भरतपुर रेलवे स्टेशन स्थित जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में इन दिनों 201
शिक्षक ड्यूटी दे रहे हैं। हालात ये हैं कि इनके बैठने तक के लिए व्यवस्था
नहीं है। लेकिन, शिक्षकों की परेशानी यह है कि वे घर भी नहीं जा सकते,
क्योंकि अगर बिना ड्यूटी दिए चले गए तो वेतन कैसे मिलेगा।
ये वो शिक्षक हैं जो पिछले साल ही सरकारी नौकरी लगे थे। इन्हें पहले दूसरे जिलों में पोस्टिंग दी गई थी। लेकिन, कोर्ट के आदेश पर बाद में रिजल्ट री-सफल होने से इनकी मैरिट बदल गई। इसके आधार पर इन्हें गृह जिला यानि भरतपुर ही देना पड़ा। इसके बाद ये शिक्षक अपने-अपने पुराने जिलों से रिलीव होकर भरतपुर तो आ गए। लेकिन, पोस्टिंग ऑर्डर मिलते, उससे पहले ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। अब ये न घर के रहे और न ही घाट के। यानि, अगले ढाई महीने तक इन्हें स्कूल में पोस्टिंग नहीं मिल सकती। अथवा इसके लिए चुनाव आयोग से शिक्षा विभाग को विशेष अनुमति लेनी पड़ेगी। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि चूंकि ये शिक्षक पहले से ही नौकरी कर रहे थे और इनका वेतन चालू था, इसलिए इन्हें आचार संहिता की अवधि करीब ढाई महीने का वेतन 1.19 करोड़ रुपए तो देना ही पड़ेगा। जबकि दूसरी ओर स्कूलों में शिक्षक नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। वैसे भी इन दिनों बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं।
ये वो शिक्षक हैं जो पिछले साल ही सरकारी नौकरी लगे थे। इन्हें पहले दूसरे जिलों में पोस्टिंग दी गई थी। लेकिन, कोर्ट के आदेश पर बाद में रिजल्ट री-सफल होने से इनकी मैरिट बदल गई। इसके आधार पर इन्हें गृह जिला यानि भरतपुर ही देना पड़ा। इसके बाद ये शिक्षक अपने-अपने पुराने जिलों से रिलीव होकर भरतपुर तो आ गए। लेकिन, पोस्टिंग ऑर्डर मिलते, उससे पहले ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। अब ये न घर के रहे और न ही घाट के। यानि, अगले ढाई महीने तक इन्हें स्कूल में पोस्टिंग नहीं मिल सकती। अथवा इसके लिए चुनाव आयोग से शिक्षा विभाग को विशेष अनुमति लेनी पड़ेगी। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि चूंकि ये शिक्षक पहले से ही नौकरी कर रहे थे और इनका वेतन चालू था, इसलिए इन्हें आचार संहिता की अवधि करीब ढाई महीने का वेतन 1.19 करोड़ रुपए तो देना ही पड़ेगा। जबकि दूसरी ओर स्कूलों में शिक्षक नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। वैसे भी इन दिनों बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं।
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