जयपुर। हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती : 2013 से जुडे़ केस में
मेरिट में आने के बाद भी प्रार्थिया को नियुक्ति नहीं देने और कम अंक वालों
को नियुक्ति देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, प्रमुख पंचायती राज सचिव,
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक व जिला परिषद धौलपुर के सीईओ को नोटिस जारी कर
जवाब मांगा है।
न्यायाधीश एम.एन.भंडारी व जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश सुषमा कुमारी की विशेष अपील याचिका पर दिया। अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि प्रार्थिया 2013 की भर्ती में चयनित हुई थी। लेकिन दस्तावेज सत्यापन की सूचना नहीं मिलने के कारण दस्तावेज सत्यापन नहीं करवा पाई। बाद में शिक्षा विभाग ने 2018 में पूर्व में वंचित रहे अभ्यर्थियों को दुबारा दस्तावेज सत्यापन का अवसर दिया। प्रार्थिया दस्तावेज सत्यापित करवाने गई तो उन्हें सत्यापित नहीं किया कि वह पूर्व में गैर हाजिर रही थी। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने पर अदालत ने 10 अप्रैल 2018 को प्रार्थिया की याचिका निस्तारित कर जिला परिषद को पद खाली होने पर उसे नियुक्ति देने के लिए कहा। जिला परिषद ने पद खाली नहीं होने का हवाला देकर प्रतिवेदन निरस्त कर दिया। जबकि हाईकोर्ट ने 2013 की भर्ती से जुड़े एक अन्य मामले में मेरिट में आने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति का निर्देश दिया था। अदालत के एक ही भर्ती में दो निर्णय होने पर प्रार्थिया ने खंडपीठ में याचिका दायर की थी।
न्यायाधीश एम.एन.भंडारी व जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश सुषमा कुमारी की विशेष अपील याचिका पर दिया। अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि प्रार्थिया 2013 की भर्ती में चयनित हुई थी। लेकिन दस्तावेज सत्यापन की सूचना नहीं मिलने के कारण दस्तावेज सत्यापन नहीं करवा पाई। बाद में शिक्षा विभाग ने 2018 में पूर्व में वंचित रहे अभ्यर्थियों को दुबारा दस्तावेज सत्यापन का अवसर दिया। प्रार्थिया दस्तावेज सत्यापित करवाने गई तो उन्हें सत्यापित नहीं किया कि वह पूर्व में गैर हाजिर रही थी। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने पर अदालत ने 10 अप्रैल 2018 को प्रार्थिया की याचिका निस्तारित कर जिला परिषद को पद खाली होने पर उसे नियुक्ति देने के लिए कहा। जिला परिषद ने पद खाली नहीं होने का हवाला देकर प्रतिवेदन निरस्त कर दिया। जबकि हाईकोर्ट ने 2013 की भर्ती से जुड़े एक अन्य मामले में मेरिट में आने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति का निर्देश दिया था। अदालत के एक ही भर्ती में दो निर्णय होने पर प्रार्थिया ने खंडपीठ में याचिका दायर की थी।
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