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बीडीओ स्तर की वर्षों पुरानी गड़बड़ी से जिले में 500 शिक्षक चार साल पिछड़ेंगे, सभी के वेतन में होगी कटौती

भास्कर संवाददाता | बांसवाड़ा जिले में वर्ष 1985 से 1988 के बीच अस्थायी तौर पर तृतीय वेतन शृंखला में नियुक्त 500 से ज्यादा शिक्षकों में खलबली मची हुई है। इनका नियुक्ति तिथि से बगैर विचारे स्थायीकरण करने के वर्षों बाद गड़बड़ी की जानकारी पर चयनित वेतनमान और एसीपी में संशोधन शुरू हुआ है।
इससे तकरीबन सभी शिक्षकों की तीन से चार हजार रुपए तनख्वाह घटने के आसार बन पड़े हैं।

दरअसल, तत्कालीन विकास अधिकारियों ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर जिले के 502 शिक्षकों को उपस्थिति की तारीख से स्थायी कर दिया। फिर समय-समय पर वेतन में इजाफा होता गया। मामला पकड़ में आया, लेकिन 19 साल तक कार्रवाई टली रही। अब इस प्रकरण में शिक्षा विभाग ने स्क्रीनिंग के बाद आदेश जारी होने की तिथि से नियमित नियुक्ति मानते हुए चयनित वेतनमान देने के आदेश दिए हैं। इससे लंबे समय से मोटी कटौती तनख्वाह ले रहे शिक्षकों के अब कटौती होने पर टेंशन बढ़ गई है। हालांकि संतोष इस बात का भी है कि जिला परिषद की स्थापना समिति की बैठकों में हुए निर्णय के तहत संशोधित स्थायीकरण वर्ष 1989 से किया जा रहा है। इस पर भी सरकार बनाम जगदीशनारायण चतुर्वेदी प्रकरण के निर्णय की पालना में त्रुटिपूर्ण आदेश से दी जा चुकी अतिरिक्त राशि की रिकवरी नहीं करने का आदेश भी है। इससे वसूली तो किसी तरह की नहीं होगी, लेकिन इन शिक्षकों के चयनित वेतनमान और एसीपी के संशोधन पर तनख्वाह जरूर कम हो जाएगी।

माध्यमिक के अधीन चली गई सेवा पुस्तिकाएं

प्रारंभिक शिक्षा विभाग अब तक सामने आए 502 में से 21 शिक्षकों के स्थायीकरण के संशोधित आदेश जारी करने की प्रक्रिया कर चुका है, लेकिन इसके आगे उलझन यह है कि ज्यादातर पुराने शिक्षक माध्यमिक सेटअप में जा चुके हैं और इनकी सेवा पुस्तिकाएं पीईईओ के अधीन होने से अब तक उपलब्ध ही नहीं हुई हैं। दूसरी बड़ी दिक्कत यह भी है कि शिक्षक संगठन इस कटौती से खफा हैं। संशोधन करवाने ज्यादातर शिक्षक आगे नहीं आ रहे, जबकि अभी सुधार नहीं हुआ तो आगे यह कटौती और बढ़ना तय है।

एक विसंगति से अब यूं बिगड़ रही है गणित

प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अनुसार प्रथम नियुक्ति तिथि से जिस शिक्षक का स्थानीयकरण 5000-8000 की स्केल पर 5000 रुपए दिए गए। उसमें संशोधन कर अब 89 से गणना करने पर तीन वेतन वृद्धि घटने पर मूल वेतन कम हो जाएगा। इसके बाद आगे वेतन वृद्धि तो जोड़ी जाएगी, लेकिन पुराना इजाफा घटने पर आखिरी टोटल भी कम होना तय है। घाटोल के एक शिक्षक रामशंकर यादव के सर्विस बुक का नमूना लें, तो त्रुटिपूर्ण आदेश के चलते जहां उनका 2017 तक वेतन 23 हजार 600 तक पहुंच गया, वह संशोधन पर घटकर 22 हजार 120 रुपए पर आ गया।

निदेशालय और जिला परिषद की स्थापना समिति के निर्णय के अनुसार 502 शिक्षकों के स्थायीकरण में संशोधन का काम शुरू करवा दिया है। इनका चयन वर्ष 1989 मानते हुए कार्रवाई के निर्देश हैं, लेकिन दी जा चुकी अतिरिक्त राशि की वसूली नहीं होगी। सेवा पुस्तिकाएं नहीं मिलने और दूसरी अड़चनों को दूर करने के लिए निदेशालय से मार्गदर्शन ले रहे हैं। - प्रेमजी पाटीदार, डीईओ

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