राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए पांचवी कक्षा की अनिवार्य की गई बोर्ड परीक्षा के बाद शिक्षा विभाग ने एक और कदम उठाया है.
दरअसल, विभाग ने शिक्षा का स्तर सुधारने के साथ-साथ परीक्षा परिणाम को बेहतर बनाने की कवायत शुरू की है. इसके तहत इस बार अगर पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों को सी और डी ग्रेड मिली तो अध्यापकों पर कार्रवाई की जाएगी.
आपको बता दें कि इससे पहले सिर्फ डी ग्रेड आने पर ही शिक्षक पर कार्रवाई की जाती थी और डी ग्रेड के विद्यार्थियों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा होने पर हेड मास्टर और सब्जेक्ट टीचर के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब वहीं अगर सी ग्रेड मिलने वाले छात्रों की संख्या भी पचास प्रतिशत से अधिक रहती है तो हेड मास्टर और सब्जेक्ट टीचर के खिलाफ 17 सीसीए के तहत ही कार्रवाई की जाएगी.
बताया जा रहा है कि परीक्षा परिणाम में ग्रेडिंग सिस्टम से परीक्षा परिणाम तैयार किया जाएगा और उसमें स्कूल के हेड मास्टर्स के लिए भी 8वीं बोर्ड की तरह ही आदेश लागू किए जाएंगे.
उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग हेड मास्टर्स को 17 सीसीए के तहत पहले नोटिस जारी करता है. उसके बाद व्यक्तिगत सुनवाई के लिए उन्हें बुलाया जाता है. अगर हेड मास्टर के जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं होता है तो उन पर कार्रवाई की जाती है, जिसके तहत निलंबन, वेतन वृद्धि पर रोक लगाई जा सकती है.
दरअसल, विभाग ने शिक्षा का स्तर सुधारने के साथ-साथ परीक्षा परिणाम को बेहतर बनाने की कवायत शुरू की है. इसके तहत इस बार अगर पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों को सी और डी ग्रेड मिली तो अध्यापकों पर कार्रवाई की जाएगी.
आपको बता दें कि इससे पहले सिर्फ डी ग्रेड आने पर ही शिक्षक पर कार्रवाई की जाती थी और डी ग्रेड के विद्यार्थियों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा होने पर हेड मास्टर और सब्जेक्ट टीचर के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब वहीं अगर सी ग्रेड मिलने वाले छात्रों की संख्या भी पचास प्रतिशत से अधिक रहती है तो हेड मास्टर और सब्जेक्ट टीचर के खिलाफ 17 सीसीए के तहत ही कार्रवाई की जाएगी.
बताया जा रहा है कि परीक्षा परिणाम में ग्रेडिंग सिस्टम से परीक्षा परिणाम तैयार किया जाएगा और उसमें स्कूल के हेड मास्टर्स के लिए भी 8वीं बोर्ड की तरह ही आदेश लागू किए जाएंगे.
उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग हेड मास्टर्स को 17 सीसीए के तहत पहले नोटिस जारी करता है. उसके बाद व्यक्तिगत सुनवाई के लिए उन्हें बुलाया जाता है. अगर हेड मास्टर के जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं होता है तो उन पर कार्रवाई की जाती है, जिसके तहत निलंबन, वेतन वृद्धि पर रोक लगाई जा सकती है.
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