राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग व न्यायाधीश विनीत
कुमार माथुर की खंडपीठ ने अपील याचिका स्वीकार करते हुए आरएएस मुख्य
परीक्षा के लिए जारी प्रवेश पत्र में उल्लेखित शर्त के आधार पर केटेगरी में
परिवर्तन करने को अनुचित ठहराते हुए एकलपीठ के आदेश को अपास्त कर दिया।
कोर्ट ने कहा, कि प्रवेश पत्र जारी होने के बाद केटेगरी में बदलाव नहीं
किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता पीयूष कविया व अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर व
अधिवक्ता लोकेश माथुर ने विशेष अपील याचिका दायर कर कोर्ट को बताया, कि
याचिकाकर्ता आरपीएससी की ओर से आयोजित आरएएस भर्ती 2016 के आयोजित परीक्षा
में शामिल हुआ था। उसने नोन गजटेड ऑफिसर केटेगरी में आवेदन किया था और
प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसे मुख्य परीक्षा देने के लिए सफल
घोषित किया गया।
उन्होंने बताया कि रेस्पोडेंट सज्जनसिंह व अन्य ने भी इस परीक्षा के
आवेदन किया था और सरकारी कर्मचारी केटेगरी में आवेदन किया था। रेस्पोडेंट
ने भी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। मुख्य परीक्षा के प्रवेश पत्र
जारी किए गए। प्रवेश पत्र में उल्लेखित शर्त संख्या पांच के अनुसार
अभ्यर्थी ने केटेगरी में परिवर्तन के लिए आरपीएससी को आवेदन किया तो मना कर
दिया गया। आयोग का कहना था, कि इसके तहत केटेगरी में परिवर्तन नहीं किया
जा सकता है, केवल प्रवेश में गड़बड़ी को ही सुधारा जाएगा। इस पर रेस्पोडेंट
ने एकलपीठ में चुनौती दी और एकलपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए आरपीएससी
को केटेगरी में परिवर्तन करने के आदेश दिए। वरिष्ठ अधिवक्ता माथुर ने
कोर्ट को बताया, कि इस शर्त के अनुसार केवल प्रवेश पत्र में ही संशोधन किया
जा सकता है। केटेगरी में बदलाव के लिए आरपीएससी ने ऑनलाइन फॉर्म भरने की
अंतिम तिथि के बाद तीस दिन की अवधि दी थी। इस अवधि में रेस्पोडेंट ने कोई
सुधार नहीं किया। एकलपीठ का आदेश विधि विरुद्ध है। इसी तरह आरपीएससी की ओर
से भी वरिष्ठ अधिवक्ता जेपी जोशी ने कोर्ट को बताया, कि इस शर्त के अनुसार
केवल प्रवेश पत्र की त्रुटि में सुधार किया जाएगा, केटेगरी नहीं बदली जा
सकती है। रेस्पोडेंट की ओर से कहा गया, कि केटेगरी में बदलाव किया जा सकता
है और एकलपीठ का आदेश पूरी तरह से उचित है। सभी पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ
ने अपील याचिका स्वीकार करते हुए कहा, कि शर्त संख्या पांच पूरी तरह से
स्पष्ट है। इसके अनुसार केवल प्रवेश पत्र की त्रुटि में सुधार किया जा सकता
है, केटेगरी में बदलाव नहीं किया जा सकता है। रेस्पोडेंट के स्तर पर
लापरवाही बरती गई, जबकि किसी तरह के संशोधन के लिए आयोग ने समयावधि निश्चित
कर रखी थी। कोर्ट ने एकलपीठ द्वारा 24 नवंबर 2017 को दिए गए आदेश को
अपास्त कर दिया।
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