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Thursday 21 January 2021

राजस्थानः नौकरी के इंतजार में आ गए रिटायरमेंट के करीब, दिल्ली कूच की तैयारी में बेरोजगार

 बेरोजगारी के मुद्दे पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सबसे ज्यादा हमलावर रहते हैं. लेकिन उनके राज्य में हालात यह है कि सबसे ज्यादा बेरोजगारों का संगठन राजस्थान में बना हुआ है. राजस्थान के हर जिले में बेरोजगार दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं.

राज्य में 30 से ज्यादा भर्तियां लंबित चल रही है और गहलोत सरकार के इस कार्यकाल में भी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र आउट होने और बेवजह परीक्षाओं के टालने की वजह से छात्र बेहद परेशान हैं. नौकरी के इंतजार में कई दावेदार तो रिटायरमेंट की उम्र के नजदीक आ गए हैं.

चयन होने के बाद प्रेस का काम कर रहे
द्वारिका प्रसाद बीए और टीचर ट्रेनिंग कोर्स करने के बाद धौलपुर में कपड़े प्रेस करने का काम करते हैं. 1993 में शिक्षक के पद पर चयन हुआ था. जिले में मेरिट लिस्ट में सातवें नंबर पर थे लेकिन बच्चों को पढ़ाने के बजाए लोगों के कपड़े प्रेस कर रहे हैं. राजस्थान हाईकोर्ट से इन्हें नौकरी देने का आदेश जारी हो गया और राजस्थान सरकार के सचिवालय से इनको नियुक्ति पत्र भी जारी हो गया मगर टीचर नहीं बन पाए.

द्वारिका अकेले नहीं हैं. ऐसे लोगों की संख्या बहुत है. खेतों में काम कर रहे अशोक कुमार और जसवंत भी 1993 से टीचर बनने का सपना देख रहे हैं मगर राजस्थान हाईकोर्ट और सरकार के आदेश के बावजूद अब तक नियुक्त नहीं हो सके. ये लोग 1995 में राजस्थान हाईकोर्ट से मुकदमा भी जीत गए तो तब कंटेम्प्ट से बचने के लिए सरकार ने इनका नौकरी का आदेश तो जारी कर दिया पर कभी नौकरी नहीं दी.

नहीं मिल रही नौकरी
प्रदीप पालीवाल और उनके साथी रोजाना कोर्ट आकर बैठ जाते हैं. 1998 में टीचर के पद पर भर्ती हुए थे. सरकार ने दो बार अब तक कमेटी बना दी है और चार बार इनको नियुक्ति देने का आदेश भी जारी कर दिया है लेकिन टीचर बनने के बजाए हाईकोर्ट में बैठे रहते हैं. ये चयनित शिक्षक बार-बार आंदोलन करते हैं और हर बार सरकार कमेटी बनाकर इन्हें नौकरी का आश्वासन देती है. मगर नौकरी नहीं मिलती थी.

सरकारी नौकरी के इंतजार में बड़ी संख्या में लोग निजी विद्यालयों में पढ़ाते थे लेकिन कोरोना महामारी के वजह से वह भी बंद है और तनख्वाह मिल नहीं रही है इसलिए एक बार फिर से ये लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं.

यह तो टीचर थे. नर्सों की भी हालत कुछ ऐसी है. सरकारी नौकरी पाने की आस में निर्मला चौधरी की शादी भी हो गई और दो बच्चे की मां भी बन गईं मगर संघर्ष आज भी जारी है.

नर्स भर्ती का भी इंतजार
घर में चाय बना रही निर्मला चौधरी की डिग्री को सरकार ने चूल्हा-चौका में झोंक दिया. राजस्थान सरकार ने 213 में ANM और GM की नर्स भर्ती परीक्षा निकाली थी जिसमें निर्मला का भी चयन हुआ था उस वक्त के तत्कालीन गहलोत सरकार ने चुनाव को देखते हुए जल्दी-जल्दी वैकेंसी निकाली थी. आधे लोगों की नौकरी मिली और आधे रह गए.

दूसरी सरकार आई तो कहा कि बजट ही नहीं है. अब फिर से राज्य में अशोक गहलोत सरकार आ गई है. लोगों ने हर जगह संघर्ष किया. पिछले साल कांग्रेस दफ्तर के बाहर धरना करने पर जेल जाकर आए कई बार लाठियां खाईं मगर नौकरी नहीं मिली.

डेढ़ साल पहले अशोक गहलोत ने इनकी ज्वाइनिंग के लिए समिति बना दी थी लेकिन समिति की रिपोर्ट आई. किसी को पता नहीं चला कि क्या हुआ. 6700 लड़कियां ANM भर्ती के लिए बची हुई हैं और 4600 GNM की. बड़ी संख्या में नौकरी की इच्छुक लड़कियां ओवर एज हो चुकी हैं.

ऐसा नहीं है यह पहले हो रहा था और अब नहीं हो रहा है. पिछले एक साल में पटवारी परीक्षा दो बार बिना कोई वजह बताए सरकार टाल चुकी है. कांशीराम और यादराम जयपुर के लाल कोठी में एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में गार्ड और रखवाली का काम करते हैं. इससे बिल्डिंग में देख रेख के बदले मकान मालिक ने एक कमरा दे रखा है.


एक साल से ज्यादा समय तक तैयारी करते हो गया लेकिन सरकार बार-बार पटवारी की परीक्षा टाल देती है और इन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि ये मजदूरी करने आए हैं या फिर तैयारी करने आए हैं.

खत्म नहीं हो रहा इंतजार

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने दूसरे कार्यकाल 2013 में जिन भर्तियों को निकाल कर गए थे उन्हें राजस्थान के बेरोजगार याद दिला रहे हैं. 2013 में लंबित एएनएम, जीएनएम नर्सिंग भर्ती, 2013 में पंचायत राज एलडीसी भर्ती, 2013 में विद्यालय सहायक भर्ती, 2013 में आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती, 2013 में सूचना आयोग, 2013 में जूनियर अकाउंटेंट, ऊर्जा विभाग में 9000 पदों पर टेक्निकल हेल्पर कंप्यूटर शिक्षक भर्ती, नई स्कूल व्याख्याता भर्ती, रीट शिक्षक भर्ती, कृषि पर्यवेक्षक, RAS भर्ती 2020,  ग्राम सेवक, पीटीआई भर्ती, फायर, पशुधन सहायक भर्ती सहित अन्य विभागों में रिक्त पदों पर नई भर्तियां नहीं हो सकी है. 

इसके अलावा राजस्थान पुलिस 2018, रीट शिक्षक भर्ती 2017, संस्कृत विभाग, रीट शिक्षक भर्ती 2016 और सामान्य शिक्षा विभाग की वेटिंग जारी करने की भी मांग की है.

सरकार ने लंबित भर्तियों और जिन लोगों को नियुक्ति मिलने के बाद भी आज तक नौकरी नहीं मिली है. उनके मामलों पर विचार करने के लिए कई कमेटी बनाई है जिसमें हर कमिटी में ऊर्जा मंत्री बी डीकल्ला शामिल हैं .मंत्री कह रहे हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें जल्दी से जल्दी नौकरी दें. इसके लिए अब तक साथ मीटिंग कर चुके हैं.

राजस्थान मे सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 75 हजार नौकरी देने का वादा बजट में किया था मगर 50,000 से ज्यादा नौकरियां अब भी लंबित हैं. दो भर्तियों के पेपर परीक्षा से पहले ही मार्केंट में आ गए जिसके बाद राजस्थान कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष बीएल. जटावत को दो दिन पहले ही सरकार ने हटा दिया है.

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