{ गोविंदगढ़ सीएचसी में चिकित्सा अधिकारी पद से 21 फरवरी 2015 के आदेश में कोर्स के लिए चयन किया गया। पहले ये कोर्स एक साल का था, लेकिन बाद में इसे 21 महीने का कर दिया गया।
{ जेएलएन मेडिकल काॅलेज अजमेर से सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद 8 दिसंबर 2016 को आदेश जारी कर बहरोड़ के ट्रोमा सेंटर में पदस्थापित किया गया। यहां 26 दिसंबर को ड्यूटी ज्वाइन की।
{ 20 जनवरी 2016 को सीएमएचओ के पद पर कार्य व्यवस्था के तहत पदस्थापित कर दिया गया।
{कार्य व्यवस्था के तहत लगे सीएमएचओ डॉ. पंकज गुप्ता को आरपीएससी से 2008 में चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी गई।
{ डॉ. गुप्ता की कोर्स के लिए चयन की पहली सूची 18 नवंबर 2014 को जारी की गई। इसमें इनका नाम शामिल किया गया।
{ सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले डॉक्टरों को 6 जनवरी 2015 को जारी आदेश से 10 साल तक सेवा में बने रहने के लिए 25 लाख का बांड भरने के आदेश जारी किए गए।
यह तय की अनुभव और योग्यता
सीएमएचओ : 20साल का अनुभव, एमडी (पीएसएम)/ डीपीएच/ एमपीएच/ डीपीएचएम/ डीपीएचएसएम या समकक्ष डिग्रीधारी योग्यता।
पीएमओ: 20साल का अनुभव, प्रमुख विशेषज्ञ या वरिष्ठ विशेषज्ञ को वरीयता, डिग्री/डिप्लोमा इन हॉस्पिटल एवं हैल्थ केयर मैनेजमेंट को वरीयता।
बीसीएमओ: 6साल का अनुभव।
ये10 डॉक्टर, जो कार्य व्यवस्था में लगाए जा सकते थे
{आरसीएचओडॉ. ओमप्रकाश मीणा, एमडी पीएसएम
{डिप्टी सीएमएचओ डॉ. छबील कुमार, एमडी पीएसएम
{डिप्टी सीएमएचओ डाॅ. हरी सिंह मीणा, करीब 30 से अधिक साल का अनुभव, सीएमएचओ भी रह चुके हैं।
{डॉ. पीसी जैन, प्रभारी सीएचसी टपूकड़ा
{डॉ. डीआर यादव, सीएचसी बानसूर
{डॉ. डीके गुप्ता, सीएचसी कोटकासिम
{डॉ. एमएल मधुकर, बीसीएमओ किशनगढ़
{डॉ. बाबूलाल गोठवाल, बीसीएमओ मुंडावर
{ डॉ. आरडी मीणा, सीएचसी पिनान
{ डॉ. महेन्द्र वशिष्ठ, बीसीएमओ राजगढ़
^जूनियर डॉक्टर को सीएमएचओ नहीं लगा सकते। इस पद पर अभी कार्य व्यवस्था के तहत डॉ. पंकज गुप्ता की नियुक्ति की गई है, लेकिन अस्थि रोग में सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले क्लीनिकल सेवा के डॉक्टर को कैसे लगाया गया है। इन्हें विशेषज्ञ सेवाओं के रिक्त पदों पर ही विभाग ने नियुक्ति दी थी। इस मामले को शीघ्र देखा जाएगा। -डॉ. वीके माथुर, निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर
विशेषज्ञ सेवाओं के लिए ही दिए थे आदेश
सरकारने सभी जिलों के सीएमएचओ को 29 मई 2015 के आदेश में स्पष्ट किया कि सर्टिफिकेट कोर्स के लिए सेवारत डॉक्टरों के नामों की सूची का निर्धारण इस आधार पर किया जाए कि आपके अधीन चिकित्सा संस्थान में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी नहीं रहे। कोर्स होने के बाद अधीनस्थ जिले के चिकित्सा संस्थानों में संबंधित विशिष्टताओं में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। ये डॉक्टर विशेषज्ञ सेवाओं के लिए रिक्त पदों पर लगाए जाने थे।
भास्कर संवाददाता | अलवर
सरकारने सीएमएचओ की नियुक्ति में नियमों को किनारे कर दिया है। सरकार की मेहरबानी से वरीयता में कनिष्ठ डॉक्टर पंकज गुप्ता को सीएमएचओ के पद की बागड़ोर देकर चिकित्सा महकमे में हलचल मचा दी है। इसमें अनुभव देखा गया है और ही उनकी योग्यता। ये वे डॉ. गुप्ता हैं, जो हाल ही सरकारी खर्चे पर अस्थि रोग में 21 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करके आए और इन्हें जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर से सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद बहरोड़ के ट्रोमा सेंटर में नियुक्ति दी गई, लेकिन यहां मात्र 26 दिन नौकरी करने के बाद 20 जनवरी को सरकार ने उन्हें कार्य व्यवस्था के तौर पर सीएमएचओ पद पर नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए। जयपुर-दिल्ली हाईवे पर बहरोड़ में संचालित ट्रोमा सेंटर में दुर्घटना में घायलों को तुरंत अस्थि रोग की सेवाएं सुधारने के दी गई नियुक्ति के बाद अब डॉ. गुप्ता को सीएमएचओ के पद पर लगाने से व्यवस्थाएं चौपट हैं। सरकार के आदेश पर गौर करें तो उसमें सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले डॉक्टरों को विशेषज्ञ सेवाओं से संबंधित रिक्त पदों पर ही लगाया जाना था। ये डॉक्टर वहीं लगाए भी गए, लेकिन सरकार अलवर में सीएमएचओ की नियुक्ति में अपने ही आदेश को भूल गई है। वहीं सीएमएचओ के पद पर नियुक्ति में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी होना तो बेहद जरूरी है, लेकिन वर्ष 2008 के बैच के डॉ. गुप्ता सिर्फ चिकित्सा अधिकारी ही हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. गुप्ता सर्टिफिकेट कोर्स करने से पहले गोविंदगढ़ सीएचसी में पदस्थापित थे।
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{ जेएलएन मेडिकल काॅलेज अजमेर से सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद 8 दिसंबर 2016 को आदेश जारी कर बहरोड़ के ट्रोमा सेंटर में पदस्थापित किया गया। यहां 26 दिसंबर को ड्यूटी ज्वाइन की।
{ 20 जनवरी 2016 को सीएमएचओ के पद पर कार्य व्यवस्था के तहत पदस्थापित कर दिया गया।
{कार्य व्यवस्था के तहत लगे सीएमएचओ डॉ. पंकज गुप्ता को आरपीएससी से 2008 में चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी गई।
{ डॉ. गुप्ता की कोर्स के लिए चयन की पहली सूची 18 नवंबर 2014 को जारी की गई। इसमें इनका नाम शामिल किया गया।
{ सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले डॉक्टरों को 6 जनवरी 2015 को जारी आदेश से 10 साल तक सेवा में बने रहने के लिए 25 लाख का बांड भरने के आदेश जारी किए गए।
यह तय की अनुभव और योग्यता
सीएमएचओ : 20साल का अनुभव, एमडी (पीएसएम)/ डीपीएच/ एमपीएच/ डीपीएचएम/ डीपीएचएसएम या समकक्ष डिग्रीधारी योग्यता।
पीएमओ: 20साल का अनुभव, प्रमुख विशेषज्ञ या वरिष्ठ विशेषज्ञ को वरीयता, डिग्री/डिप्लोमा इन हॉस्पिटल एवं हैल्थ केयर मैनेजमेंट को वरीयता।
बीसीएमओ: 6साल का अनुभव।
ये10 डॉक्टर, जो कार्य व्यवस्था में लगाए जा सकते थे
{आरसीएचओडॉ. ओमप्रकाश मीणा, एमडी पीएसएम
{डिप्टी सीएमएचओ डॉ. छबील कुमार, एमडी पीएसएम
{डिप्टी सीएमएचओ डाॅ. हरी सिंह मीणा, करीब 30 से अधिक साल का अनुभव, सीएमएचओ भी रह चुके हैं।
{डॉ. पीसी जैन, प्रभारी सीएचसी टपूकड़ा
{डॉ. डीआर यादव, सीएचसी बानसूर
{डॉ. डीके गुप्ता, सीएचसी कोटकासिम
{डॉ. एमएल मधुकर, बीसीएमओ किशनगढ़
{डॉ. बाबूलाल गोठवाल, बीसीएमओ मुंडावर
{ डॉ. आरडी मीणा, सीएचसी पिनान
{ डॉ. महेन्द्र वशिष्ठ, बीसीएमओ राजगढ़
^जूनियर डॉक्टर को सीएमएचओ नहीं लगा सकते। इस पद पर अभी कार्य व्यवस्था के तहत डॉ. पंकज गुप्ता की नियुक्ति की गई है, लेकिन अस्थि रोग में सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले क्लीनिकल सेवा के डॉक्टर को कैसे लगाया गया है। इन्हें विशेषज्ञ सेवाओं के रिक्त पदों पर ही विभाग ने नियुक्ति दी थी। इस मामले को शीघ्र देखा जाएगा। -डॉ. वीके माथुर, निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर
विशेषज्ञ सेवाओं के लिए ही दिए थे आदेश
सरकारने सभी जिलों के सीएमएचओ को 29 मई 2015 के आदेश में स्पष्ट किया कि सर्टिफिकेट कोर्स के लिए सेवारत डॉक्टरों के नामों की सूची का निर्धारण इस आधार पर किया जाए कि आपके अधीन चिकित्सा संस्थान में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी नहीं रहे। कोर्स होने के बाद अधीनस्थ जिले के चिकित्सा संस्थानों में संबंधित विशिष्टताओं में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। ये डॉक्टर विशेषज्ञ सेवाओं के लिए रिक्त पदों पर लगाए जाने थे।
भास्कर संवाददाता | अलवर
सरकारने सीएमएचओ की नियुक्ति में नियमों को किनारे कर दिया है। सरकार की मेहरबानी से वरीयता में कनिष्ठ डॉक्टर पंकज गुप्ता को सीएमएचओ के पद की बागड़ोर देकर चिकित्सा महकमे में हलचल मचा दी है। इसमें अनुभव देखा गया है और ही उनकी योग्यता। ये वे डॉ. गुप्ता हैं, जो हाल ही सरकारी खर्चे पर अस्थि रोग में 21 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करके आए और इन्हें जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर से सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद बहरोड़ के ट्रोमा सेंटर में नियुक्ति दी गई, लेकिन यहां मात्र 26 दिन नौकरी करने के बाद 20 जनवरी को सरकार ने उन्हें कार्य व्यवस्था के तौर पर सीएमएचओ पद पर नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए। जयपुर-दिल्ली हाईवे पर बहरोड़ में संचालित ट्रोमा सेंटर में दुर्घटना में घायलों को तुरंत अस्थि रोग की सेवाएं सुधारने के दी गई नियुक्ति के बाद अब डॉ. गुप्ता को सीएमएचओ के पद पर लगाने से व्यवस्थाएं चौपट हैं। सरकार के आदेश पर गौर करें तो उसमें सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले डॉक्टरों को विशेषज्ञ सेवाओं से संबंधित रिक्त पदों पर ही लगाया जाना था। ये डॉक्टर वहीं लगाए भी गए, लेकिन सरकार अलवर में सीएमएचओ की नियुक्ति में अपने ही आदेश को भूल गई है। वहीं सीएमएचओ के पद पर नियुक्ति में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी होना तो बेहद जरूरी है, लेकिन वर्ष 2008 के बैच के डॉ. गुप्ता सिर्फ चिकित्सा अधिकारी ही हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. गुप्ता सर्टिफिकेट कोर्स करने से पहले गोविंदगढ़ सीएचसी में पदस्थापित थे।
- 27 हजार पदों के लिए ग्राम पंचायत सहायक को लेकर गाइडलाइन तय
- सभी3rd Grade : याचिकाकर्ताओं को मेरिट में शामिल करने के लिए आदेश
- Recruitment : चार वर्ष मे सात भर्ती लेकिन एक भी पूरी नहीं
- बेरोजगारों को रोजगार देने की दिशा में सरकार प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है--श्रम एवं नियोजन मंत्री
- जल्द भरे जाएंगे तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2013 के रिक्त पद
- SBC आरक्षण ने लगाए 2017 की भर्तियों पर Break, आरपीएससी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर
- राज्य की ग्राम पंचायतों में लगेंगे 20 हजार से अधिक ग्राम पंचायत सहायक
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