सरकारएक, शिक्षा विभाग भी एक, लेकिन प्रशिक्षण से छूट के मामले में नियम
अलग-अलग। अगर शिक्षिका व्याख्याता है और उसके 5 वर्ष तक का बच्चा है तो उसे
प्रशिक्षण से मुक्त कर दिया जाएगा, लेकिन अगर वह तृतीय श्रेणी शिक्षिका है
और उसके 5 वर्ष का बच्चा है तो उसे प्रशिक्षण में आना पड़ेगा। तृतीय
श्रेणी महिला शिक्षिकाओं को, जिनके बच्चे की आयु 6 माह तक हो, केवल उन्हें
ही आवासीय प्रशिक्षण से निजात मिल पाएगी।
ऐसा भी नहीं है कि यह बात कोई मौखिक रूप से शिक्षक-शिक्षिकाओं को कहीं गई हो या किसी के सुनने में भूल रह गई हो बल्कि निदेशक माध्यमिक शिक्षा और राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद से लिखित रूप से इस आशय के आदेश जारी किए है।
प्रदेश में पड़ रही तेज गर्मी को लेकर पूरा शिक्षक समाज ग्रीष्मावकाश आवासीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर सरकार से खासा नाराज है। शिक्षकों की नाराजगी के बाद गर्भवती शिक्षिका संभागियों और सेवानिवृत्ति में एक साल का कार्यकाल शेष रहने वाले शिक्षकों को इससे छूट प्रदान की है, लेकिन बच्चों की आयु को लेकर दी गई छूट में बरते गए सरकार के इस दोहरे मापदंड से सभी शिक्षक अचंभित हैं। मुख्य रूप से शिक्षिकाओं का मानना है कि बच्चा तो आखिर बच्चा है, ऐसा थोड़े ही है कि व्याख्याता प्रिंसिपल के बच्चे 5 साल तक छोटे हैं और तृतीय श्रेणी शिक्षिका का मात्र 6 माह का बच्चा बड़ा हो जाता है।
आवासीय प्रशिक्षण के विरोध की वजह
{प्रशिक्षणमें शाम 5 बजे बाद पढ़ाने का कोई कालांश नहीं, फिर रात में रोकने का क्या औचित्य?
{70 प्रतिशत महिला शिक्षिकाएं, लेकिन शिविर स्थल पर रात्रि विश्राम स्नान आदि के कोई इंतजाम नहीं।
{शिक्षिकाओं के सुरक्षा का कोई बंदोबस्त नहीं।
सभी को समान छूट मिले
^जिसशिक्षिका के 5 साल तक के बच्चे हैं, उनको छूट मिलनी चाहिए। इतने छोटे बच्चे मां के बगैर नहीं रह सकते। शिक्षिकाओं को भले ही दिन में प्रशिक्षण दे दिया जाए, उसमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन रात को भी प्रशिक्षण स्थल पर रोका जाना आला अफसरों की हठधर्मिता है। सुनीताभाटी, संयोजिका राधाकृष्णन शिक्षिका सेना
आदेशों की पालना होगी
^प्रशिक्षणको लेकर निदेशक शिक्षा विभाग के जो आदेश आए हैं, उनकी पालना की जाएगी। स्थानीय स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। यह हो सकता है कि तृतीय श्रेणी शिक्षिकाएं लार्ज स्केल पर हैं, बच्चों के 5 वर्ष से कम तक की छूट देने पर पूरा प्रशिक्षण ही प्रभावित हो जाता, यह एक कारण रहा होगा, लेकिन अपने स्तर पर इस मामले में कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है। कैलाशझंवर, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक
निदेशक माध्यमिक शिक्षा विभाग से संयुक्त निदेशक प्रशिक्षण ने राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थान यानी आईएएसआई अजमेर में 15 से 21 मई तक आयोजित हिंदी विषय आधारित 7 दिवसीय प्रशिक्षण में उन व्याख्याताओं यानी महिला प्रतिभागी को 5 वर्ष से छोटे बच्चे होने पर प्रशिक्षण से छूट दी है। आदेश में कहा गया है कि जिला शिक्षा अधिकारी अपने स्तर पर जांच करवा लें कि व्याख्याता का बच्चा 5 वर्ष से कम का हो। उधर, राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद के आयुक्त डाॅ. जोगाराम ने ग्रीष्मावकाश आवासीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर जो आदेश निकाले हैं, उन महिला शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण से छूट दी है, जिनके शिशु की आयु 6 माह तक की हो।
भास्कर ख़ास
ऐसा भी नहीं है कि यह बात कोई मौखिक रूप से शिक्षक-शिक्षिकाओं को कहीं गई हो या किसी के सुनने में भूल रह गई हो बल्कि निदेशक माध्यमिक शिक्षा और राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद से लिखित रूप से इस आशय के आदेश जारी किए है।
प्रदेश में पड़ रही तेज गर्मी को लेकर पूरा शिक्षक समाज ग्रीष्मावकाश आवासीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर सरकार से खासा नाराज है। शिक्षकों की नाराजगी के बाद गर्भवती शिक्षिका संभागियों और सेवानिवृत्ति में एक साल का कार्यकाल शेष रहने वाले शिक्षकों को इससे छूट प्रदान की है, लेकिन बच्चों की आयु को लेकर दी गई छूट में बरते गए सरकार के इस दोहरे मापदंड से सभी शिक्षक अचंभित हैं। मुख्य रूप से शिक्षिकाओं का मानना है कि बच्चा तो आखिर बच्चा है, ऐसा थोड़े ही है कि व्याख्याता प्रिंसिपल के बच्चे 5 साल तक छोटे हैं और तृतीय श्रेणी शिक्षिका का मात्र 6 माह का बच्चा बड़ा हो जाता है।
आवासीय प्रशिक्षण के विरोध की वजह
{प्रशिक्षणमें शाम 5 बजे बाद पढ़ाने का कोई कालांश नहीं, फिर रात में रोकने का क्या औचित्य?
{70 प्रतिशत महिला शिक्षिकाएं, लेकिन शिविर स्थल पर रात्रि विश्राम स्नान आदि के कोई इंतजाम नहीं।
{शिक्षिकाओं के सुरक्षा का कोई बंदोबस्त नहीं।
सभी को समान छूट मिले
^जिसशिक्षिका के 5 साल तक के बच्चे हैं, उनको छूट मिलनी चाहिए। इतने छोटे बच्चे मां के बगैर नहीं रह सकते। शिक्षिकाओं को भले ही दिन में प्रशिक्षण दे दिया जाए, उसमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन रात को भी प्रशिक्षण स्थल पर रोका जाना आला अफसरों की हठधर्मिता है। सुनीताभाटी, संयोजिका राधाकृष्णन शिक्षिका सेना
आदेशों की पालना होगी
^प्रशिक्षणको लेकर निदेशक शिक्षा विभाग के जो आदेश आए हैं, उनकी पालना की जाएगी। स्थानीय स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। यह हो सकता है कि तृतीय श्रेणी शिक्षिकाएं लार्ज स्केल पर हैं, बच्चों के 5 वर्ष से कम तक की छूट देने पर पूरा प्रशिक्षण ही प्रभावित हो जाता, यह एक कारण रहा होगा, लेकिन अपने स्तर पर इस मामले में कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है। कैलाशझंवर, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक
निदेशक माध्यमिक शिक्षा विभाग से संयुक्त निदेशक प्रशिक्षण ने राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थान यानी आईएएसआई अजमेर में 15 से 21 मई तक आयोजित हिंदी विषय आधारित 7 दिवसीय प्रशिक्षण में उन व्याख्याताओं यानी महिला प्रतिभागी को 5 वर्ष से छोटे बच्चे होने पर प्रशिक्षण से छूट दी है। आदेश में कहा गया है कि जिला शिक्षा अधिकारी अपने स्तर पर जांच करवा लें कि व्याख्याता का बच्चा 5 वर्ष से कम का हो। उधर, राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद के आयुक्त डाॅ. जोगाराम ने ग्रीष्मावकाश आवासीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर जो आदेश निकाले हैं, उन महिला शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण से छूट दी है, जिनके शिशु की आयु 6 माह तक की हो।
भास्कर ख़ास
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