प्रदेश के तकरीबन 2 हजार से अधिक चयनित शिक्षक तकरीबन 22 साल से अपनी नियुक्ति की बाट जोह रहे हैं, लेकिन उनका इंतजार पूरा होने का नाम नहीं ले रहा। ऐसे में इन चयनित शिक्षकों ने एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी दी है।आपको बता दें कि 1998 में जिला परिषद के माध्यम से प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया आरंभ की थी, जिसमें मेरिट के आधार पर शिक्षकों का चयन होना था। इस प्रक्रिया के तहत 10 फ़ीसदी गृह जिले और 5 फ़ीसदी ग्रामीण मूल निवास के बोनस अंक देने का प्रावधान था,जिसे लेकर कुछ अभ्यार्थी सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए कि राजस्थान के अभ्यर्थियों को जिले के आधार पर बोनस अंक दिया जाना असंवैधानिक है इसलिए वरीयता सूची बनाई जाए, लेकिन फिर भी सरकार ने बोनस अंकों के साथ ही नियुक्ति दे दी। ऐसे में कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल गई और अधिक अंक वाले वंचित रह गए ।
दो बार जारी किए नियुक्ति आदेशनियुक्ति से वंचित रहे उच्च वरीयता धारी अभ्यर्थियों के लिए सरकार ने वर्ष 2003 और वर्ष 2006 में नियुक्ति आदेश जारी किए लेकिन यह दोनों ही आदेश सरकारी इच्छाशक्ति के अभाव में कार्यान्वित नहीं हो पाए। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 1998 की मेरिट लिस्ट में से 2018 तक अनेक अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दी गई परंतु सरकार द्वारा इसका प्राकृतिक न्याय करते हुए एक सामान्य हाल नहीं निकाला गया। चयनित शिक्षकों ने इस प्रकरण को लेकर प्रदर्शन किया।
अब तक चार कमेटियां गठित
चयनित शिक्षकों के आंदोलन को देखते हुए सरकार अब तक प्रकरण के निस्तारण के लिए अब तक चार कमेटियां भी गठित कर चुकी है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। चयनित शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट सर्किल पर लगातार चार महीने धरना दिया था उस दौरान उन्हें आश्वासन मिला कि उनके साथ न्याय होगा लेकिन अब आश्वासन को भी एक साल हो गया लेकिन नियुक्ति आदेश लागू नहीं किया गया। इस बीच विधानसभा सत्र में लगभग 13 विधायकों ने भी इस प्रकरण पर सरकार का ध्यान आकर्षित कर मांग की कि शीघ्र इन वंचित चयनित शिक्षकों को नियुक्ति दी जानी चाहिए।
इनका कहना है,
शीघ्र अति शीघ्र सरकार इन उच्च वरीयता प्राप्त अभ्यर्थियों के लिए नियुक्ति आदेश लागू करें अन्यथा इस बार करो या मरो की नीति पर चलते हुए चयनित शिक्षक पूरी ताकत के साथ अंतिम आंदोलन करेंगे ।
प्रदीप पालीवाल
अध्यक्ष
अखिल राजस्थान चयनित शिक्षक संघ 1998
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