तकनीकीशिक्षा विभाग ने वर्ष 1996 से पहले कार्यरत शिक्षकों के प्राचार्य
बनने में नए नियमों का अड़ंगा लगा दिया है। तकनीकी शिक्षा नियम 2010 के तहत
अतिरिक्त योग्यता रखने वाले शिक्षकों के डीपीसी में प्राचार्य बनने की
संभावना ज्यादा है।
ऐसे में वरिष्ठ शिक्षकों को वंचित रहने की चिंता सताने लगी है। कई कॉलेजों में 1996 से पहले कार्यरत शिक्षकों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। इस संबंध में प्रभावित शिक्षकों ने हाइकोर्ट जयपुर में याचिका दायर करवाई है।
एआईसीटीई के छठे वेतनमान के लिए तय गाइडलाइन के अनुसार राजस्थान तकनीकी शिक्षा (इंजीनियरिंग) सेवा नियम 2010 में संशोधन किया जाना था। तकनीकी शिक्षा विभाग ने नियमों में संशोधन के तैयार ड्राफ्ट में डायरेक्टर की शैक्षणिक योग्यताएं प्रिसिंपल की शैक्षणिक योग्यताओं के समान एमटेक इंजीनियरिंग में पीएचडी निर्धारित की थी। साथ ही बतौर प्रिसिंपल 3 साल का अनुभव भी जरूरी किया। ड्राफ्ट को आरपीएससी, वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग से मंजूर कराया गया।
शिक्षकों का कहना है कि नए नियम वर्ष 1996 से लागू है। ऐसे में इससे पहले चयनित शिक्षकों को योग्यता में छूट दी जाए। ऐसा नहीं करने से कई वरिष्ठ शिक्षक प्रिंसिपल बनने से वंचित रह जाएंगे। इस संबंध में हाईकोर्ट जयपुर में रिट पिटिशन संख्या 977/2017 दर्ज की गई है।
ऐसे में वरिष्ठ शिक्षकों को वंचित रहने की चिंता सताने लगी है। कई कॉलेजों में 1996 से पहले कार्यरत शिक्षकों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। इस संबंध में प्रभावित शिक्षकों ने हाइकोर्ट जयपुर में याचिका दायर करवाई है।
एआईसीटीई के छठे वेतनमान के लिए तय गाइडलाइन के अनुसार राजस्थान तकनीकी शिक्षा (इंजीनियरिंग) सेवा नियम 2010 में संशोधन किया जाना था। तकनीकी शिक्षा विभाग ने नियमों में संशोधन के तैयार ड्राफ्ट में डायरेक्टर की शैक्षणिक योग्यताएं प्रिसिंपल की शैक्षणिक योग्यताओं के समान एमटेक इंजीनियरिंग में पीएचडी निर्धारित की थी। साथ ही बतौर प्रिसिंपल 3 साल का अनुभव भी जरूरी किया। ड्राफ्ट को आरपीएससी, वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग से मंजूर कराया गया।
शिक्षकों का कहना है कि नए नियम वर्ष 1996 से लागू है। ऐसे में इससे पहले चयनित शिक्षकों को योग्यता में छूट दी जाए। ऐसा नहीं करने से कई वरिष्ठ शिक्षक प्रिंसिपल बनने से वंचित रह जाएंगे। इस संबंध में हाईकोर्ट जयपुर में रिट पिटिशन संख्या 977/2017 दर्ज की गई है।
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