उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से प्रदेश सरकार विश्वविद्यालय खोलती जा रही है, लेकिन जो पहले से विश्वविद्यालय खुले हुए हैं, उनकी स्थिति पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। उदाहरण जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का ही लें।
यहां शिक्षकों के 657 पद स्वीकृत हैं लेकिन इसमें से करीब 370 पद रिक्त पड़े हैं। इस वजह से कला संकाय में चल रहे स्नातकोत्तर विषयों की दशा बिगड़ती जा रही है। शिक्षकों की कमी के चलते एक विषय को बंद कर दिया है तो कुछ और बंद होने के कगार पर है। दरअसल, विवि में कला संकाय की स्नातकोत्तर स्तर की कक्षाएं भाषा प्रकोष्ठ विंग में चलती हैं पर इस विंग की चाल अब बिगड़ती जा रही है।
कला स्नातकोत्तर
स्तर के विभागों की हालात शिक्षकों की कमी से खराब होती जा रही है, वो भी
तब जब 2012-13 में विवादित भर्ती हो चुकी है। अगर यह भर्ती नहीं होती तो
स्नातकोत्तर के कई विभागों में जीरो सेशन करना पड़ता। हालात यह है कि कला
संकाय में कुल 193 पद स्वीकृत है लेकिन वर्तमान में 98 खाली है। हालांकि
विवि की ओर से राज्य सरकार को शिक्षकों के पद भरने के लिए पत्र लिखे जा
चुके हैं लेकिन अभी तक प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।
क्या है स्थिति
भाषा
प्रकोष्ठ के अधीन करीब 16 विभाग संचालित है। गृह विज्ञान विभाग में एक भी
शिक्षक नहीं होने की वजह से इस सत्र से यहां पीजी कक्षा संचालन बंद कर दिया
गया है। अन्य विभागों की हालत भी ऐसी ही होने वाली है। दर्शनशास्त्र विभाग
में कार्यरत एक मात्र शिक्षक का चयन हरिद्वार स्थित कांगडी विवि में हो
चुका है, वो यहां से जाने वाले हैं तो पत्रकारिता विभाग में एक भी शिक्षक
हैं। संस्कृत और राजस्थानी विभाग में 3-3 टीचर हैं। लोक प्रशासन विभाग दो
शिक्षक थे लेकिन एक ने इस्तीफा दिया और जो एक मात्र शिक्षक बचे हैं वे
जुलाई 2021 में रिटायर हो जाएंगे। इसके बाद यह विभाग भी शिक्षिक विहिन हो
जाएगा।
राज्य सरकार के पास भिजवाया है प्रस्ताव
^ हमने रोस्टर बनाना शुरू कर दिया है, अंतिम चरण चल रहा है। इसके अलावा नई भर्ती के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाया जा चुका है।
- प्रो. किशोरीलाल रैगर, डीन, कला संकाय
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