कोविड के दौरान राज्य के शिक्षकों का मार्च का 16 दिनों का स्थगित किया गया वेतन दिए जाने की मांग अब प्रदेश के शिक्षक कर रहे हैं। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री और मुख्य सचिव
को ज्ञापन भेजा है। संघ के प्रदेश महामंत्री अरविंद व्यास ने बताया कि कोविड के दौरान शिक्षकों का 16 दिन का वेतन स्थगित किया गया था। अब कोविड का प्रकोप हुआ है और स्कूल भी खुल चुके हैं। वहीं राजस्व प्राप्ति के स्त्रोत भी आरंभ हो गए हैं लेकिन कोविड काल में भी लगातार काम कर रहे शिक्षकों के स्थगित वेतन का भुगतान अब तक नहीं किया गया है, जबकि शिक्षकों के वेतन से कोविड के दौरान तीन बार कटौती की गई थी। इससे शिक्षकों में रोष है। संघ ने ज्ञापन भेजकर आग्रह किया है कि मार्च का स्थगित वेतन दिलवाए जाने के साथ ही उपार्जित अवकाश वेतन भुगतान पर लगी रोक को भी हटाया जाए।संगठन
के प्रदेशाध्यक्ष सम्पतसिंह ने कहा कि लगातार महंगाई बढ़ रही है लेकिन
मंहगाई भत्ते को फ्रीज कर दिया गया, शिक्षकों पर आर्थिक भार पड़ रहा है।
स्थगित वेतन के भुगतान व सरेंडर भुगतान पर लगी रोक हटाने से शिक्षकों को
राहत मिल सकती है।
औसत मूल वेतन 50 हजार परकरीब 61507 रुपए का नुकसान
संगठन
के प्रदेश संगठन मंत्री प्रहलाद शर्मा ने बताया कि एक शिक्षक जिसका मूल
वेतन 50 हजार है, उसका मार्च 2020 का 16 दिनों के स्थगित मूल वेतन 25806
रुपए होगा। जिस पर वर्तमान महंगाई भत्ता दर 17 प्रतिशत के हिसाब से 4387
रुपए और 8 प्रतिशत मकान किराया भत्ता के 2064 रुपए बनेगा। इस प्रकार मार्च
2020 का कुल स्थगित वेतन 32267 रुपए बनता है। इसी प्रकार अधिकांश शिक्षकों
के 15 दिनों के उपार्जित अवकाश वेतन के भुगतान पर रोक होने के े कारण वह
पी. एल. सरेंडर नहीं ले पा रहा है। 50 हजार मूल वेतन पर 15 दिनों के वेतन
25000 रुपए और उस पर 17 प्रतिशत मंहगाई भत्ते की राशि 4250 के साथ कुल
29250 का भुगतान भी बकाया चल रहा है। इस प्रकार स्थगित मूल वेतन व रोके गए
सरेंडर को मिलाकर 50 हजार मूल वूतन वाले एक शिक्षक को तकरीबन 61507 रुपए का
नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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