भास्कर संवाददाता | अलवर मॉडलस्कूलों से जल्दी ही ऐसे बच्चों की टीसी काटी जाएंगी, जिन्होंने
आठवीं क्लास में डी ग्रेड हासिल की है। सरकार के इस नियम के चलते ऐसे
बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ेगा। इन बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के लिए
अयोग्य घोषित करते हुए टीसी काटकर राजस्थान बोर्ड के स्कूलों में दाखिला
दिलाया जाएगा। जिले में 10 मॉडल स्कूल हैं।
प्रत्येक स्कूल में करीब 3 से 4 बच्चे डी ग्रेड वाले हैं। ऐसे में जिले के करीब 35 से 40 बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ेगा। प्रदेश में ऐसे बच्चों की संख्या करीब ढाई हजार है। प्रदेश में वर्तमान में 132 स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल संचालित हैं। इन बच्चों को आठवीं क्लास में ओवरऑल 33 से 40 प्रतिशत मार्क्स मिले हैं।
कक्षा6 में मिलता है दाखिला : मॉडलस्कूल में कक्षा 6 में प्रवेश दिया जाता है। कक्षा 6 में अंग्रेजी, कक्षा 7 तक अंग्रेजी विज्ञान तथा कक्षा 8 में अंग्रेजी, विज्ञान गणित अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई जाती है। इन स्कूलों में प्रवेश लेने वाले अधिकतर वे बच्चे होते हैं, जिन्होंने पांचवीं तक की पढ़ाई हिंदी माध्यम से की होती है।
^मॉडलस्कूलोंने क्वालिटी एजुकेशन में भले ही उल्लेखनीय कार्य हुआ है, लेकिन अंग्रेजी में कमजोर होने से बड़ी संख्या में अनुत्तीर्ण होकर स्कूल से बाहर होने वाले बच्चों के बारे में कोई नहीं सोच रहा। ऐसे में यदि मॉडल स्कूलों में संविदा पर अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की भर्ती की जाए, तो ये मॉडल बन सकते हैं। अंग्रेजी में कमजोर बच्चों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं भी लगानी चाहिए। -मूलचंदगुर्जर, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ
प्रत्येक स्कूल में करीब 3 से 4 बच्चे डी ग्रेड वाले हैं। ऐसे में जिले के करीब 35 से 40 बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ेगा। प्रदेश में ऐसे बच्चों की संख्या करीब ढाई हजार है। प्रदेश में वर्तमान में 132 स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल संचालित हैं। इन बच्चों को आठवीं क्लास में ओवरऑल 33 से 40 प्रतिशत मार्क्स मिले हैं।
कक्षा6 में मिलता है दाखिला : मॉडलस्कूल में कक्षा 6 में प्रवेश दिया जाता है। कक्षा 6 में अंग्रेजी, कक्षा 7 तक अंग्रेजी विज्ञान तथा कक्षा 8 में अंग्रेजी, विज्ञान गणित अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई जाती है। इन स्कूलों में प्रवेश लेने वाले अधिकतर वे बच्चे होते हैं, जिन्होंने पांचवीं तक की पढ़ाई हिंदी माध्यम से की होती है।
^मॉडलस्कूलोंने क्वालिटी एजुकेशन में भले ही उल्लेखनीय कार्य हुआ है, लेकिन अंग्रेजी में कमजोर होने से बड़ी संख्या में अनुत्तीर्ण होकर स्कूल से बाहर होने वाले बच्चों के बारे में कोई नहीं सोच रहा। ऐसे में यदि मॉडल स्कूलों में संविदा पर अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की भर्ती की जाए, तो ये मॉडल बन सकते हैं। अंग्रेजी में कमजोर बच्चों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं भी लगानी चाहिए। -मूलचंदगुर्जर, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ
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