सालों से तबादलों की बाट जोह रहे तृतीय श्रेणी अध्यापकों सहित अन्य सभी संवर्ग के शिक्षकों के लिए राज्य सरकार ने चुनावी साल में तबादलों की मंजूरी तो दे दी है, लेकिन यह तबादले किस तरह किए जाएंगे और वाकई यह शिक्षकों के लिए राहत भरे होंगे कि नहीं, इसे लेकर कई किंतु परंतु नजर आ रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तबादलों के लिए प्रस्तावित जिस स्थानातंरण नीति से इस मर्तबा तबादले किए जाने का फरमान राज्य सरकार ने जारी किया है, वह खुद में ही सवालिया है।
सबसे पहले तो पॉलिसी ड्राफ्ट के अनुसार नीति केवल माध्यमिक शिक्षा विभाग के लिए होना ही चौंकाता है, जबकि तृतीय श्रेणी शिक्षकों की सर्वाधिक तादाद प्रारंभिक शिक्षा विभाग में है। इसके अलावा जिन श्रेणियों के आधार पर तबादले होने हैं, उनसे संबंधित रिकॉर्ड ही विभाग के पास फिलहाल तैयार नहीं है। शाला-दर्शन पोर्टल भी अपडेट नहीं बताया जा रहा है। उधर, शिक्षकों के तबादलों के मामले में सियासी रसूखात और जमीनी जरूरत का गणित भी गड़बड़ाने के कयास लगाए जाने के साथ खुद विभाग के अफसर स्थानांतरण नीति के प्रावधानों की लय-ताल अभी तक नहीं समझ सके हैं, तो शिक्षक नेता भी स्थानांतरण नीति को लेकर सहज महसूस नहीं कर पा रहे हैं। प्रस्तावित स्थानांतरण नीति के शुरुआती प्रावधानों में जिन श्रेणी के शिक्षकों को अनिवार्य स्थानांतरित किया जाना है उनका रिकॉर्ड ही विभाग के कार्यालयों में पूरी तरह से तैयार नहीं है। तबादला नीति के बिंदु संख्या 5.1 में 8 ऐसी कैटेगरी निर्धारित की गई हैं, जिनमें कवर होने वाले शिक्षकों को अन्यत्र जगहों पर भेजा जाएगा।
इनमें एक ही स्कूल में लगातार दस साल के कार्यकाल, बालिका विद्यालयों में 50 वर्ष से कम उम्र वाले पुरुष संस्था प्रधान, 30 प्रतिशत से कम बोर्ड रिजल्ट वाले संस्था प्रधान, बीते लगातार दो सालों में 50 प्रतिशत से कम बोर्ड परिणाम देने वाले सभी श्रेणी के अध्यापक सहित इसी तरह की कुछ और श्रेणियों का निर्धारण किया गया है। इन श्रेणियों के संस्था प्रधानों व शिक्षकों को “डी’ श्रेणी के ग्रामीण स्कूलों में अनिवार्यतः स्थानांतरित किए जाने के निर्देश हैं, लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि श्रेणी निर्धारण के जो मानक नीति में तय किए गए हैं, उनमें कवर होने वाले शिक्षकों का रिकॉर्ड ही विभाग अभी तक तैयार नहीं कर सका है।
निदेशालय में 17 हजार से अधिक आवेदन
राज्य के करीब 50 हजार से अधिक शिक्षक शिक्षा निदेशालय के अलावा अपने जिलों के प्रारंभिक और माध्यमिक सेटअप में आवेदन जमा करवा चुके हैं। कई शिक्षकों ने डिजायर भी लगाई है। निदेशालय में 17 हजार आवेदन आए हैं, जिनमें प्रारंभिक सेटअप में 11 हजार और माध्यमिक सेटअप में 6 हजार आवेदन किए गए हैं। इसी प्रकार अजमेर में प्रारंभिक और माध्यमिक सेटअप दोनों के मिलाकर करीब 1500 आवेदन जमा हुए हैं।
इनका कहना है
सरकार ने कभी कोई नीति से तबादले नहीं किए। सरकार विधायकों, सत्ताधारी नेताओं की डिजायर पर ट्रांसफर करेगी। आम शिक्षकों को इन तबादलों में कोई राहत नहीं मिलेगी। शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन करवाना मात्र छलावा है। शिक्षकों को इससे सिर्फ मायूसी ही हाथ लगेगी। - उमेश शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान पंचायत शिक्षा प्रसार अधिकारी परिषद
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