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इस गांव में नेता नहीं लड़कियों के नाम पर बन रही हैं सड़कें, उद्घाटन भी उन्हीं के हाथों ताकि किसी लड़की को बोझ नहीं समझा जाए

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में एक गांव है अमरपुरा जालू। यहां करीब साढ़े तीन हजार लोग रहते हैं। हर एक हजार लड़कों पर 872 लड़कियां हैं। जबकि लिंग अनुपात का राष्ट्रीय औसत प्रति हजार लड़कों पर 940 लड़कियों का है। इस छोटे से गांव ने बेटियों को बचाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए अनूठा प्रयोग किया है।
यहां अब किसी मंत्री या विधायक नहीं,बेटियों के नाम पर सड़कें बनाने की शुरुआत हुई है। बीते रविवार गांव में ऐसी पहली सड़क का उद्घाटन हुआ। इसका नाम बिरखा-साक्षी मार्ग रखा गया है। ये दोनों इसी गांव की बेटियां हैं। सड़क के किनारे लगने वाली उद्घाटन पटि्टका पर भी बाकायदा उन लड़कियों के नाम के नाम लिखे गए हैं। इस सड़क का उद्घाटन बरखा,साक्षी सहित छह लड़कियों ने किया है। बाकी चार के नाम उद्घाटनकर्ता के तौर पर लिखे गए हैं। गांव के सरपंच एडवोकेट राजेंद्र मूंड बताते हैं,‘अभी तो शुरुआत हुई है। आगे जितनी सड़कें बनेंगी,सभी को गांव की बेटियों के ही नाम से जाना जाएगा। अभी जिन छह बेटियों ने सड़क का उद्घाटन किया है,उनमें हर वर्ग शामिल है। ये श्रमिक,किसान माली समाज की हैं। इसके पीछे सोच यही है कि हम सामाजिक आधार पर भी बेटियों को नहीं बांटें। आगे जो सड़कें बनेंगी,उन्हें उन बेटियों के नाम किया जाएगा जो किसी परीक्षा,खेल या दूसरे क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करेंगी। ऐसा इसलिए कि माता-पिता अपनी लड़कियों को सिर्फ घर के काम में उलझाए रखने के बजाए उन्हें पढ़ाई,खेल,संगीत और जिंदगी के दूसरे क्षेत्रों में आगे बढ़ाएं। भविष्य में दूसरी सरकारी योजनाओं के तहत होने वाले निर्माण में भी लड़कियों को शामिल करेंगे।’ रविवार को बिरखा-साक्षी मार्ग का उद्घाटन करने वाली लड़कियां भी बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा हमें ऐसा महसूस हो रहा है कि हम कितने महत्वपूर्ण हैं। लोग हमें जानेंगे। यहां नाम देखकर ऐसा लगता है कि अब आगे देश और दुनिया में भी अपना और मां-पापा का नाम रौशन करें।
योजना की पहली सड़क का उद्घाटन करतीं बेटियां
Ãहमारा एक ही मकसद है-गांव के हर घर में बेटियों को सम्मान दिलाना। कोई भी माता-पिता किसी बेटी को बोझ समझें। उन्हें ये अहसाास हो कि बेटियां उतनी ही अनमोल हैं जितने बेटे। पूरे देश में लड़कियों को बचाने की मुहिम चल रही है। इसलिए ग्राम पंचायत ने तय किया कि हमें भी अपने स्तर पर कुछ प्रयास करने चाहिए। ताकि पूरे क्षेत्र में सिर्फ बेटियाें की संख्या बढ़े बल्कि उन्हें उनकी जिंदगी में भी आगे बढ़ने का मौका मिले।’-राजेंद्र मूंड,सरपंच

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