Jaipur: राजस्थान (Rajasthan) में वरिष्ठ अध्यापक (Senior teacher) और व्याख्याता भर्ती परीक्षा (Lecturer recruitment exam) ऐसी दो भर्तियां हैं, जिनको लेकर लम्बे समय से सवाल उठाए जा रहे हैं. पिछले दिनों जारी हुए व्याख्याता भर्ती परीक्षा के परिणाम के बाद मानो विवाद अपने चरम पर पहुंच चुका है.
परिणाम जारी होने के बाद दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जो व्याख्याता भर्ती की पूरी प्रक्रिया पर बड़े सवाल खड़े करते हैं क्योंकि अब प्रदेश के स्कूलों में माइनस मार्किंग वाले शिक्षक भी बच्चों को भूगोल और गणित का ज्ञान देंगे.
पिछले दिनों आरपीएससी (Rajasthan Public Service Commission) की ओर से व्याख्याता भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी किया गया. मेरिट में 782वां स्थान प्राप्त करने वाली एक छात्रा की अंक तालिका ने बड़े सवाल खड़े किए. छात्रा के परिणाम में माइनस 29 अंक आने के बाद भी मेरिट में स्थान बनाया तो वहीं दूसरी ओर एक दर्जन ऐसी मार्कशीट सामने आई, जिनके सामान्य ज्ञान में तो 60 फीसदी से ज्यादा अंक प्राप्त किए लेकिन सब्जेट विषय में इनके 10 से 15 फीसदी अंक होने के बाद भी मेरिट में स्थान प्राप्त किया. ऐसे में व्याख्याता भर्ती परीक्षा में 50 सालों से चली आ रही चयन प्रक्रिया पर बड़े सवाल खड़े होने लगे हैं.
मुख्य बिंदु
- व्याख्याता भर्ती परीक्षा में चयन प्रक्रिया पर खड़े होने लगे सवाल
- पिछले दिनों जारी किया गया है व्याख्याता भर्ती परीक्षा का परिणाम
- माइनस 29 अंक हासिल कर भूगोल विषय में छात्रा ने मेरिट में बनाया स्थान
- तो एक दर्जन अभ्यर्थियों के सब्जेट में 10 फीसदी अंकों पर भी हुआ चयन
- साल 1971 के नियम योग्य अभ्यर्थियों पर बनते जा रहे संकट
क्या कहना है शिक्षक नेता का
व्याख्याता भर्ती के नियमों को लेकर शिक्षक नेता विपिन प्रकाश शर्मा (Vipin
Prakash Sharma) का कहना है कि "शिक्षा की गुणवत्ता सुधार को लेकर शिक्षा
विभाग के प्रयासों को ऐसी परिणाम ठेंगा दिखाते हुए नजर आते हैं. कक्षा 1 से
8वीं तक अध्यापक पात्रता परीक्षा के चलते थर्ड ग्रेड शिक्षक वर्ग में
योग्य अभ्यर्थियों का चयन होता है लेकिन वरिष्ठ अध्यापक और व्याख्याता
भर्ती में किसी प्रकार की पात्रता परीक्षा नहीं होने के चलते जिन वर्गों
में की सीटें रिजर्व रहती हैं, वहां पर माइनस मार्किंग के अकों वालें
अभ्यर्थी भी सलेक्ट होते हैं. ऐसे में अब वक्त आ गया है कि शिक्षा विभाग को
नियमों में संशोधन करते हुए न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता को लागू किया
जाए."
व्याख्याता भर्ती और माइनस अंकों की जुगलबंदी पुरानी
- साल 2018 में जीओ अंक आने के बाद भी व्याख्याता बनी महिला
- फिजिक्स विषय में 300 में से 0.68 अंक हासिल किए थे सविता मीणा ने
- 2018 में ही माइनस 23 अंक हासिल कर गणित का शिक्षक बना था अभ्यर्थी
- भूतपूर्व सैनिक कोटे से गणित विषय में हासिल किए थे माइनस 23 अंक
- साल 2021 में माइनस 29 अंक हासिल कर मेरिट में छात्रा
- विनिता कुमारी ने भूगोल विषय में हासिल किए माइनस 29 अंक
क्या कहना है शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह का
व्याख्याता भर्ती के साथ ही वरिष्ठ अध्यापकों की भर्ती में भी माइनस
मार्किंग के मामले सामने आए हैं. चयन के नियमों में रही त्रुटियों को
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) साफगोई से
स्वीकार करते हैं. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि "साल
1971 में वरिष्ठ अध्यापक और व्याख्याता भर्ती को लेकर नियम बने थे लेकिन इन
नियमों में कमी होने के चलते ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है. करीब 50
सालों से इस नियम को बदलने के बारे में किसी न नहीं सोचा लेकिन अब हमारी
सरकार इन नियमों में संशोधन करने साथ ही न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता को
लेकर जल्द ही कदम उठाएगी, जिससे योग्य अभ्यर्थी चयन प्रक्रिया से बाहर न हो
सकें."
बहरहाल, एनसीटीई की ओर से अब कक्षा 1 से 12वीं तक अध्यापक पात्रता परीक्षा को लेकर अनिवार्यता करने जा रही है लेकिन इसके बाद भी सवाल खड़े ये होते हैं कि क्या पात्रता परीक्षा इस समस्या का स्थाई समाधान है या फिर अब वक्त आ गया है बेहतर और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का सपना देखने वाले देश को नियमों में संशोधन की जरूरत है.
#Jaipur: विवादों में है व्याख्याता भर्ती परीक्षा रिजल्ट
सरकारी भर्तियां हमेशा विवादों में रहती है, लेकिन इस बार व्याख्याता भर्ती परीक्षा का रिजल्ट सामने आने के बाद जो विवाद हो रहा है वो हैरान करने वाला है, देखिए ये रिपोर्ट
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— ZEE Rajasthan (@zeerajasthan_) February 17, 2021