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सरकार ने यह फरमान जारी कर फिर खराब कर दिया शिक्षकों का मूड

सरकार ने यह फरमान जारी कर फिर खराब कर दिया शिक्षकों का मूड
सीकर ।सरकारी स्कूल के प्रति सरकार की नीतियां फिर सवालों में हैं। पहले प्रवेशोत्सव के दौरान स्टाफिंग पैटर्न, तबादला और समानीकरण कर स्कूलों का पीटीआर (शिक्षक छात्र अनुपात) बिगाड़ा। अब सरकार शिक्षकों को जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने में लगाकर शिक्षा व्यवस्था का भट्ठा बिठा रही है। ऐसे में जहां सरकार सरकारी स्कूलों के प्रति सरकार की गैर संजीदगी के आरोपों से घिर गई है। वहीं, इससे शिक्षक संगठनों में भी रोष है।
यूं बिगाड़ा खाका
सरकार ने पहले समानीकरण व तबादले की प्रक्रिया शुरू की। प्रवेशोत्सव के दौरान शिक्षकों को भारी मात्रा में इधर से उधर किया गया। जिसमें एक ही पद पर दो से तीन शिक्षक, तो कहीं बेहतर नामांकन पर भी शिक्षक नहीं होने की स्थिति बन गई। इसके बाद स्टाफिंग पैटर्न लागू किया। इसमें भी स्कूलों में नामांकन के हिसाब से पद आवंटित नहीं किए गए।
व्याख्याता देने के नाम पर स्कूल से द्वितीय श्रेणी शिक्षकों को हटाकर शिक्षा व्यवस्था को डांवा डोल कर दिया गया। अब भी एक ओर जहां पंचायतीराज शिक्षकों के सेटअप परिवर्तन को अधूरा छोड़ रखा है। तो, शिक्षकों को जनसंख्या रजिस्टर के काम में जोड़ स्कूलों को फिर नए भंवर में फंसा दिया है।
द्वितीय श्रेणी शिक्षकों को भी लगाया
जनसंख्या रजिस्टर के काम में एक ओर गड़बड़झाला हुआ है। शासन सचिव ने केवल तृतीय श्रेणी शिक्षकों को ही रजिस्टर अपडेट के काम में लगाने के आदेश जारी किए थे। लेकिन, जिला प्रशासन ने द्वितीय श्रेणी शिक्षकों को भी इस काम में लगा दिया। जिले में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं।
एक महीने रहेंगे स्कूल से दूर
शिक्षकों को अब सौंपा गया काम जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट कर उसे आधार कार्ड से जोडऩे का है। जिसके लिए शिक्षा शासन सचिव ने शिक्षा निदेशक को तृतीय श्रेणी शिक्षकों को 10 अक्टूबर से 9 नवंबर तक कार्यमुक्त करने के आदेश जारी किए हुए हैं। ऐसे में शिक्षकों की कमी से तालाबंदी झेल रहे स्कूलों के हालात ओर खराब हो गए हैं।
आरटीई एक्ट भी भुलाया
शिक्षकों को जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने में लगाना आरटीई एक्ट (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) का उल्लंघन भी है। क्योंकि एक्ट के तहत शिक्षकों को 10 वर्षीय जनगणना, आपदा प्रबंधन तथा स्थानीय निकाय से संसदीय चुनाव तक के कार्यों के अलावा किसी गैर शैक्षिक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता है।
शिक्षक शैक्षिक कार्यों के लिए हैं। इसलिए सरकार को उनसे केवल शैक्षिक कार्य करवाना चाहिए। यदि परिणाम बेहतर ना हो, तो फिर कार्रवाई स्वरूप किसी दूसरे काम में लगा सकती है।
महेन्द्र पाण्डे, महामंत्री, राजस्थान प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षक संघ
शिक्षकों ने अभिभावकों को विश्वास में लेकर स्कूलों का नामांकन बढ़ाया था। लेकिन, सरकारी नीतियों से वह विश्वास टूट रहा है। सरकारी नीति किसी साजिश का हिस्सा लग रही है।
उपेन्द्र शर्मा, जिलाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत,सीकर

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