ड की रसीद देनी होती है। इसके लिए 31 मार्च तक रिटर्न दाखिल करनी होती है। आयकर विभाग और शिक्षा विभाग के अलग-अलग नियमों के कारण शिक्षकों की रिटर्न जमा नहीं हो पा रही है। शिक्षा विभाग बिना किराए के भुगतान की राशि जाने सैकंडरी और सीनियर सैकंडरी के शिक्षकों से मकान मालिक के किराएनामे की और पेन कार्ड की प्रति मांग रहा है। आयकर विभाग के नियमों से अलग प्रत्येक कर्मचारी से किराये नामे की रसीद और पेन कार्ड मांग रहे हैं।
मूल वेतन का दस प्रतिशत हाउस रेंट एलाउंस एचआरए मिलता है। आयकर विभाग ने मकान किराए को लेकर तीन श्रेणियां निर्धारित की है। प्रथम श्रेणी के अनुसार मकान किराया 2,999 रुपए तक है रसीद और पेन कार्ड की प्रतिलिपि देने की जरूरत नहीं होती है। दूसरी श्रेणी में मकान किराया तीन हजार रुपए से अधिक है और किराएदार 8,333 रुपए चुका रहा तो किराए नामे की रसीद देनी होती है। तृतीय श्रेणी में मकान किराया तीन हजार से अधिक है और किराएदार 8,333 रुपए से अधिक भुगतान कर रहा है तो किरादार को छूट के लिए किराएनामे की रसीद और पैन कार्ड की प्रतिलिपि देनी होती है। तभी उसे छूट मिल पाती है।
यह सही है कि जिले में कई डीडीओ आयकर विभाग के नियमों के विपरीत किराएनामे और मकान मालिक के पेनकार्ड की प्रतिलिपि मांग रहे हैं। जब मकान मालिक पेनकार्ड दे ही नहीं रहे हैं तो शिक्षक कैसे रिटर्न दाखिल करेंगे। इससे जिले में सैंकडरी व सीनियर सैकंडरी स्तर के शिक्षकों को सर्वाधिक परेशानी हो रही है। जिनकी संख्या जिले में करीब पांच हजार है।
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ग्रामीण क्षेत्र में सबसे अधिक परेशानी
ग्रामीण अंचल में रह रहे शिक्षकों में अधिकांश मकान मालिकों के पास पेन कार्ड नहीं है। जबकि 31 मार्च तक रिटर्न भरने की अनिवार्यता के कारण शिक्षक परेशान है। कई जगह तो शिक्षक अपने खर्च पर मकान मालिक का पेनकार्ड बनवा रहे हैं। वहीं कई जगह तो मकान मालिक पेन कार्ड तक बनवाने को तैयार नहीं है। एेसे में शिक्षकों को मजबूरन कटौती करवानी पड़ रही है।
यह है मामला
मकान किराए में छूट के लिए मकान मालिक की दी गई मकान किराए की रसीद और पेन कार्ड की रसीद देनी होती है। इसके लिए 31 मार्च तक रिटर्न दाखिल करनी होती है। आयकर विभाग और शिक्षा विभाग के अलग-अलग नियमों के कारण शिक्षकों की रिटर्न जमा नहीं हो पा रही है। शिक्षा विभाग बिना किराए के भुगतान की राशि जाने सैकंडरी और सीनियर सैकंडरी के शिक्षकों से मकान मालिक के किराएनामे की और पेन कार्ड की प्रति मांग रहा है। आयकर विभाग के नियमों से अलग प्रत्येक कर्मचारी से किराये नामे की रसीद और पेन कार्ड मांग रहे हैं।
मूल वेतन का दस प्रतिशत हाउस रेंट एलाउंस एचआरए मिलता है। आयकर विभाग ने मकान किराए को लेकर तीन श्रेणियां निर्धारित की है। प्रथम श्रेणी के अनुसार मकान किराया 2,999 रुपए तक है रसीद और पेन कार्ड की प्रतिलिपि देने की जरूरत नहीं होती है। दूसरी श्रेणी में मकान किराया तीन हजार रुपए से अधिक है और किराएदार 8,333 रुपए चुका रहा तो किराए नामे की रसीद देनी होती है। तृतीय श्रेणी में मकान किराया तीन हजार से अधिक है और किराएदार 8,333 रुपए से अधिक भुगतान कर रहा है तो किरादार को छूट के लिए किराएनामे की रसीद और पैन कार्ड की प्रतिलिपि देनी होती है। तभी उसे छूट मिल पाती है।
यह सही है कि जिले में कई डीडीओ आयकर विभाग के नियमों के विपरीत किराएनामे और मकान मालिक के पेनकार्ड की प्रतिलिपि मांग रहे हैं। जब मकान मालिक पेनकार्ड दे ही नहीं रहे हैं तो शिक्षक कैसे रिटर्न दाखिल करेंगे। इससे जिले में सैंकडरी व सीनियर सैकंडरी स्तर के शिक्षकों को सर्वाधिक परेशानी हो रही है। जिनकी संख्या जिले में करीब पांच हजार है।
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