नई दिल्ली। मानव संसाधन
विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि अगर कोई कॉलेज, विश्वविद्यालय
या शैक्षिक संस्थान अपने यहां स्थाई शिक्षक नहीं रखेंगे तो सरकार उनका
अनुदान का हिस्सा नहीं देगी। जावड़ेकर ने यूएनआई मुख्यालय में बातचीत करते
हुए यह जानकारी दी।
यह पूछे जाने पर कि दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्य कई शिक्षण संस्थाओं में ठेके पर शिक्षक रखे जा रहे हैं और सालों से वे पढ़ा रहे हैं. ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे बढ़ेगी, जावेड़कर ने कहा, हमने ठेके पर शिक्षकों को नियुक्त नहीं किया है हम तो कह रहे हैं कि आप स्थाई शिक्षकों को नियुक्त करो। हमें जनादेश तो स्थाई शिक्षक के लिए मिला है।
उन्होंने कहा, हमने सरकारी अनुदान को इससे लिंक किया है। जो संस्थान स्थाई शिक्षक भर्ती करेंगे उन्हें अनुदान का हिस्सा मिलेगा। हमने गुणवत्ता को भी इससे लिंक किया है। जिसकी गुणवत्ता अधिक होगी उसे अनुदान अधिक मिलेगा। यह कहे जाने पर कि शिक्षकों के सातवें वेतन आयोग से सम्बंधित चौहान समिति की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई, जबकि चड्ढ समिति ने अपनी सिफारिशें सार्वजनिक की थी, उन्होंने कहा कि यह गलत परम्परा थी और हम उस गलती को नहीं दोहराएंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले वेतन आयोग के समय चड्ढ़ा समिति ने जो सिफारिशें की थी उससे क्या इस बार अधिक अच्छी सिफारिश की गई है, उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि शिक्षक समुदाय को न्याय जरुर मिलेगा। यह पूछे जाने पर कि शिक्षकों को अब तो पेंशन नहीं मिल रही है, ऐसे में गुणवत्ता कैसे बढ़ेगी, जावड़ेकर ने कहा कि 2004 के बाद तो देश में पेंशन की व्यवस्था खत्म हो गई इसलिए ऐसा हुआ है।
यह कहे जाने पर कि दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों को पेंशन देने की बात कही है, उन्होंने कहा कि 1986 से पहले के शिक्षकों को यह सुविधा मिलेगी। यह पूछे जाने पर कि शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों की अभी भी कमी है, जावड़ेकर ने कहा है कि शिक्षकों की कोई कमी नहीं है, उनका वेतन भी बहुत अच्छा है। जितने सरकारी
स्कूल में छात्र हैं, उनसे अधिक शिक्षक हैं। लखनऊ में दस हजार शिक्षक हैं, लेकिन उतने स्कूल नहीं हैं। समस्या यह है कि शिक्षक देहात में जाना नहीं चाहते।
यह कहे जाने पर कि स्कूलों में फीस काफी बढ़ रही है और उसकी कोई निश्चित प्रणाली नहीं है तो उन्होंने कहा, गुजरात ने इस बारे में एक कानून बनाया है। राज्य भी इसे देख रहे हैं। हम भी इस मामले को देखेंगे। हमारे यहां तर्कसंगत फीस की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा, शिक्षा में निजी निवेश भी जरुरी है, निजी स्कूलों का खर्चा भी है। जनता को इससे स्कूलों का विकल्प मिलेगा। दो सौ वाली फीस का स्कूल है तो दो हजार और दो लाख वाली फीस वाले स्कूल भी हैं, लेकिन हम सरकारी स्कूल की गुणवत्ता को बढ़ाएंगे। अभी महाराष्ट्र, राजस्थान,आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में निजी स्कूलों से छात्र सरकारी स्कूलों में जा रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्य कई शिक्षण संस्थाओं में ठेके पर शिक्षक रखे जा रहे हैं और सालों से वे पढ़ा रहे हैं. ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे बढ़ेगी, जावेड़कर ने कहा, हमने ठेके पर शिक्षकों को नियुक्त नहीं किया है हम तो कह रहे हैं कि आप स्थाई शिक्षकों को नियुक्त करो। हमें जनादेश तो स्थाई शिक्षक के लिए मिला है।
उन्होंने कहा, हमने सरकारी अनुदान को इससे लिंक किया है। जो संस्थान स्थाई शिक्षक भर्ती करेंगे उन्हें अनुदान का हिस्सा मिलेगा। हमने गुणवत्ता को भी इससे लिंक किया है। जिसकी गुणवत्ता अधिक होगी उसे अनुदान अधिक मिलेगा। यह कहे जाने पर कि शिक्षकों के सातवें वेतन आयोग से सम्बंधित चौहान समिति की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई, जबकि चड्ढ समिति ने अपनी सिफारिशें सार्वजनिक की थी, उन्होंने कहा कि यह गलत परम्परा थी और हम उस गलती को नहीं दोहराएंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले वेतन आयोग के समय चड्ढ़ा समिति ने जो सिफारिशें की थी उससे क्या इस बार अधिक अच्छी सिफारिश की गई है, उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि शिक्षक समुदाय को न्याय जरुर मिलेगा। यह पूछे जाने पर कि शिक्षकों को अब तो पेंशन नहीं मिल रही है, ऐसे में गुणवत्ता कैसे बढ़ेगी, जावड़ेकर ने कहा कि 2004 के बाद तो देश में पेंशन की व्यवस्था खत्म हो गई इसलिए ऐसा हुआ है।
यह कहे जाने पर कि दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों को पेंशन देने की बात कही है, उन्होंने कहा कि 1986 से पहले के शिक्षकों को यह सुविधा मिलेगी। यह पूछे जाने पर कि शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों की अभी भी कमी है, जावड़ेकर ने कहा है कि शिक्षकों की कोई कमी नहीं है, उनका वेतन भी बहुत अच्छा है। जितने सरकारी
स्कूल में छात्र हैं, उनसे अधिक शिक्षक हैं। लखनऊ में दस हजार शिक्षक हैं, लेकिन उतने स्कूल नहीं हैं। समस्या यह है कि शिक्षक देहात में जाना नहीं चाहते।
यह कहे जाने पर कि स्कूलों में फीस काफी बढ़ रही है और उसकी कोई निश्चित प्रणाली नहीं है तो उन्होंने कहा, गुजरात ने इस बारे में एक कानून बनाया है। राज्य भी इसे देख रहे हैं। हम भी इस मामले को देखेंगे। हमारे यहां तर्कसंगत फीस की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा, शिक्षा में निजी निवेश भी जरुरी है, निजी स्कूलों का खर्चा भी है। जनता को इससे स्कूलों का विकल्प मिलेगा। दो सौ वाली फीस का स्कूल है तो दो हजार और दो लाख वाली फीस वाले स्कूल भी हैं, लेकिन हम सरकारी स्कूल की गुणवत्ता को बढ़ाएंगे। अभी महाराष्ट्र, राजस्थान,आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में निजी स्कूलों से छात्र सरकारी स्कूलों में जा रहे हैं।
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