सीकर. प्रधानाध्यापक
भर्ती के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग ने सरकारी व गैर सरकारी कर्मचारियों
को अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। लेकिन 2015 में बने
नियमों के बाद इन दो सालों में एक भी गैर सरकारी विद्यालय को शिक्षा विभाग
से अनुभव प्रमाण पत्र नहीं मिला हैं। ऐसे में सरकार के निर्देशों की पालना
नहीं हो रही हैं। बेरोजगारों को बेवजह परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
2015 में बने नियमों में फंसे बेरोजगार
प्रपत्र व प्रारुप के अनुसार राजकीय सेवा में कार्यरत शिक्षकों का अनुभव प्रमाण पत्र आहरण वितरण अधिकारी की ओर से सेवा रिकॉर्ड के आधार पर जारी हो जाता है। लेकिन गैर सरकारी विद्यालयों के कर्मचारियों के अनुभव प्रमाण पत्र राज्य सरकार के नियम व निर्देशों के अनुसार दिए जाते हैं। गैर सरकारी विद्यालय प्रशासन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार के नियमों की पालना नहीं कर रहे हैं।
गैर सरकारी स्कूलों की मनमानी का असर
शिक्षा विभाग ने दो साल में गैर सरकारी स्कूल से एक भी शिक्षक को अनुभव प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया हैं। निजी स्कूल संचालक भी नहीं चाहते शिक्षकों को अनुभव प्रमाण पत्र मिले। क्योंकि ऐसा होने से उनकी मनमर्जी से शिक्षकों को हटाने व रखने की कार्यकुशलता पर अंकुश लग जाएगा।
यह है नियम
माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर निर्देशालय से जारी नियमों के अनुसार इन आठ नियमों का पालन करना आवश्यक बताया है। इन नियमों में पहला शिक्षक के साक्षात्कार के समय विभाग के प्रतिनिधि मौजूद होने चाहिए। मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान से नियुक्ति के लिए आमंत्रित किए जाने वाली अखबार की प्रति हो। अभ्यर्थी के शिक्षण संस्थान में नियुक्ति के आदेश की प्रति हो। संस्थान के उपस्थिति रजिस्टर में अभ्यर्थी के हस्ताक्षर हो।
माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर निर्देशालय से जारी नियमों के अनुसार इन आठ नियमों का पालन करना आवश्यक बताया है। इन नियमों में पहला शिक्षक के साक्षात्कार के समय विभाग के प्रतिनिधि मौजूद होने चाहिए। मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान से नियुक्ति के लिए आमंत्रित किए जाने वाली अखबार की प्रति हो। अभ्यर्थी के शिक्षण संस्थान में नियुक्ति के आदेश की प्रति हो। संस्थान के उपस्थिति रजिस्टर में अभ्यर्थी के हस्ताक्षर हो।
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