घर के मोह और नौकरी की चाह में भूले कायदे - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

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Thursday 14 March 2019

घर के मोह और नौकरी की चाह में भूले कायदे

सीकर.
घर के मोह और नौकरी की चाह में होनहार युवा कायदे भूल रहे हैं। मामला प्रदेश में वर्ष 2016 और 2018 में हुई शिक्षक भर्तियों से जुड़ा है। इसमें चार हजार से अधिक अभ्यर्थी ऐसे है जिनका दोनों भर्ती परीक्षाओं में चयन हुआ है। इनमें से कई ने तो विभाग से एनओसी लेना भी उचित नहीं समझा है।
अब इसका खामियाजा महज कुछ अंकों से परीक्षा में बाहर होने वाले अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है। इस मामले में बेरोजगरों ने न्यायालय में भी शरण ली है। दरअसल, वर्ष 2016 की शिक्षक भर्ती में भी परिणाम के बाद जिला आवंटन किए गए। सैकड़ों ऐसे अभ्यर्थी है जिनको घर से काफी दूर स्कूल मिला। घर आने की चाह में वह शिक्षक भर्ती 2018 में भी शामिल हो गए और पास भी हो गए। अब बेरोजगारों की याचिका पर न्यायालय के दखल के बाद बिना एनओसी लेने वाले गुरूजी की मुसीबत कुछ बढ़ गई है। लेकिन न्यायालय का निर्णय आने के बाद ही तस्वीर पूरी तरह साफ होगी।
तथ्य छुपाने में संज्ञान
तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती लेवल प्रथम में पहले से समान पद पर कार्यरत शिक्षकों का दुबारा चयन होने का मामला कोर्ट में चला गया। इस मामले में राजेन्द्र कहार और भवानी ओला ने राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इस मामले में उच्च न्यायालय में प्रार्थी पक्ष की ओर से अधिवक्ता विज्ञान शाह और बालकिशन सैनी ने पैरवी की।
चयनितों का यह तर्क: एनओसी लेकर शामिल होना कोई गुनाह नहीं
लगातार दोनों भर्ती परीक्षाओं में चयनित होने वाले युवाओं का कहना है कि अलग-अलग परीक्षा के लिए अलग-अलग तैयारी करनी पड़ती है। ऐसे में हर परीक्षा में शामिल होना कोई गुनाह नहीं है। चयनितों का कहना है कि एनओसी लेकर शामिल हुए है, ऐसे में उनको सजा मिलना गलत है। कई अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि एनओसी के लिए आवेदन किया था, नहीं मिली तो इसमें हमारा क्या कसूर।
लचर नियम हर भर्ती में मुसीबत
शिक्षा विभाग के लचर नियम अभ्यर्थियों पर भारी पड़ रहे है। वर्षो बाद भी विभाग कोई स्पष्ट नियम नहीं बना सके। इस कारण हर भर्ती में विवाद सामने आते है और मामला न्यायालय की दहलीज तक पहुंच जाता है। अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा में शामिल होने और योग्यता सहित अन्य के मामले में स्पष्ट नियम बनाने चाहिए, ताकि भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी हो सके।
प्रावधान होना चाहिए
समान पद पर एक ही व्यक्ति को नियुक्ति नहीं देने का प्रावधान सरकार को करना चाहिए। इनको प्रतिबंधित जिलों में छूट रहनी चाहिए। इससे अन्य बेरोजगारों को और ज्यादा से ज्यादा मौका मिलेगा।
उपेन यादव, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ

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