जयपुर। तृतीय श्रेणी
शिक्षक भर्ती में द्वितीय लेवल की विज्ञप्ति रद्द करने के कोर्ट के आदेश के
बाद अभ्यर्थी संशोधित विज्ञप्ति की मांग कर रहे हैं। इस सिलसिले में
बुधवार को राजस्थान अंग्रेजी स्नातक बेरोजगार महासंघ की बैठक हुई।
बैठक में अभ्यर्थियों ने भर्तियों में की जा रही विसंगतियों पर रोष जताया। इस अवसर पर ज्ञापन तैयार कर मांग की गई कि तृतीय श्रेणी संशोधित भर्ती में नियमों का पालन किया जाए।
संगठन की मांग है कि भर्ती में स्नातक में अंग्रेजी और रीट में अंग्रेजी के आधार पर ही चयन किया जाए। अभ्यर्थियों ने तर्क दिया कि अब तक जितनी भी भर्ती हुई हैं उनमें यही आधार रखा जाता है। बाद में अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय में मांगों को लेकर ज्ञापन दिया।
इधर आरपीएससी को लगा झटका
राजस्थान लोक सेवा आयोग को हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने 5 लाख रुपए हर्जाने के एकलपीठ के आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए मौखिक रुप से कहा कि जुर्माना तो अधिक लगना चाहिए था।
न्यायाधीश के एस झवेरी व न्यायाधीश वी के व्यास की खण्डपीठ ने आयोग की अपील खारिज कर दी है। कनिष्ठ लेखाकार भर्ती मामले में आयोग की कार्यप्रणाली से नाराज होकर न्यायाधीश के एस आहलुवालिया ने पांच लाख रुपए जुर्माना लगाया था।
आयोग ने इस आदेश के खिलाफ ही अपील की थी। अपील में कहा था कि विवादित प्रश्न के उत्तरों की जांच के लिए अदालती आदेश पर दो बार विशेषज्ञ कमेटी बनाई और आपत्तियां मांगी, तीसरी कमेटी की दो अलग-अलग राय आने के कारण पहली दो कमेटियों की सिफारिश बरकरार रखी और निर्णय भी आयोग की पूर्णपीठ की बैठक में हुआ।
आयोग ने यह भी कहा कि अदालत तो परीक्षा के मामले में वैसे भी सीमित रूप से ही दखल कर सकती है, एेसे में अदालत आदेश दे ही नहीं सकती। कोर्ट ने तीसरी कमेटी के निर्णय को कैसे सही माना, इसका कोई आधार ही नहीं है। कोर्ट ने आयोग की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए अपील को खारिज कर दिया।
बैठक में अभ्यर्थियों ने भर्तियों में की जा रही विसंगतियों पर रोष जताया। इस अवसर पर ज्ञापन तैयार कर मांग की गई कि तृतीय श्रेणी संशोधित भर्ती में नियमों का पालन किया जाए।
संगठन की मांग है कि भर्ती में स्नातक में अंग्रेजी और रीट में अंग्रेजी के आधार पर ही चयन किया जाए। अभ्यर्थियों ने तर्क दिया कि अब तक जितनी भी भर्ती हुई हैं उनमें यही आधार रखा जाता है। बाद में अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय में मांगों को लेकर ज्ञापन दिया।
इधर आरपीएससी को लगा झटका
राजस्थान लोक सेवा आयोग को हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने 5 लाख रुपए हर्जाने के एकलपीठ के आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए मौखिक रुप से कहा कि जुर्माना तो अधिक लगना चाहिए था।
न्यायाधीश के एस झवेरी व न्यायाधीश वी के व्यास की खण्डपीठ ने आयोग की अपील खारिज कर दी है। कनिष्ठ लेखाकार भर्ती मामले में आयोग की कार्यप्रणाली से नाराज होकर न्यायाधीश के एस आहलुवालिया ने पांच लाख रुपए जुर्माना लगाया था।
आयोग ने इस आदेश के खिलाफ ही अपील की थी। अपील में कहा था कि विवादित प्रश्न के उत्तरों की जांच के लिए अदालती आदेश पर दो बार विशेषज्ञ कमेटी बनाई और आपत्तियां मांगी, तीसरी कमेटी की दो अलग-अलग राय आने के कारण पहली दो कमेटियों की सिफारिश बरकरार रखी और निर्णय भी आयोग की पूर्णपीठ की बैठक में हुआ।
आयोग ने यह भी कहा कि अदालत तो परीक्षा के मामले में वैसे भी सीमित रूप से ही दखल कर सकती है, एेसे में अदालत आदेश दे ही नहीं सकती। कोर्ट ने तीसरी कमेटी के निर्णय को कैसे सही माना, इसका कोई आधार ही नहीं है। कोर्ट ने आयोग की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए अपील को खारिज कर दिया।
No comments:
Post a Comment