जयपुर. राजस्थान लोक सेवा आयोग और कार्मिक विभाग चाहे
तो आरएएस-2016 भर्ती के चयनितों को बड़ी राहत दे सकती है। इस भर्ती में 725
अभ्यर्थियों का अंतिम रूप से चयन हुआ है। इसमें से 659 अभ्यर्थियों की
नियुक्ति पर कोई रोक नहीं है। इनको नियुक्ति देना सरकार के हाथ में है।
सरकार ओबीसी केटेगरी के उन 66 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को पेंडिंग रखते हुए यह रास्ता अपना सकती है, जिनका मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अगर ऐसा हो तो सरकार को 659 नए अफसर मिल सकते हैं। दरअसल डेढ़ साल से चयनित 725 आरएएस नियुक्ति के लिए सरकार और आरपीएससी के चक्कर काट रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण सभी चयनितों की नियुक्ति का मामला अटका हुआ है। चयनितों ने कई धरने प्रदर्शन और अनशन किए, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
सीनियरटी का हो रहा है नुकसान
चयनितों में करीब 20 अभ्यर्थी तो आरएएस बनने के लिए पिछली नौकरी भी छोड़ चुके हैं। नियुक्ति में देरी से इन चयनितों को सिनियरिटी और प्रमोशन में नुकसान हो रहा है। मामले में जालौर के चयनित आरएएस सुनील विश्नोई का कहना है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी कर इस मामले का निस्तारण करना चाहिए। ताकि उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो सके।
यह निकल सकता है रास्ता
सरकार यह निर्णय कर सकती है कि जो चयनित आरएएस सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अप्रभावित रहेंगे। उनको नियुक्ति दे दे और अन्य को फैसला आने के बाद दे दी जाए। अगर ऐसा हो जाए तो प्रदेश के 659 नए आरएएस मिल सकते हैं। लेकिन सरकार इस मामले को लटकाए हुए हैं। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2013 के मामले में सरकार ऐसा कर चुकी है। आरटेट में अंकों की छूट का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बावजूद अप्रभावितों को नियुक्ति देकर सरकार ने बीच का रास्ता निकाला था।
फैक्ट फाइल
यह है मामला
आरपीएससी ने प्रा. परीक्षा परिणाम में केटेगरीवाइज पदों के मुकाबले 15 गुणा अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के योग्य माना था। इसमें ओबीसी की कटऑफ सामान्य से अधिक थी। तब तत्कालीन अध्यक्ष ने फुल कमिशन की बैठक के बाद सामान्य की कटऑफ तक के ओबीसी के सभी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का निर्णय लिया। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने निर्देश दिया कि राजस्थान सेवा नियम-1999 के नियम 15 का जो अभ्यर्थी उल्लंघन कर रहे हैं उनको निकाल दिया जाए। इससे इन 66 अभ्यर्थियों के चयन पर तलवार लटक गई। मामले में आरपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सरकार कोर्ट में जवाब पेश नहीं कर रही। इस कारण नियुक्ति अटकी है।
सरकार ओबीसी केटेगरी के उन 66 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को पेंडिंग रखते हुए यह रास्ता अपना सकती है, जिनका मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अगर ऐसा हो तो सरकार को 659 नए अफसर मिल सकते हैं। दरअसल डेढ़ साल से चयनित 725 आरएएस नियुक्ति के लिए सरकार और आरपीएससी के चक्कर काट रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण सभी चयनितों की नियुक्ति का मामला अटका हुआ है। चयनितों ने कई धरने प्रदर्शन और अनशन किए, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
सीनियरटी का हो रहा है नुकसान
चयनितों में करीब 20 अभ्यर्थी तो आरएएस बनने के लिए पिछली नौकरी भी छोड़ चुके हैं। नियुक्ति में देरी से इन चयनितों को सिनियरिटी और प्रमोशन में नुकसान हो रहा है। मामले में जालौर के चयनित आरएएस सुनील विश्नोई का कहना है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी कर इस मामले का निस्तारण करना चाहिए। ताकि उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो सके।
यह निकल सकता है रास्ता
सरकार यह निर्णय कर सकती है कि जो चयनित आरएएस सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अप्रभावित रहेंगे। उनको नियुक्ति दे दे और अन्य को फैसला आने के बाद दे दी जाए। अगर ऐसा हो जाए तो प्रदेश के 659 नए आरएएस मिल सकते हैं। लेकिन सरकार इस मामले को लटकाए हुए हैं। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2013 के मामले में सरकार ऐसा कर चुकी है। आरटेट में अंकों की छूट का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बावजूद अप्रभावितों को नियुक्ति देकर सरकार ने बीच का रास्ता निकाला था।
फैक्ट फाइल
- आरएएस-2016 भर्ती में पद – 725
- प्रारंभिक परीक्षा - 28 अगस्त 2016 को आयोजित की गई। इसमें करीब 5 लाख अभ्यर्थी बैठे थे।
- मुख्य परीक्षा - 27-28 मार्च 2017 को हुई। इसमें करीब 15 हजार बैठे थे। इसके परिणाम के बाद साक्षात्कार हुआ।
- अंतिम परिणाम – 17 अक्टूबर 2017 को जारी हुआ
- मेडिकल व पुलिस वेरिफिकेशन – यह दोनों काम 4 अप्रैल 2018 तक पूरे हो गए थे।
यह है मामला
आरपीएससी ने प्रा. परीक्षा परिणाम में केटेगरीवाइज पदों के मुकाबले 15 गुणा अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के योग्य माना था। इसमें ओबीसी की कटऑफ सामान्य से अधिक थी। तब तत्कालीन अध्यक्ष ने फुल कमिशन की बैठक के बाद सामान्य की कटऑफ तक के ओबीसी के सभी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का निर्णय लिया। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने निर्देश दिया कि राजस्थान सेवा नियम-1999 के नियम 15 का जो अभ्यर्थी उल्लंघन कर रहे हैं उनको निकाल दिया जाए। इससे इन 66 अभ्यर्थियों के चयन पर तलवार लटक गई। मामले में आरपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सरकार कोर्ट में जवाब पेश नहीं कर रही। इस कारण नियुक्ति अटकी है।
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