जयपुर प्रदेश
के सरकारी विद्यालयों में इस बार से अनिवार्य की गई पांचवी बोर्ड की
परीक्षा के माध्यम से शिक्षा विभाग ने शिक्षा के स्तर को सुधारने के प्रयास
शुरू कर दिए है। जिसके चलते अब अगर विद्यार्थी के परीक्षा परिणाम में सी
ग्रेड भी मिली तो शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले सिर्फ डी ग्रेड आने पर ही शिक्षक पर कार्रवाई करने के प्रावधान थे लेकिन शिक्षा के स्तर के साथ साथ परीक्षा परिणाम सुधारने की कवायद को लेकर शिक्षा विभाग ने प्रावधानों में बदलाव किया है जिसके तहत इस बार होने वाली पांचवी बोर्ड की परीक्षा में विद्यार्थी को डी ग्रेड और सी ग्रेड मिली तो इसका खामियाजा भी शिक्षक को ही भुगतना पड़ेगा।
अब डी ही नहीं सी ग्रेड परिणाम आने पर भी शिक्षक पर कार्रवाई होगी। परीक्षा परिणाम में ग्रेडिंग सिस्टम से परीक्षा परिणाम तैयार किया जाना हैं। जिसमें स्कूल के संस्थाप्रधान के लिए भी 8वीं बोर्ड की तरह ही आदेश लागू होगा।
अब तक डी ग्रेड के विद्यार्थियों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा होने पर संस्थाप्रधानों और विषयध्यापकों पर कार्रवाई होती थी लेकिन अब सी ग्रेड प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी पचास प्रतिशत से अधिक रही तो ही संस्था प्रधान और विषयध्यापक कटघरे में होंगे और उनके खिलाफ 17 सीसीए के तहत ही कार्रवाई की जाएगी।
17 सीसीए के तहत एक बार नोटिस जारी होगा, फिर व्यक्ति गत सुनवाई के लिए संस्थाप्रधान को बुलाया जाएगा। इसके जबाव से विभाग संतुष्ट होता है तो ठीक नहीं तो आगे की कार्रवाई होगी। जिसमें निलंबन, वेतन वृद्धि पर रोक आदि हो सकती है।
इससे पहले सिर्फ डी ग्रेड आने पर ही शिक्षक पर कार्रवाई करने के प्रावधान थे लेकिन शिक्षा के स्तर के साथ साथ परीक्षा परिणाम सुधारने की कवायद को लेकर शिक्षा विभाग ने प्रावधानों में बदलाव किया है जिसके तहत इस बार होने वाली पांचवी बोर्ड की परीक्षा में विद्यार्थी को डी ग्रेड और सी ग्रेड मिली तो इसका खामियाजा भी शिक्षक को ही भुगतना पड़ेगा।
अब डी ही नहीं सी ग्रेड परिणाम आने पर भी शिक्षक पर कार्रवाई होगी। परीक्षा परिणाम में ग्रेडिंग सिस्टम से परीक्षा परिणाम तैयार किया जाना हैं। जिसमें स्कूल के संस्थाप्रधान के लिए भी 8वीं बोर्ड की तरह ही आदेश लागू होगा।
अब तक डी ग्रेड के विद्यार्थियों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा होने पर संस्थाप्रधानों और विषयध्यापकों पर कार्रवाई होती थी लेकिन अब सी ग्रेड प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी पचास प्रतिशत से अधिक रही तो ही संस्था प्रधान और विषयध्यापक कटघरे में होंगे और उनके खिलाफ 17 सीसीए के तहत ही कार्रवाई की जाएगी।
17 सीसीए के तहत एक बार नोटिस जारी होगा, फिर व्यक्ति गत सुनवाई के लिए संस्थाप्रधान को बुलाया जाएगा। इसके जबाव से विभाग संतुष्ट होता है तो ठीक नहीं तो आगे की कार्रवाई होगी। जिसमें निलंबन, वेतन वृद्धि पर रोक आदि हो सकती है।
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