कार्यालय संवाददाता | गंगापुर सिटी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक अब पढ़ाने से जी नहीं चुरा सकेंगे। उन्हें समय पर स्कूल आना होगा और निर्धारित समय पर ही वे स्कूल छोड़ सकेंगे। गांव में आदर्श सीनियर सेकंडरी स्कूल का प्रिंसीपल इन शिक्षकों पर निगरानी रखेगा।
यही नहीं इन शिक्षकों को अपने छोटे-छोटे काम के लिए ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय के चक्कर काटने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। उनकी समस्याओं का समाधान प्रिंसीपल स्तर पर ही हो सकेगा। स्कूलों में शिक्षकों की समस्याओं के तुरंत समाधान और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने नई योजना बनाई है। इसमें प्रिंसीपल को माध्यमिक शिक्षा के साथ-साथ प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों पर भी निगरानी की जिम्मेदारी दी जाएगी। इस योजना के बाद बीईईओ के अधिकार कम होंगे और प्रिंसीपल के अधिकार में बढ़ोतरी होगी।
बीईईओ के अधिकार होंगे कम
अबतक प्रारंभिक शिक्षा के स्कूल संबंधित ब्लॉक के बीईईओ के अधीन होते हैं। स्कूलों का निरीक्षण करने, वेतन जारी करने सहित प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों से जुड़े अन्य काम बीईईओ को ही देखने पड़ते हैं। नई योजना से बीईईओ के अधिकार कम हो जाएंगे। माना जा रहा है कि उन्हें केवल स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता पर ही ध्यान देने के अधिकार होंगे। वे स्कूलों में पढ़ाई में रही समस्याओं और उन्हें दूर करने के लिए प्रिंसीपल को सुझाव दे सकेंगे।
^प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में यह सकारात्मक प्रभावी कदम है। इससे मॉनिटरिंग सिस्टम प्रभावी होगा तथा सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य किया जाएगा। रविन्द्रधनवाल, प्रधानाचार्य, रा.आदर्श उमावि वजीरपुर
यह होगा फायदा
शिक्षकोंकी समस्या बताने के लिए बीईईओ कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। जिले में कई स्कूल जिला मुख्यालय से लंबी दूरी पर स्थित हैं जिससे शिक्षकों को अवकाश लेकर ही कार्यालय आना पड़ता है। नई व्यवस्था में शिक्षक कभी भी प्रिंसीपल कम पीईईओ को अपनी समस्या बता सकते हैं। एक बीईईओ के पास करीब 300 स्कूल है जिससे बीईईओ सभी विद्यालयों की मॉनिटरिंग नहीं कर पाते हैं। वे विभाग की योजनाओं को लागू करने और आए दिन होने वाली बैठकों में इतने व्यस्त रहते हैं कि निरीक्षण के लिए स्कूलों में नहीं पहुंच पाते। नई योजना से शिक्षकों को राहत मिलेगी। साथ ही समय पर काम हो सकेंगे।
बीईईओकी जगह पीईईओ रखेंगे सेवा पुस्तिका
किसीगांव के सभी स्कूल वहां के आदर्श सीनियर सेकंडरी स्कूल के प्रिंसीपल के अधीन होंगे। प्रिंसीपल को पंचायत एलीमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर (पीईईओ) नाम दिया जाएगा। पीईईओ का काम होगा कि वे गांव के सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक स्कूल सहित अन्य सभी स्कूलों पर भी निगरानी रखेंगे। योजना के अनुसार आदर्श स्कूल के इन प्रिंसीपल को प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों का निरीक्षण करने, सेवा पुस्तिका भरने, रिकार्ड संधारित करने, वेतन जारी करने सहित कई प्रकार के अधिकार दिए जाएंगे। इससे शिक्षकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में भी त्वरित गति से काम हो सकेगा। साथ ही स्कूलों की मॉनिटरिंग भी हो सकेगी।
यही नहीं इन शिक्षकों को अपने छोटे-छोटे काम के लिए ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय के चक्कर काटने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। उनकी समस्याओं का समाधान प्रिंसीपल स्तर पर ही हो सकेगा। स्कूलों में शिक्षकों की समस्याओं के तुरंत समाधान और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने नई योजना बनाई है। इसमें प्रिंसीपल को माध्यमिक शिक्षा के साथ-साथ प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों पर भी निगरानी की जिम्मेदारी दी जाएगी। इस योजना के बाद बीईईओ के अधिकार कम होंगे और प्रिंसीपल के अधिकार में बढ़ोतरी होगी।
बीईईओ के अधिकार होंगे कम
अबतक प्रारंभिक शिक्षा के स्कूल संबंधित ब्लॉक के बीईईओ के अधीन होते हैं। स्कूलों का निरीक्षण करने, वेतन जारी करने सहित प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों से जुड़े अन्य काम बीईईओ को ही देखने पड़ते हैं। नई योजना से बीईईओ के अधिकार कम हो जाएंगे। माना जा रहा है कि उन्हें केवल स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता पर ही ध्यान देने के अधिकार होंगे। वे स्कूलों में पढ़ाई में रही समस्याओं और उन्हें दूर करने के लिए प्रिंसीपल को सुझाव दे सकेंगे।
^प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में यह सकारात्मक प्रभावी कदम है। इससे मॉनिटरिंग सिस्टम प्रभावी होगा तथा सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य किया जाएगा। रविन्द्रधनवाल, प्रधानाचार्य, रा.आदर्श उमावि वजीरपुर
यह होगा फायदा
शिक्षकोंकी समस्या बताने के लिए बीईईओ कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। जिले में कई स्कूल जिला मुख्यालय से लंबी दूरी पर स्थित हैं जिससे शिक्षकों को अवकाश लेकर ही कार्यालय आना पड़ता है। नई व्यवस्था में शिक्षक कभी भी प्रिंसीपल कम पीईईओ को अपनी समस्या बता सकते हैं। एक बीईईओ के पास करीब 300 स्कूल है जिससे बीईईओ सभी विद्यालयों की मॉनिटरिंग नहीं कर पाते हैं। वे विभाग की योजनाओं को लागू करने और आए दिन होने वाली बैठकों में इतने व्यस्त रहते हैं कि निरीक्षण के लिए स्कूलों में नहीं पहुंच पाते। नई योजना से शिक्षकों को राहत मिलेगी। साथ ही समय पर काम हो सकेंगे।
बीईईओकी जगह पीईईओ रखेंगे सेवा पुस्तिका
किसीगांव के सभी स्कूल वहां के आदर्श सीनियर सेकंडरी स्कूल के प्रिंसीपल के अधीन होंगे। प्रिंसीपल को पंचायत एलीमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर (पीईईओ) नाम दिया जाएगा। पीईईओ का काम होगा कि वे गांव के सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक स्कूल सहित अन्य सभी स्कूलों पर भी निगरानी रखेंगे। योजना के अनुसार आदर्श स्कूल के इन प्रिंसीपल को प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों का निरीक्षण करने, सेवा पुस्तिका भरने, रिकार्ड संधारित करने, वेतन जारी करने सहित कई प्रकार के अधिकार दिए जाएंगे। इससे शिक्षकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में भी त्वरित गति से काम हो सकेगा। साथ ही स्कूलों की मॉनिटरिंग भी हो सकेगी।
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