जयपुर: बिना तबादला नीति (Transfer Policy) के हुए तबादले एक बार फिर से शिक्षा विभाग के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं. अब तक स्कूल शिक्षा में होने वाले तबादले सबसे ज्यादा विवादों में घिरे हुए नजर आते थे, लेकिन अब संस्कृत शिक्षा (Sanskrit Education) और उच्च शिक्षा (Higher Education) में होने वाले तबादले विवादों से
अछूते नहीं हैं. पिछले दिनों संस्कृत शिक्षा में हुए बम्पर तबादले और उच्च शिक्षा में हुए तबादलों (Transfers) ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. संस्कृत शिक्षा में जहां बिना किसी तैयारी के तबादलों के आरोप लगे, तो वहीं उच्च शिक्षा में कांग्रेस विचारधारा के शिक्षक संगठनों ने आरएसएस (RSS) विचारधारा के शिक्षकों के मनचाही जगह पर तबादलों के आरोप लगाएं.उच्च शिक्षा में पिछले दिनों करीब 300 शिक्षकों की एक तबादला सूची जारी की गई. तबादला सूची जारी होने के साथ ही मानो विवादों ने एक नया आयाम स्थापित कर दिया. कांग्रेस विचारधारा से जुड़े हुए शिक्षक संगठन रुक्टा (RUCTA) ने इस तबादला सूची का जमकर विरोध किया. मामला यहीं नहीं रुका और शिक्षक संगठन द्वारा इसकी शिकायत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन से भी की गई. रुक्टा महामंत्री विजय कुमार का कहना है कि "ग्रुप 3 द्वारा जो तबादला सूची निकाली गई है. उसमें शिक्षक संघ रुक्टा राष्ट्रीय जो आरएसएस विचारधारा समर्थित माना जाता है. उनके करीब 30 से 40 शिक्षकों को उनके मनवांछित स्थानों पर तबादले में वरियता दी गई है. जबकि कांग्रेस विचारधारा से जुड़े हुए शिक्षक संगठन रुक्टा के शिक्षकों को दूरदराज हिस्सों में तबादले किए गए हैं. सरकार जहां एक ओर आरएसएस विचारधारा का विरोध करती है, तो वहीं दूसरी ओर आरएसएस विचारधारा के शिक्षकों को तोहफे के रूप में उनके मनवांछित स्थानों पर तबादले किए जा रहे हैं. जब तक इन तबादलों को निरस्त नहीं किया जाता तब तक शिक्षक संघ RUCTA लगातार विरोध करता रहेगा."
जब सरकार के पास उच्च शिक्षा में हुए इन तबादलों की शिकायत पहुंची, तो सरकार ने शिकायत पर तुरंत संज्ञान लेते हुए उच्च शिक्षा में हुए तबादलों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी. शिक्षा विभाग ग्रुप 3 की ओर से तुरंत प्रभाव से आदेश निकाला गया कि, जो तबादला सूची जारी की गई थी उस पर आगामी आदेशों तक रोक लगाई जाती है.
वहीं, दूसरी ओर पिछले सप्ताह मानो संस्कृत शिक्षा में तो तबादलों की बाढ़ सी आ गई. संस्कृत शिक्षा में 1 सप्ताह में ही करीब 2700 से ज्यादा शिक्षकों के तबादले किए गए. संस्कृत शिक्षा में करीब 25 फ़ीसदी से ज्यादा तबादले हुए, तो वहीं अकेले थर्ड ग्रेड में करीब 50 फ़ीसदी से ज्यादा शिक्षकों के तबादले किए गए. इनमें से अधिकतर तबादले तो ऐसे रहे जहां पर शिक्षक पहले से ही कार्यरत है और वहां अन्य शिक्षक का तबादला कर दिया गया, तो वहीं कई स्थानों पर एक पद के विरुद्ध दो-दो तबादले कर दिए गए. जो संस्कृत शिक्षा की बिना तैयारी के ही तबादलों की सूची जारी करने को दर्शाता है.
राजस्थान शिक्षक एवं कर्मचारी संघ समायोजित प्रदेश अध्यक्ष बीएल मिश्रा का कहना है कि "संस्कृत शिक्षा में बिना किसी तैयारी के तबादले किए गए हैं. प्रदेश की अधिकतर ऐसे स्कूल हैं जहां पर पहले से संस्कृत शिक्षा में शिक्षक कार्यरत हैं तो वहां पर अन्य शिक्षकों को लगा दिया गया, तो वहीं जहां पर पहले पद खाली थे और वहां पर शिक्षकों का पदस्थापन किया गया था. अब उन्हीं शिक्षकों को फिर से उनके पुराने पदों पर तबादला कर दिया गया है. ऐसे में उन स्कूलों में अब फिर से शिक्षकों के पद खाली हो गए हैं. ऐसे में संस्कृत शिक्षा मंत्री को चाहिए कि वह तुरंत इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए."
बहरहाल, उच्च शिक्षा में हुए तबादलों पर सरकार ने तुरंत संज्ञान लेते हुए रोक लगा दी है, तो वहीं संस्कृत शिक्षा में हुए तबादलों को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. ऐसे में एक बार फिर से बिना तबादला नीति के हुए तबादले ना सिर्फ सरकार के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं, बल्कि साथ ही शिक्षकों के लिए भी मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर रहे हैं.
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