छह साल बाद शिक्षा विभाग ने कतरे शिक्षकों के पर
सीकर । माध्यमिक स्कूलों में पातेय वेतन पर प्रधानाध्यापक बने वरिष्ठ शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग यूज एण्ड थ्रो सरीखा बर्ताव कर रहा है। विभाग उन्हें प्रधानाध्यापक से वापस वरिष्ठ शिक्षक बना रहा है। खुद विभाग ने 2009 में इनकी नियुक्ति न केवल उनकी वरिष्ठता व अनुभव के आधार पर की थी बल्कि छह महीने में डीपीसी कराने की बात कह उनकी स्थाई पदोन्नति की राह भी खोली थी, लेकिन छह साल में विभाग ने पहले तो समय पर डीपीसी नहीं की।
सीकर । माध्यमिक स्कूलों में पातेय वेतन पर प्रधानाध्यापक बने वरिष्ठ शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग यूज एण्ड थ्रो सरीखा बर्ताव कर रहा है। विभाग उन्हें प्रधानाध्यापक से वापस वरिष्ठ शिक्षक बना रहा है। खुद विभाग ने 2009 में इनकी नियुक्ति न केवल उनकी वरिष्ठता व अनुभव के आधार पर की थी बल्कि छह महीने में डीपीसी कराने की बात कह उनकी स्थाई पदोन्नति की राह भी खोली थी, लेकिन छह साल में विभाग ने पहले तो समय पर डीपीसी नहीं की।
बाद में की तो 2012-13 तथा 2015-16 की डीपीसी कर 2013-14 तथा 2014-15 की डीपीसी छोड़ दी। अब माध्यमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद नहीं होने की बात कह पातेय वेतन प्रधानाध्यापकों को फिर से वरिष्ठ शिक्षक बना रही है।
छह महीने की थी पदोन्नति
वरिष्ठ शिक्षकों को 2009 में पातेय वेतन पर प्रधानाध्यापक भी छह महीने के लिए बनाया गया था। शिक्षा गु्रप दो के उप शासन सचिव की ओर से पदोन्नति के लिए जारी दिशा-निर्देश में साफ लिखा था कि प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक व वरिष्ठ शिक्षक के रिक्त पदों पर वरिष्ठता के हिसाब से छह महीने के लिए पदस्थापित किया जाएगा। इस छह महीने की अवधि में शिक्षा विभाग डीपीसी करेगा। लेकिन, इसके बाद भी विभाग ने समय पर डीपीसी नहीं की।
अब दिए तीन विकल्प
विभाग ने इन प्रधानाध्यापकों को पद छोडऩे के बदले अब तीन विकल्प दिए हैं। ये शिक्षक या तो माध्यमिक या उच्च माध्यमिक स्कूल में वरिष्ठ शिक्षक या स्नातकोत्तर योग्यता होने पर व्याख्याता के पद पर सेवाएं दे सकते हैं या प्रारंभिक शिक्षा विभाग में मिडिल स्कूल में प्रधानाध्यापक बन सकेंगे।
4,120 पद खाली, विभाग रोके अन्याय
पातेय वेतन प्रधानाध्यापकों को फिर से वरिष्ठ शिक्षक बनाए जाने पर शिक्षक संगठनों में भी आक्रोश है। रेसा जिलाध्यक्ष बनवारीलाल धायल ने बताया कि शिक्षा विभाग के पास अब भी 4120 पद खाली है। जबकि पातेय वेतन प्रधानाध्यापक 3800 ही है। ऐसे में विभाग वरिष्ठ शिक्षकों की डीपीसी कर इन खाली पदों को भरने के साथ शिक्षकों के साथ हो रहे अन्याय को रोक सकता है।
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