जयपुर: राजस्थान में आरपीएससी (Rajasthan Public
Service Commission) की एक गलती ने पुरुष अभ्यर्थियों के भविष्य को अंधकार
की ऐसी खाई में गिरा दिया, जहां से उन्हें उजाले की किरणें भी नज़र नहीं आ
रही हैं.
2004 में राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर की ओर से थर्ड ग्रेड शिक्षक के 32 हजार 913 पदों पर भर्ती निकाली गई थी लेकिन नियुक्ति देते समय इनमें से 2354 पदों पर पुरुष अभ्यर्थियों की सीटों पर महिला अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई. इन बेरोजगारों ने आरपीएससी द्वारा दी गई नियुक्तियों को 2005 में कोर्ट में चुनौती दी. इसके बाद दिसंबर 2015 में हाईकोर्ट ने बेरोजगारों के पक्ष में फैसला दिया लेकिन फैसले के भी 4 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इन बेरोजगारों को नियुक्ति नहीं मिल पाई है. इन 15 सालों में बेरोजगारों ने हर नेता हर अधिकारी से गुहार लगाई लेकिन बेरोजगारों की सुनने वाला कोई नहीं.
क्या कहना है बेरोजगारों का
बेरोजगारों का कहना है कि आरपीएससी (RPSC) की एक गलती की सजा 400 परिवारों को भुगतनी पड़ रही है. सरकारी नौकरी की योग्यता रखने वाले बेरोजगारों के सामने पिछले 15 सालों से आर्थिक संकट खड़ा है. बेरोजगारों को अल्प वेतन पर प्राइवेट नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे में घर का खर्च निकालना भी काफी मुश्किल हो गया है.
सरकार से बातचीत के बाद नहीं हुआ कोई फायदा
बेरोजगारों ने इस बाबत सरकार से भी वार्ता की. पिछली बीजेपी (BJP) सरकार ने बेरोजगारों को नियुक्ति के योग्य भी माना था लेकिन उसके बाद भी आज तक आरपीएससी ने इन बेरोजगारों को नियुक्ति नहीं दी है. 2004 शिक्षक भर्ती में आरपीएससी ने जो गलती की थी, वो ही गलती 2006 की भर्ती में दोहराई गई. 2006 की भर्ती में नियुक्ति से वंचित रहे बेरोजगारों को नियुक्ति दे दी गई. ऐसे में अब 2004 के बेरोजगार उम्मीद लगाए बैठे हैं आखिर उनको कब नियुक्ति मिलेगी?
2004 में राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर की ओर से थर्ड ग्रेड शिक्षक के 32 हजार 913 पदों पर भर्ती निकाली गई थी लेकिन नियुक्ति देते समय इनमें से 2354 पदों पर पुरुष अभ्यर्थियों की सीटों पर महिला अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई. इन बेरोजगारों ने आरपीएससी द्वारा दी गई नियुक्तियों को 2005 में कोर्ट में चुनौती दी. इसके बाद दिसंबर 2015 में हाईकोर्ट ने बेरोजगारों के पक्ष में फैसला दिया लेकिन फैसले के भी 4 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इन बेरोजगारों को नियुक्ति नहीं मिल पाई है. इन 15 सालों में बेरोजगारों ने हर नेता हर अधिकारी से गुहार लगाई लेकिन बेरोजगारों की सुनने वाला कोई नहीं.
क्या कहना है बेरोजगारों का
बेरोजगारों का कहना है कि आरपीएससी (RPSC) की एक गलती की सजा 400 परिवारों को भुगतनी पड़ रही है. सरकारी नौकरी की योग्यता रखने वाले बेरोजगारों के सामने पिछले 15 सालों से आर्थिक संकट खड़ा है. बेरोजगारों को अल्प वेतन पर प्राइवेट नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे में घर का खर्च निकालना भी काफी मुश्किल हो गया है.
सरकार से बातचीत के बाद नहीं हुआ कोई फायदा
बेरोजगारों ने इस बाबत सरकार से भी वार्ता की. पिछली बीजेपी (BJP) सरकार ने बेरोजगारों को नियुक्ति के योग्य भी माना था लेकिन उसके बाद भी आज तक आरपीएससी ने इन बेरोजगारों को नियुक्ति नहीं दी है. 2004 शिक्षक भर्ती में आरपीएससी ने जो गलती की थी, वो ही गलती 2006 की भर्ती में दोहराई गई. 2006 की भर्ती में नियुक्ति से वंचित रहे बेरोजगारों को नियुक्ति दे दी गई. ऐसे में अब 2004 के बेरोजगार उम्मीद लगाए बैठे हैं आखिर उनको कब नियुक्ति मिलेगी?
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