राजस्थान सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए लागू की गई ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना में हालिया बदलाव के बाद राज्य के शिक्षकों की चिंता बढ़ गई है। इस योजना के तहत किए गए संशोधन का सीधा असर ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों के स्कूलों में बच्चों की नियमित उपस्थिति और परिवहन व्यवस्था पर पड़ रहा है।
क्या है ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना
यह योजना उन विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई थी, जिन्हें अपने गांव से स्कूल आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पहले इस योजना की राशि स्कूल स्तर पर समिति के खाते में आती थी, जिससे स्कूल अपने स्तर पर वाहन व्यवस्था संचालित कर रहे थे। इससे बच्चों की स्कूल तक पहुंच आसान हो गई थी और नामांकन में भी बढ़ोतरी देखने को मिली थी।
बदलाव से क्यों बढ़ी परेशानी
अब इस योजना के तहत वाउचर की राशि सीधे विद्यार्थियों के बैंक खातों में भेजी जा रही है। इस बदलाव के कारण स्कूलों के पास सामूहिक रूप से वाहन संचालन के लिए धन की उपलब्धता नहीं रह गई है। कई ग्रामीण इलाकों में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा न के बराबर है, ऐसे में स्कूलों द्वारा चलाई जा रही वाहन सेवा बच्चों के लिए एकमात्र सहारा थी।
शिक्षकों पर बढ़ा अतिरिक्त बोझ
कई स्कूलों में शिक्षक और स्टाफ अपनी ओर से भी वाहन संचालन में सहयोग कर रहे थे। अब नई व्यवस्था के कारण यह संभव नहीं रह गया है। कुछ स्थानों पर शिक्षकों ने पहले ही वाहन संचालकों को भुगतान कर रखा है, लेकिन अब भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
शिक्षा और नामांकन पर असर की आशंका
शिक्षकों का मानना है कि यदि स्कूल स्तर पर परिवहन सुविधा बंद होती है तो
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दूर-दराज के बच्चों की स्कूल पहुंच मुश्किल हो जाएगी
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सरकारी स्कूलों में नामांकन घट सकता है
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बच्चों की नियमित उपस्थिति प्रभावित होगी
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शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है
शिक्षक संगठनों की मांग
शिक्षक संगठनों और स्थानीय शिक्षा कर्मियों ने सरकार से इस योजना पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि योजना का उद्देश्य बच्चों को स्कूल तक लाना है, लेकिन बदलाव के बाद यह उद्देश्य प्रभावित हो रहा है। शिक्षक चाहते हैं कि ऐसा समाधान निकाला जाए जिससे पारदर्शिता भी बनी रहे और स्कूलों में परिवहन व्यवस्था भी सुचारु रूप से चलती रहे।
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