शहर से कोई 20 किलोमीटर दूर है स्वरूपदेसर गांव। यहां के राजकीय माध्यमिक विद्यालय को आदर्श स्कूल का दर्जा मिला हुआ है। सुबह 7.30 बजते ही शिक्षक स्कूल पहुंचते हैं और दीवार पर लगी बायोमैट्रिक मशीन पर अपनी अंगुली लगाकर हाजिरी लगाते हैं।
बीकानेर का यह पहला सरकारी स्कूल है, जहां के अध्यापकों ने इसलिए बायोमैट्रिक मशीन लगा ली ताकि पूरा स्टाफ टाइम पर स्कूल पहुंचे। अध्यापकों की यह पहल शिक्षा तंत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। मशीन पर हाजिरी लगाने का विचार शाला अध्यापक सुभाष चौधरी, हनुमान सिंह और सुभाष गोदारा के मन में आया। उन्होंने हैडमास्टर चंदन सोलंकी से बात की। स्टाफ से भी सहमति ली। गांव के सरपंच प्रतिनिधि गोपीराम कस्वां से चर्चा की। एसडीएमसी में प्रस्ताव रखा, जो पास हो गया। सुभाष चौधरी ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूल को मिलने वाली ग्रांट से 13500 रुपए खर्च करके बायोमैट्रिक मशीन एक अप्रैल को लगाई थी। शुरुआत में दिक्कत हुई, लेकिन अब पूरा स्टाफ समय पर स्कूल पहुंच रहा है। हैरत इस बात का है कि बीकानेर में राज्य का शिक्षा निदेशालय है, लेकिन बायोमैट्रिक मशीन पर हाजिरी निदेशालय तो क्या विभाग के दफ्तरों में भी नहीं है। केवल डाइट में ही यह सिस्टम लागू किया गया है।
रामावि स्वरूपदेसर में बायोमैट्रिक मशीन से हाजरी लगाता शिक्षक।
759 माविउमावि हैं जिले में
370सरकारी
389प्राइवेट
स्कूल एट ग्लांस
16स्टाफ
9अध्यापिकाएं
400छात्रसंख्या
शिक्षा निदेशक ने सराहा
माध्यमिकशिक्षा निदेशक बी.एल.स्वर्णकार को जब स्वरूपदेसर के सरकारी स्कूल में अपनाए जा रहे नवाचार की जानकारी दी तो उन्होंने इसे स्वविवेक और स्व अनुशासन बताते हुए सराहना की। उन्होंने बताया कि राजस्थान में अलवर सहित कुछ स्थानों पर सरकारी स्कूलों में बायोमैट्रिक मशीन लगी है। हालांकि अभी इसकी अनिवार्यता नहीं है। लेकिन अच्छे कार्यों के लिए शिक्षकों को खुद पहल करनी चाहिए।
^हम प्राइवेट स्कूलों के बराबर खुद को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। हर अच्छे काम में अड़चन तो आती ही है। लेकिन अब सबकुछ व्यवस्थित है। पूरा स्टाफ टाइम पर स्कूल आता है। नियमित पढ़ाई होती है। पीटीएम के कारण कक्षाओं में छात्रों उपस्थित भी पूरी रहती है। तीन साल से रजिस्टर सौ प्रतिशत चल रहा है। इस बार भी रहेगा। चंदनसोलंकी, प्रधानाध्यापक, रामावि, स्वरूपदेसर
पीटीएम भी कराते हैं, ताकि रिजल्ट अच्छा रहे : स्कूलका रिजल्ट अच्छा रहे इसलिए पैरेंट टीचर मीटिंग हर माह होती है। पिछले तीन साल से 10वीं का रिजल्ट सौ प्रतिशत चल रहा है। शिक्षकों के अनुसार प्रारंभ में काफी परेशानी हुई। ग्रामीणों को स्कूल और पढ़ाई का महत्व समझाया तो वे पीटीएम में आने लगे।
बीकानेर का यह पहला सरकारी स्कूल है, जहां के अध्यापकों ने इसलिए बायोमैट्रिक मशीन लगा ली ताकि पूरा स्टाफ टाइम पर स्कूल पहुंचे। अध्यापकों की यह पहल शिक्षा तंत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। मशीन पर हाजिरी लगाने का विचार शाला अध्यापक सुभाष चौधरी, हनुमान सिंह और सुभाष गोदारा के मन में आया। उन्होंने हैडमास्टर चंदन सोलंकी से बात की। स्टाफ से भी सहमति ली। गांव के सरपंच प्रतिनिधि गोपीराम कस्वां से चर्चा की। एसडीएमसी में प्रस्ताव रखा, जो पास हो गया। सुभाष चौधरी ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूल को मिलने वाली ग्रांट से 13500 रुपए खर्च करके बायोमैट्रिक मशीन एक अप्रैल को लगाई थी। शुरुआत में दिक्कत हुई, लेकिन अब पूरा स्टाफ समय पर स्कूल पहुंच रहा है। हैरत इस बात का है कि बीकानेर में राज्य का शिक्षा निदेशालय है, लेकिन बायोमैट्रिक मशीन पर हाजिरी निदेशालय तो क्या विभाग के दफ्तरों में भी नहीं है। केवल डाइट में ही यह सिस्टम लागू किया गया है।
रामावि स्वरूपदेसर में बायोमैट्रिक मशीन से हाजरी लगाता शिक्षक।
759 माविउमावि हैं जिले में
370सरकारी
389प्राइवेट
स्कूल एट ग्लांस
16स्टाफ
9अध्यापिकाएं
400छात्रसंख्या
शिक्षा निदेशक ने सराहा
माध्यमिकशिक्षा निदेशक बी.एल.स्वर्णकार को जब स्वरूपदेसर के सरकारी स्कूल में अपनाए जा रहे नवाचार की जानकारी दी तो उन्होंने इसे स्वविवेक और स्व अनुशासन बताते हुए सराहना की। उन्होंने बताया कि राजस्थान में अलवर सहित कुछ स्थानों पर सरकारी स्कूलों में बायोमैट्रिक मशीन लगी है। हालांकि अभी इसकी अनिवार्यता नहीं है। लेकिन अच्छे कार्यों के लिए शिक्षकों को खुद पहल करनी चाहिए।
^हम प्राइवेट स्कूलों के बराबर खुद को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। हर अच्छे काम में अड़चन तो आती ही है। लेकिन अब सबकुछ व्यवस्थित है। पूरा स्टाफ टाइम पर स्कूल आता है। नियमित पढ़ाई होती है। पीटीएम के कारण कक्षाओं में छात्रों उपस्थित भी पूरी रहती है। तीन साल से रजिस्टर सौ प्रतिशत चल रहा है। इस बार भी रहेगा। चंदनसोलंकी, प्रधानाध्यापक, रामावि, स्वरूपदेसर
पीटीएम भी कराते हैं, ताकि रिजल्ट अच्छा रहे : स्कूलका रिजल्ट अच्छा रहे इसलिए पैरेंट टीचर मीटिंग हर माह होती है। पिछले तीन साल से 10वीं का रिजल्ट सौ प्रतिशत चल रहा है। शिक्षकों के अनुसार प्रारंभ में काफी परेशानी हुई। ग्रामीणों को स्कूल और पढ़ाई का महत्व समझाया तो वे पीटीएम में आने लगे।
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