Rajasthan News : राजस्थान में अगले महीने सरकारी व निजी स्कूलों में एक साथ एक परीक्षा पैटर्न पर अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की गाइडलाइन को लेकर शिक्षक और छात्र असमंजस में हैं। विभाग की घोषणा के तीन माह बाद अब सरकारी व निजी स्कूलों से तीन दिन के भीतर विद्यार्थियों की संख्या डाटा देने को कहा गया है। ऐसे में सवाल लाजिमी है कि विभाग एक महीने में कैसे अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की तैयारी करेगा। विद्यार्थियों व अभिभावकों का कहना है कि विभाग को परीक्षा पैटर्न या सिलेबस पहले जारी करना चाहिए था। वहीं, कई शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि विभाग का नवाचार तो ठीक है, लेकिन धरातल पर तैयारी कमजोर होने की वजह से चुनौतियां कम नहीं हैं।
पहले हर जिले में अलग पेपर, अब एकरूपता
पहले शिक्षा विभाग की ओर से जिला स्तर पर जिला समान प्रश्न पत्र योजना के तहत कराई जा रही थी। लेकिन इस बार इनको राज्य स्तर पर कराने की तैयारी में है। शिक्षा विभाग का दावा है कि प्रदेशभर में एक साथ परीक्षा होने से विद्यार्थियों का बेहतर मूल्यांकन हो सकेगा।
एक परीक्षा की राह में चुनौतियां कई
1- सिलेबस: 50 फीसदी पाठ्यक्रम तक पूरा नहीं प्रदेश के कई निजी स्कूलों में 60 से 70 फीसदी तक पाठ्यक्रम पूरा हो चुका है। जबकि कई निजी स्कूल ऐसे है जहां अभी तक पाठ्यक्रम 40 से 50 फीसदी तक ही पूरा हुआ है। ऐसे में विद्यार्थियों का कैसे बेहतर मूल्यांकन हो सकेगा। वहीं विभाग ने अभी तक सिलेबस व परीक्षा पैटर्न को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया है।नवाचार से घटेगा ड्रॉप आउट का आंकड़ा
प्रदेश स्तरीय परीक्षा के नवाचार से बोर्ड कक्षाओं का ड्राप आउट कम होने की पूरी संभावना है। वहीं इस नवाचार से राजस्थान शैक्षिक गुणवत्ता की दृष्टि से नए आयाम भी स्थापित कर सकेगा। विभाग को जल्द परीक्षा को लेकर नीति जारी करनी चाहिए जिससे भ्रम की स्थिति दूर हो सके।विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
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