नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज की दर को घटा दिया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की ओर से आज लिए गए फैसले के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि पर 2016-17 के दौरान जमा कराए गए पैसे पर 8.65 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा।
बीते वर्ष 2015-16 के दौरान कर्मचारियों को भविष्य निधि में जमा हुए पैसे पर 8.8 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था। यह फैसला कुल 4 करोड़ कर्माचारियों को प्रभावित करेगा।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक सोमवार को बैंगलोर में हुई जिसमें चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरों पर फैसला किया गया। उम्मीलद की जा रही थी कि ईपीएफओ वित्त वर्ष 2016-17 के लिए ईपीएफ पर 8.8 प्रतिशत ब्याज दर को कायम रख सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इन्हें घटाकर 8.6 प्रतिशत कर दिया गया।
2015-16 के लिए भी घटी थीं ब्याज दरें:
इससे पहले वित्त मंत्रालय ने इसी साल 2015-16 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया था, जबकि श्रम मंत्री की अगुवाई वाली सीबीटी ने 8.8 प्रतिशत ब्याज की मंजूरी दी थी। ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया था और अंशधारकों को 8.8 प्रतिशत ब्याज देने को सहमति दे दी।
ब्याज दरों में कटौती की थी आशंका:
कर्मचारी भविष्य निधि की आज होने वाली बैठक से पहले सरकार ने यह आशंका जताई थी कि ईपीएफ की मौजूदा ब्याज दरों को बरकरार रखना संभव नहीं है, जिसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। श्रम मंत्रालय ने बताया था कि मौजूदा दरों को बरकरार रखना संभव नहीं है, क्योंकि साल 2015-16 की अवधि के दौरान रिटायरमेंट बॉडी को 8.8% फीसदी का रिटर्न प्रदान करने के बाद सिर्फ 409 करोड़ रुपए के अधिशेष के साथ छोड़ दिया गया था, जो कि बीते साल 1,640 करोड़ रुपए रहा था। वहीं मंत्रालय का यह भी कहना है कि ब्याद की मौजूदा दर को बरकरार रखना इस मौजूदा कम ब्याज दर वाली व्यवस्था में तर्कसंगत नहीं है।
बीते वर्ष 2015-16 के दौरान कर्मचारियों को भविष्य निधि में जमा हुए पैसे पर 8.8 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था। यह फैसला कुल 4 करोड़ कर्माचारियों को प्रभावित करेगा।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक सोमवार को बैंगलोर में हुई जिसमें चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरों पर फैसला किया गया। उम्मीलद की जा रही थी कि ईपीएफओ वित्त वर्ष 2016-17 के लिए ईपीएफ पर 8.8 प्रतिशत ब्याज दर को कायम रख सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इन्हें घटाकर 8.6 प्रतिशत कर दिया गया।
2015-16 के लिए भी घटी थीं ब्याज दरें:
इससे पहले वित्त मंत्रालय ने इसी साल 2015-16 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया था, जबकि श्रम मंत्री की अगुवाई वाली सीबीटी ने 8.8 प्रतिशत ब्याज की मंजूरी दी थी। ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया था और अंशधारकों को 8.8 प्रतिशत ब्याज देने को सहमति दे दी।
ब्याज दरों में कटौती की थी आशंका:
कर्मचारी भविष्य निधि की आज होने वाली बैठक से पहले सरकार ने यह आशंका जताई थी कि ईपीएफ की मौजूदा ब्याज दरों को बरकरार रखना संभव नहीं है, जिसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। श्रम मंत्रालय ने बताया था कि मौजूदा दरों को बरकरार रखना संभव नहीं है, क्योंकि साल 2015-16 की अवधि के दौरान रिटायरमेंट बॉडी को 8.8% फीसदी का रिटर्न प्रदान करने के बाद सिर्फ 409 करोड़ रुपए के अधिशेष के साथ छोड़ दिया गया था, जो कि बीते साल 1,640 करोड़ रुपए रहा था। वहीं मंत्रालय का यह भी कहना है कि ब्याद की मौजूदा दर को बरकरार रखना इस मौजूदा कम ब्याज दर वाली व्यवस्था में तर्कसंगत नहीं है।
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