कार्मिक विभाग में पदोन्नति के नियमों के बावजूद अफसरों ने कर्मचारियों को
उलझाकर रख दिया है। इस कारण सचिवालय में अनुकंपा नियुक्ति से सेवा में आए
कर्मचारी प्रमोशन के लिए कोर्ट चले गए हैं।
इनका कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति के कर्मचारियों की वरिष्ठता बदलकर सीधी भर्ती से आए कार्मिकों को पदोन्नत कर दिया गया। अनुकंपा नियुक्ति के कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए नियम है कि नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता तय हो। वहीं सीधी भर्ती में वरिष्ठता का निर्धारण मैरिट से होता है। कार्मिक विभाग ने 2010 में अनुकंपा नियुक्ति वाले कर्मचारियों की वरिष्ठता दरकिनार कर 2013 में सीधी भर्ती वालों को अस्थाई पदोन्नति दे दी। सीनियारिटी के बावजूद जिन लिपिकों की वरिष्ठता नीचे की गई उसके पीछे वजह बताई कि टाइप टेस्ट पास नहीं किया था। नियुक्ति के तीन साल में छह बार में टाइप टेस्ट पास करना होता है। लेकिन भाषा विभाग ने 2010 में नियुक्त कर्मचारियों के लिए टाइप टेस्ट 2013 में कराया।
आरपीएससीके नियमों को भी किया दरकिनार
कार्मिकविभाग ने नवंबर 2015 में 156 कनिष्ठ लिपिकों को अस्थाई पदोन्नति के आदेश किए। नियम है कि अस्थाई पदोन्नति की अवधि एक साल से ज्यादा हो तो शेष समय के लिए आरपीएससी की मंजूरी जरूरी है। लेकिन अस्थाई पदोन्नति के डेढ़ साल बाद भी मंजूरी नहीं ली गई।
इनका कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति के कर्मचारियों की वरिष्ठता बदलकर सीधी भर्ती से आए कार्मिकों को पदोन्नत कर दिया गया। अनुकंपा नियुक्ति के कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए नियम है कि नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता तय हो। वहीं सीधी भर्ती में वरिष्ठता का निर्धारण मैरिट से होता है। कार्मिक विभाग ने 2010 में अनुकंपा नियुक्ति वाले कर्मचारियों की वरिष्ठता दरकिनार कर 2013 में सीधी भर्ती वालों को अस्थाई पदोन्नति दे दी। सीनियारिटी के बावजूद जिन लिपिकों की वरिष्ठता नीचे की गई उसके पीछे वजह बताई कि टाइप टेस्ट पास नहीं किया था। नियुक्ति के तीन साल में छह बार में टाइप टेस्ट पास करना होता है। लेकिन भाषा विभाग ने 2010 में नियुक्त कर्मचारियों के लिए टाइप टेस्ट 2013 में कराया।
आरपीएससीके नियमों को भी किया दरकिनार
कार्मिकविभाग ने नवंबर 2015 में 156 कनिष्ठ लिपिकों को अस्थाई पदोन्नति के आदेश किए। नियम है कि अस्थाई पदोन्नति की अवधि एक साल से ज्यादा हो तो शेष समय के लिए आरपीएससी की मंजूरी जरूरी है। लेकिन अस्थाई पदोन्नति के डेढ़ साल बाद भी मंजूरी नहीं ली गई।
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