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ऑनलाइन काउन्सलिंग : रिक्त स्थान नहीं, फिर भी कर दिया समायोजित

अलवर. स्टाफिंग पैटर्न में शिक्षकों की हुई ऑनलाइन काउन्सलिंग में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। काउन्सलिंग में उन स्कूलों में शिक्षकों को समायोजित किया गया जिनमें रिक्त स्थान ही नहीं थे। काउन्सलिंग में परिवेदना लेकर आए शिक्षक उनके निस्तारण के लिए भटक रहे हैं।
बहुत से शिक्षकों का नाम ही 6-डी की सूची में नहीं है जिनके नाम से काउन्सलिंग कर दी गई।

राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बासदयालपुर से दो शिक्षिकाओं को राजकीय सीनियर माध्यमिक विद्यालय रसनाली में समायोजित किया गया। इस स्कूल में एक भी स्थान रिक्त नहीं है जिसके कारण इन्हें यहां ज्वाइन नहीं कराने दिया गया। एेसे उदाहरण जिले में कई हैं जिसके चलते बिना रिक्त स्थान वाले विद्यालयों में ही काउन्सलिंग में शिक्षक समायोजित कर दिए गए। राजकीय माध्यमिक विद्यालय पीपली मुंडावर में अंग्रेजी का पद दर्शा रखा था लेकिन उसमें इस विषय का पद ही नहीं है।

पहले समायोजन बताया, फिर कर दी काउन्सलिंग

ऑनलाइन काउन्सलिंग में बहुत से एेसे मामले सामने आए हैं कि जिसमें पहले सम्बन्धित शिक्षक को बताया कि उनका समायोजन हो गया है। दूसरे दिन उनका नाम काउन्सलिंग में आ गया और दूसरे स्थान पर भेज दिया गया। राजकीय माध्यमिक विद्यालय बल्लभ ग्राम खैरथल की शिक्षिका संतोष को बताया गया कि उनका समायोजन हो गया है लेकिन उनके स्थान पर एक अन्य शिक्षिका अंजली को लगा दिया। एेसे में इन्हें दूसरे स्कूल में जाना पड़ा।

भारी पड़ा 6-डी का नियम

शिक्षकों की ऑनलाइन काउन्सलिंग में शिक्षकों के लिए बना 6-डी का रूल महंगा पड़ा। नियम 6-डी में 31 मार्च 2009 तक के नाम लिए गए हैं जिन्हीं शिक्षकों की ऑनलाइन काउन्सलिंग होनी थी लेकिन इसके बाद वालों की काउन्सलिंग कर दी गई जबकि सीनियर शिक्षकों को इसमें शामिल ही नहीं किया गया। एेसे बहुत से शिक्षकों का समायोजन कर दिया गया है जिनका नाम 6-डी की सूची में है जिसके कारण उन्हें समायोजन खटाई में पड़ गया है।

ये हैं उदाहरण

शिक्षक बल्लू राम मीणा 2010 में अलवर जिले में आए। इनका नाम 6-डी में जोड़ कर उनका समायोजन कर दिया गया। उनकी पोस्टिंग राजकीय बालिका उच्च प्रावि. मोलिया में है अब इनका समायोजन जाड़ला राउमावि में हो गया। वे अपनी परिवेदना जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक द्वितीय को काउन्सलिंग से पहले दे चुके हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब इनकी कोई सुनने को तैयार नहीं है। कोटकासिम के शिक्षक रमेश तंवर की पोस्टिंग 1992 की है, उनका नाम काउंसलिंग में नहीं था।

काउन्सलिंग का फायदा किसे मिला?

काउन्सलिंग में यह भी नहीं देखा गया कि विद्यालय का जिस विषय के लिए समायोजन की सूची में नाम है, उसी विद्यालय में उस विषय का पद खाली है। अगर इसका ध्यान रखा जाता तो उस शिक्षक को अन्य स्थान पर नहीं जाना पड़ता। पंचायती राज शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर का कहना है कि काउन्सलिंग का पैटर्न अच्छा है लेकिन इसे पूर्णरूपेण व्यवस्थित ढंग से किया जान चाहिए था। संस्कृत और एसएसए विषय के शिक्षकों को लेवल-1 में पद स्थापन दिया गया जबकि उनके विषय की काउन्सलिंग के दिन उनके समीपवर्ती स्थान भर चुके थे। यह पहले देखा जाना चाहिए था कि लेवल-1 में कितनी पोस्ट खाली है और लेवल-2 में कितने शिक्षक लेने हैं। उस दिन उतने ही शिक्षकों को बुलाना चाहिए था।

समय को लेकर बढ़ा विवाद

शिक्षक नेता मुकेश मीणा का कहना है कि काउन्सलिंग की सबसे बड़ी खामी सूची चस्पा करने के समय को लेकर रहा। काउन्सलिंग 9 बजे से थी जबकि सुबह साढ़े 8 बजे लिस्ट लगाई गई। एेसे में यह सूची देखने का शिक्षकों का पर्याप्त समय ही नहीं मिला। सूची में किसका नाम है, यह सूची नेट पर नहीं डाली गई। इसी प्रकार असाध्य रोग की भी सही ढंग से परिभाषा नहीं की गई।
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