चुनाव को छोड़कर अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को राहत मिलेगी।
द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में भी शिक्षक पात्रता परीक्षा लागू की जाएगी।
शिक्षा का अधिकार कानून का दायरा बढ़ाकर 12वीं तक किया जाएगा। मानव संसाधन
विकास मंत्रालय की ओर से तैयार हो रही नई शिक्षा नीति में राजस्थान के इन
सुझावों को शामिल किया गया है।
पिछले दिनों दिल्ली में हुई कैब की बैठक में शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा ने नई शिक्षा नीति को लेकर राजस्थान की ओर से कई सुझाव रखे थे। डोटासरा ने मंगलवार को ट्वीट कर नई शिक्षा नीति में शामिल किए गए सुझावों की जानकारी दी। राजस्थान के जिन सुझावों को शामिल किया गया है, उनमें से कुछ पर तो यहां पहले से ही काम शुरू हो चुका है। डोटासरा ने नई शिक्षा नीति में आंगनबाड़ी के जरिए प्री प्राइमरी शिक्षा को मजबूत बनाए जाने और शिक्षक तबादलों के लिए स्थानांतरण नीति लागू किए जाने का सुझाव भी रखा था। इन दोनों सुझावों को भी शामिल किया गया है। प्रदेश में आंगनबाड़ी के जरिए प्री प्राइमरी को विकसित करने का काम पहले ही शुरू हो चुका है। तबादला नीति बनाने की दिशा में भी काम चल रहा है और अलग-अलग राज्यों की नीति का अध्ययन किया जा रहा है। पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा नीति पर सुझाव देने के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की ओर से दिए गए सुझावों को डोटासरा ने कैब की मीटिंग में रखा। इन सुझावों में वित्तीय अनुदान का सुझाव भी था, जिसका नई शिक्षा नीति में कोई उल्लेख नहीं किया गया।
राजस्थान के यह सुझाव नई शिक्षा नीति में शामिल
शिक्षा नीति में इन सुझावों को नहीं किया गया शामिल
शिक्षामंत्री के अनुसार शिक्षा नीति 2019 मूलत: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पर आधारित है। इसके प्रावधान उचित हंै किंतु इसमें शिक्षक भर्ती में साक्षात्कार का प्रावधान भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला होगा। हर स्कूल में गणित-विज्ञान के शिक्षक की उपलब्धता के लिए कहा गया है। हालांकि इसके लिए वित्तीय प्रावधान राजस्थान जैसे बड़े राज्य के लिए संभव नहीं है। मूलभूत संसाधनों के विकास के लिए भी राजस्थान जैसे शैक्षिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े राज्यों के लिए विशेष वित्तीय अनुदान की जरूरत थी, लेकिन ऐसी व्यवस्था नहीं की गई। राजस्थान में 37444 आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में प्री प्राइमरी शिक्षा की व्यवस्था की जानी है। इसके लिए केंद्र ने वित्तीय सहायता का उल्लेख नहीं किया। इस कारण नई शिक्षा नीति को राजस्थान में लागू किया जाना बेहद कठिन हो जाएगा।
पिछले दिनों दिल्ली में हुई कैब की बैठक में शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा ने नई शिक्षा नीति को लेकर राजस्थान की ओर से कई सुझाव रखे थे। डोटासरा ने मंगलवार को ट्वीट कर नई शिक्षा नीति में शामिल किए गए सुझावों की जानकारी दी। राजस्थान के जिन सुझावों को शामिल किया गया है, उनमें से कुछ पर तो यहां पहले से ही काम शुरू हो चुका है। डोटासरा ने नई शिक्षा नीति में आंगनबाड़ी के जरिए प्री प्राइमरी शिक्षा को मजबूत बनाए जाने और शिक्षक तबादलों के लिए स्थानांतरण नीति लागू किए जाने का सुझाव भी रखा था। इन दोनों सुझावों को भी शामिल किया गया है। प्रदेश में आंगनबाड़ी के जरिए प्री प्राइमरी को विकसित करने का काम पहले ही शुरू हो चुका है। तबादला नीति बनाने की दिशा में भी काम चल रहा है और अलग-अलग राज्यों की नीति का अध्ययन किया जा रहा है। पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा नीति पर सुझाव देने के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की ओर से दिए गए सुझावों को डोटासरा ने कैब की मीटिंग में रखा। इन सुझावों में वित्तीय अनुदान का सुझाव भी था, जिसका नई शिक्षा नीति में कोई उल्लेख नहीं किया गया।
राजस्थान के यह सुझाव नई शिक्षा नीति में शामिल
शिक्षा नीति में इन सुझावों को नहीं किया गया शामिल
शिक्षामंत्री के अनुसार शिक्षा नीति 2019 मूलत: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पर आधारित है। इसके प्रावधान उचित हंै किंतु इसमें शिक्षक भर्ती में साक्षात्कार का प्रावधान भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला होगा। हर स्कूल में गणित-विज्ञान के शिक्षक की उपलब्धता के लिए कहा गया है। हालांकि इसके लिए वित्तीय प्रावधान राजस्थान जैसे बड़े राज्य के लिए संभव नहीं है। मूलभूत संसाधनों के विकास के लिए भी राजस्थान जैसे शैक्षिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े राज्यों के लिए विशेष वित्तीय अनुदान की जरूरत थी, लेकिन ऐसी व्यवस्था नहीं की गई। राजस्थान में 37444 आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में प्री प्राइमरी शिक्षा की व्यवस्था की जानी है। इसके लिए केंद्र ने वित्तीय सहायता का उल्लेख नहीं किया। इस कारण नई शिक्षा नीति को राजस्थान में लागू किया जाना बेहद कठिन हो जाएगा।
No comments:
Post a Comment